वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद के ASI सर्वे के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. मुस्लिम पक्ष ने याचिका में 7 दलील दी हैं. मुस्लिम पक्ष का दावा है कि ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है और 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया.
Live Updates:
- सीजे ने पूछा कि क्या वाराणसी कोर्ट का सील किए गए क्षेत्र से कोई लेना-देना है? इस पर विष्णु जैन ने कहा, सील क्षेत्र यानी वजुखाना में कोई काम नहीं किया जाएगा. इस पर नकवी ने कहा, वजूखाना संपत्ति का हिस्सा है और सर्वे में उसे नुकसान भी हो सकता है. हाईकोर्ट ने इस पर कहा कि वाराणसी कोर्ट के आदेश में इस बात का कोई जिक्र नहीं है कि इमारत गिर सकती है.
- हाईकोर्ट ने कहा कि हिंदू पक्ष और जिला अदालत ने अपने आदेश में यह स्पष्ट नहीं किया है कि एएसआई द्वारा खुदाई कैसे की जाएगी. इस पर विष्णू जैन ने कहा, जिला अदालत ने कहा है कि संरचना को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए. इसी का पालन किया जा रहा है.
- इस पर मुस्लिम पक्ष की ओर से पेश वकील नकवी ने कहा, हिंदू पक्ष की अर्जी में पहले ही कहा गया है कि तीन गुंबदों के नीचे खुदाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि हम पिछले अनुभवों की वजह से सर्वेक्षण पर हिंदू पक्ष पर भरोसा नहीं कर सकते. इस पर कोर्ट ने उनसे पूछा कि तब आप कोर्ट के फैसले पर कैसे भरोसा कर सकते हैं? कोर्ट ने विष्णु जैन से वीडियोग्राफी कराने या पुष्टि कर बयान देने को कहा कि ढांचे को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा.
- मुस्लिम कमेटी की ओर से पेश वरिष्ठ वकील नकवी ने कहा, यह ठीक नहीं है, कोई कोर्ट की ओर से किसी और को सबूत जुटाने के लिए नहीं कह सकता. उनका कहना है कि हिंदू पक्ष ASI द्वारा जुटाए गए सबूतों के आधार पर सबूत पेश करेगा.
- नकवी ने कहा, हिंदू पक्ष का रुख बिल्कुल भी स्पष्ट नहीं है.
- हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष ने पूछा कि क्या खुदाई जरूरी है. इस पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णू शंकर जैन ने कहा, खुदाई जरूरी है लेकिन हम मस्जिद के अंदर यह काम नहीं करेंगे. केवल बंजर भूमि पर खुदाई करेंगे. जरूरत पड़ने पर ही इसे अंतिम चरण में किया जाएगा.
- हाईकोर्ट ने हिंदू पक्ष से पूछा कि जब आवेदन में बार-बार एएसआई का जिक्र है तो एएसआई को पक्षकार क्यों नहीं बनाया गया.
जिला कोर्ट ने दिया था ASI सर्वे का आदेश
दरअसल, पिछले दिनों जिला जज एके विश्वेश ने शुक्रवार को मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. ASI को 4 अगस्त तक सर्वे की रिपोर्ट वाराणसी की जिला अदालत को सौंपनी थी. इसी आदेश के बाद ASI की टीम सोमवार को ज्ञानवापी का सर्वे करने पहुंची थी. लेकिन मुस्लिम पक्ष ने इस सर्वे पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने सर्वे पर दो दिन के लिए रोक लगाते हुए मस्जिद कमेटी को हाईकोर्ट जाने को कहा था. इसके बाद मुस्लिम पक्ष ने मंगलवार को हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस पर आज सुनवाई हो रही है.
मुस्लिम पक्ष ने हाईकोर्ट में दी ये दलीलें
- 1669 में वाराणसी में कोई मंदिर किसी बादशाह के आदेश से नहीं तोड़ा गया.
- ज्ञानवापी मस्जिद पिछले 1000 साल से भी ज्यादा समय से वहां पर मौजूद है.
- कोर्ट को ओर से नियुक्त एडवोकेट कमिश्नर के सर्वेक्षण के दौरान भी परिसर स्थित वजूखाना से मिली आकृति शिवलिंग नहीं बल्कि पानी का फव्वारा थी.
- राम जन्मभूमि के मामले में फैसले की परिस्थितियां अलग थीं. अयोध्या रामजन्म भूमि स्थित राम मंदिर का उदाहरण और हवाला ज्ञानवापी के मामले में नहीं दिया जा सकता है. ज्ञानवापी मस्जिद के नीचे विश्वेश्वर भगवान का मंदिर होने की जो बात की जा रही है, वो मनगढ़ंत है.
- हिंदू पक्ष की ये कोरी कल्पना है कि पश्चिमी दीवार और मस्जिद के ढांचे के नीचे कुछ मौजूद है. कल्पना के आधार पर ASI सर्वे की इजाजत नहीं दी जा सकती है.
- जिला जज की कोर्ट से ज्ञानवापी परिसर का ASI से आधुनिक वैज्ञानिक और तकनीकी सर्वे का आदेश जारी किया जाना गैरकानूनी है.
- हिंदू पक्ष का दावा है कि प्लॉट नंबर 9130 पर ही 1585 में राजा टोडरमल ने मंदिर का निर्माण कराया और 1669 में उसे तोड़ दिया गया. उसी मंदिर में देवी श्रृंगार गौरी, हनुमान और गणेश भगवान की पूजा की मांग महिलाएं कर रही हैं. मुस्लिम पक्षकारों ने इस दावे को भी सिरे से गलत बताया है.
जिला कोर्ट ने दिया था सर्वे का आदेश
- दरअसल, अगस्त 2021 में पांच महिलाओं ने वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिविजन) के सामने एक वाद दायर किया था. इसमें उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद के बगल में बने श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना पूजा और दर्शन करने की अनुमति देने की मांग की थी.
- महिलाओं की याचिका पर जज रवि कुमार दिवाकर ने मस्जिद परिसर का एडवोकेट सर्वे कराने का आदेश दिया था. कोर्ट के आदेश पर पिछली साल तीन दिन तक सर्वे हुआ था. सर्वे के बाद हिंदू पक्ष ने यहां शिवलिंग मिलने का दावा किया था. दावा था कि मस्जिद के वजूखाने में शिवलिंग है. हालांकि, मुस्लिम पक्ष का कहना था कि वो शिवलिंग नहीं, बल्कि फव्वारा है जो हर मस्जिद में होता है.
- इसके बाद हिंदू पक्ष ने विवादित स्थल को सील करने की मांग की थी. सेशन कोर्ट ने इसे सील करने का आदेश दिया था. इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
- SC ने केस जिला जज को ट्रांसफर कर इस वाद की पोषणीयता पर नियमित सुनवाई कर फैसला सुनाने का निर्देश दिया था. मुस्लिम पक्ष की ओर से यह दलील दी गई थी कि ये प्रावधान के अनुसार और उपासना स्थल कानून 1991 के परिप्रेक्ष्य में यह वाद पोषणीय नहीं है, इसलिए इस पर सुनवाई नहीं हो सकती है. हालांकि, कोर्ट ने इसे सुनवाई योग्य माना था.
- इसके बाद पांच वादी महिलाओं में से चार ने इसी साल मई में एक प्रार्थना पत्र दायर किया था. इसमें मांग की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद के विवादित हिस्से को छोड़कर पूरे परिसर का ASI से सर्वे कराया जाए. इसी पर जिला जज एके विश्वेश ने अपना फैसला सुनाते हुए ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था.