जीजा-साले के 15 साल पुराने घरेलू झगड़े में पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को संगरूर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने 31 जनवरी तक स्टे दे दिया है. जीजा रजिंदर दीपा ने उनके खिलाफ केस किया था, जिसमें अमन अरोड़ा और उनकी मां सहित नौ लोगों को दो-दो साल की सजा हुई थी.
इस फैसले के बाद पंजाब सरकार में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को थोड़ी राहत मिली है. लिहाजा, अब अमन अरोड़ा 26 जनवरी को तिरंगा झंडा लहरा सकेंगे. बताते चलें कि 24 जनवरी को संगरूर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा और उनके जीजा रजिंदर दीपा के वकीलों के बीच लंबी चौड़ी बहस हुई थी.
संगरूर कोर्ट ने आज गुरुवार को सजा के मामले में 31 जनवरी तक स्टे दे दिया है. मामले की अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी. कोर्ट के फैसले के बाद अमन अरोड़ा ने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है. लाखों लोगों की दुआएं काम आई हैं. वहीं दूसरी तरफ उनके जीजा राजेंद्र दीपा ने कहा कि हमें कोर्ट पर पूरा विश्वास है, फैसला हमारे पक्ष में जाएगा.
संगरूर कोर्ट में हुई सुनवाई के बाद मिला स्टे
2 साल की सजा मामले में कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा की ओर से संगरूर डिस्टिक कोर्ट में 8 जनवरी को अपील की गई थी. इसको लेकर अगली सुनवाई के लिए 15 जनवरी की तारीख मिली थी. उसके बाद 19 जनवरी को सुनवाई होनी थी. मगर, उससे पहले उनके जीजा राजेंद्र दीपा हाईकोर्ट चले गए कि हमारी बात कोर्ट में पूरी तरह सुनी जाए.
इसको लेकर हाईकोर्ट की ओर से 24 जनवरी को संगरूर कोर्ट में दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही फैसला देने के लिए कहा गया. इसके लिए संगरूर में जज आरएस राय की अदालत में 24 जनवरी को सुनवाई हुई. दोनों ही पक्षों को ध्यान के साथ सुना गया. उनके वकीलों के बीच लंबी चौड़ी बहस हुई.
सुबह करीब 10:30 बजे से लेकर रात के तकरीबन 7:00 बजे तक यह बहस हुई. इसके बाद 25 जनवरी को जज आरएस राय की ओर से अमन अरोड़ा के सजा मामले में 31 जनवरी तक स्टे दे दिया गया. अब अगली सुनवाई 31 जनवरी को होगी. दोनों ही पक्षों की ओर से हुई कई घंटों की सुनवाई के बाद उस पर फैसला देने के लिए समय चाहिए होता है, इसलिए कुछ दिन के लिए स्टे को बढ़ा दिया गया है.
यह है मामला, जिसमें कैबिनेट मंत्री को हुई सजा
पंजाब सरकार के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा, उनकी माता समेत 9 लोगों को 2-2 साल की सजा हुई थी. यह मामला 2008 का था. तब अमन अरोड़ा और उनके रिश्ते में लगने वाले जीजा राजेंद्र दीपा के बीच घरेलू झगड़ा हुआ था. इसको लेकर राजेंद्र दीपा ने आरोप लगाए थे कि अमन अरोड़ा ने कुछ साथियों के समेत उनके घर पर आकर हमला किया था, जिसमें उनकी माता भी शामिल थीं.
राजेंद्र दीपा के अनुसार, वह पुलिस के पास गए थे. मगर, वहां सुनवाई नहीं हुई. फिर जनवरी 2009 में उन्होंने सुनाम कोर्ट का रुख किया और इस मामले में 21 दिसंबर 2023 को सुनाम कोर्ट ने पंजाब सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा और उनकी माता समेत 9 लोगों को दो-दो साल की सजा और 5000 रुपये जुर्माना लगाया था.
स्टे मिलने पर अमन बोले- सच्चाई की जीत हुई
संगरूर कोर्ट की ओर से 31 जनवरी तक स्टे मिलने पर अमन अरोड़ा ने कहा कि सच्चाई की जीत हुई है. हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. लाखों लोगों की दुआएं काम आई हैं. उन्होंने कहा कि जो 26 जनवरी को झंडा न फहराने के लिए एप्लीकेशन लगाई गई थी. अब जब कि स्टे मिल चुका है, अब उसका कोई मतलब नहीं रह जाता. हम झंडा फहराएंगे. उन्होंने कहा कि मुश्किल की घड़ी में मेरे सरकार के साथी, मेरे साथ खड़े हुए, उन्होंने मुझ पर विश्वास जताया.
जानिए क्या बोले दोनों पक्षों के वकील
अमन अरोड़ा की वकील योगेश गुप्ता ने बताया कि 24 जनवरी को संगरूर कोर्ट में घंटे की लंबी चौड़ी बहस हुई थी. दोनों ही पक्षों को सुना गया था. दोनों ही पक्षों की ओर से अपनी बात मजबूती के साथ रखी गई थी. इसके लिए जो डॉक्यूमेंट थे, वो पेश किए गए थे. इसको पढ़कर जज साहब की ओर से फैसला दिया जाना था. इसी मामले में जज साहब ने हमें 31 जनवरी तक स्टे दिया है. अब अगली सुनवाई 31 जनवरी 2024 को होगी.
वहीं, जब इस पूरे मामले पर अमन अरोड़ा के जीजा राजेंद्र दीपा से बात की गई, तो उन्होंने कहा हम कोर्ट के फैसले का स्वागत करते हैं. कल घंटों तक लंबी चौड़ी बहस हुई थी. पूरा जजमेंट पढ़कर होना होता है इसलिए कुछ दिनों के लिए इस मामले को आगे टाल दिया गया है. अमन अरोड़ा को 31 जनवरी तक स्टे मिला है. हमें कानून पर भरोसा है. फैसला हमारे पक्ष में जाएगा.
राजनीति भी है इस झगड़े की वजह
आपको बता दें कि भले ही यह मामला जीजा-साले के बीच झगड़े का है. मगर, इसके पीछे राजनीति भी एक बड़ी वजह है. दरअसल, रिश्ते में लगने वाले जीजा राजेंद्र दीपा अभी शिरोमणी अकाली दल का हिस्सा हैं. वहीं, अमर अरोड़ा पंजाब की आम आदमी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री हैं.
जब यह पूरा मामला सुर्खियों में आया था, उस समय दोनों ही कांग्रेस में शामिल थे. साल 2012 में कांग्रेस की ओर से अमन अरोड़ा को टिकट मिल चुका था, जबकि राजेंद्र दीपा निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे थे. हालांकि, दोनों ही चुनाव हार गए थे.