गैंगस्टर अनमोल बिश्नोई को लेकर एक बड़ा खुलासा सामने आया है. जानकारी के अनुसार, अनमोल बिश्नोई का पासपोर्ट हरियाणा के फरीदाबाद में 29 अक्टूबर 2021 को जारी किया गया था. पासपोर्ट मिलने के तुरंत बाद ही वह नवंबर 2021 में केन्या के लिए रवाना हो गया.
बताया जा रहा है कि पासपोर्ट बनते ही अनमोल ने भारत छोड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी. जांच एजेंसियां अब इस बात की पड़ताल कर रही हैं कि पासपोर्ट जारी होने में किन प्रक्रियाओं का पालन किया गया और क्या इसमें किसी तरह की अनियमितता हुई थी. साथ ही, उसके विदेश भागने में किसकी मदद शामिल थी, यह भी जांच का महत्वपूर्ण हिस्सा है.
कैसे लॉरेंस से जुड़ा अनमोल बिश्नोई?
अनमोल बिश्नोई, लॉरेंस बिश्नोई का भाई है. लॉरेंस ने साल 2011 में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के दौरान SOPU नाम का छात्र संगठन खड़ा किया और स्टूडेंट यूनियन चुनाव में अध्यक्ष पद के लिए मैदान में उतरा. चुनावी गतिविधियों के बीच उस पर कई हमले हुए और आर्म्स एक्ट से जुड़े मामले भी दर्ज किए गए. इसी दौर में चंडीगढ़ और पंजाब की विरोधी गैंगों से उसकी तनातनी गहरी होती चली गई, जिसके बाद पंजाब में गैंगवार की घटनाओं में अचानक तेजी आ गई.
2016 में पढ़ाई के बहाने जोधपुर भेजा, लेकिन…
लॉरेंस ने 2016 में अनमोल को पढ़ाई के लिए जोधपुर भेजा, लेकिन वहां भी उसका नाम तीन मामलों में सामने आ गया. हमले और अवैध हथियार रखने जैसे आरोपों के साथ. साल 2016–17 के दौरान राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के कई कारोबारियों, बड़े भूमिपतियों और संपन्न लोगों से लॉरेंस गिरोह पर फिरौती वसूलने के आरोप लगे. इसी बीच अनमोल भी धीरे-धीरे अपने बड़े भाई की आपराधिक गतिविधियों में कदम रखता चला गया.
एक जेल में, दो बाहर… ऐसे चलता रहा नेटवर्क
लॉरेंस बिश्नोई 2015 से जेल में बंद है, लेकिन कैद के बावजूद उसने अपना नेटवर्क कमजोर नहीं होने दिया. जेल से ही वह फोन के जरिए गैंग को निर्देश देता रहा. दूसरी तरफ गोल्डी बराड़ और अनमोल बिश्नोई बाहर रहकर पूरे गैंग के ऑपरेशन को संचालित करते रहे.
जेल में बैठे लॉरेंस की ओर से व्यापारियों, बिल्डरों और कई राजनीतिक चेहरों को धमकी भरे कॉल किए जाते थे. फिरौती न देने वालों को निशाना बनाने की जिम्मेदारी गोल्डी और अनमोल पर होती थी. वे शूटर्स तैयार करते, उन्हें हथियार मुहैया कराते और वारदातों को अंजाम दिलवाते. हत्याओं के बाद सोशल मीडिया पर खुले तौर पर इसकी जिम्मेदारी लेकर गिरोह अपनी मौजूदगी का संदेश देता था.