लोकसभा में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने पर खास चर्चा हुई. इस दौरान संसद का सत्र हंगामेदार रहा. पीएम मोदी ने इस खास चर्चा की शुरुआत खुद की और उन्होंने अपने एक लंबे संबोधन में संसद में विपक्ष पर निशाना साधा. विपक्ष ने भी इस चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष का अपने तर्कों से घेराव किया. वंदे मातरम् पर चर्चा के बाद अब लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.
10 घंटे लंबी चली इस चर्चा में क्या रहा खास, पढ़ें विस्तार से-
लोकसभा में वंदे मातरम् पर चर्चा के दौरान पीएम मोदी ने कांग्रेस पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि 15 अक्टूबर 1936 को मोहम्मद अली जिन्ना ने वंदे मातरम् के खिलाफ नारा दिया, और कांग्रेस नेतृत्व तुरंत दबाव में आ गया. पीएम के मुताबिक, कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू ने जिन्ना का जवाब देने के बजाय वंदे मातरम् की पृष्ठभूमि पर सवाल उठाने शुरू कर दिए. नेहरू ने नेताजी को पत्र लिखकर कहा कि 'आनंदमठ' की पृष्ठभूमि मुस्लिमों को आहत कर सकती है. इसके बाद कांग्रेस ने घोषणा की कि गीत के उपयोग की समीक्षा होगी. देशभर में विरोध हुआ, लेकिन अंततः कांग्रेस ने वंदे मातरम् को सीमित कर दिया. पीएम बोले, कांग्रेस मुस्लिम लीग के सामने झुक गई."
कांग्रेस ने की तुष्टिकरण की राजनीति- पीएम मोदी
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप लगाते हुए कहा कि इसी दबाव में वंदे मातरम् को बांटा गया और यही मानसिकता बाद में देश के बंटवारे तक ले गई. उन्होंने कहा कि कांग्रेस की नीतियों में आज भी वही भ्रम है, "INC चलते-चलते MNC हो गया." पीएम के मुताबिक, कांग्रेस जिनके साथ खड़ी होती है, वे वंदे मातरम् पर विवाद खड़ा करते हैं. पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् की 50वीं वर्षगांठ उस दौर में आई, जब भारत गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. लोग अत्याचार झेल रहे थे, लेकिन यह गीत उन्हें उम्मीद और संकल्प देता था. वहीं 100वीं वर्षगांठ पर देश आपातकाल के अंधेरे दौर से गुजर रहा था. उन्होंने कहा कि तब लोकतंत्र पर हमला हो रहा था, संविधान का गला घोंटा जा रहा था और कई देशभक्त जेलों में थे. ऐसे समय में भी वंदे मातरम् लोगों को हिम्मत देता रहा.
पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम् कोई सामान्य गीत नहीं है. यह मातृभूमि को बेड़ियों से मुक्त कराने का मंत्र, प्रेरणा और आंदोलन था. उन्होंने कहा कि इस गीत ने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा तय की और लाखों लोगों को साहस दिया. पीएम मोदी ने बंगाल विभाजन का जिक्र करते हुए कहा कि अंग्रेजों ने सोचा था,

"बंगाल टूटेगा तो भारत टूटेगा" लेकिन वंदे मातरम् ने उनके पूरे प्रयास को विफल कर दिया. लोग आंदोलन में कूद पड़े और अंग्रेजों को अपनी नीतियां बदलनी पड़ीं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि आधुनिक भारत की प्रगति, तकनीक, वैश्विक नेतृत्व और आत्मनिर्भरता की दिशा में बढ़ते कदम, सबमें वही ऊर्जा है जिसने देश को आजादी दिलाई थी. उन्होंने कहा कि वंदे मातरम् इस देश की आत्मा में बसता है और आने वाले वर्षों में भारत को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाली शक्ति बना रहेगा.
'बंकिम दा' कहने पर हंगामा
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तृणमूल कांग्रेस के बीच एक दिलचस्प संवाद हुआ. पीएम मोदी ने 'वंदे मातरम्' के रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' कहकर संबोधित किया था, जिस पर तृणमूल कांग्रेस ने आपत्ति जताई. इसके बाद प्रधानमंत्री ने तुरंत उन्हें 'बंकिम बाबू' कह कर संबोधित किया. दरअसल, लोकसभा में चर्चा के दौरान तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद सौगत रॉय ने पीएम मोदी से अनुरोध किया कि वह बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय को 'बंकिम दा' की बजाय अधिक सम्मानजनक संबोधन 'बंकिम बाबू' से संबोधित करें. सौगत रॉय के इस अनुरोध पर पीएम मोदी ने मुस्कुराते हुए तुरंत जवाब दिया, 'ठीक है, मैं बंकिम बाबू कहूंगा. धन्यवाद, मैं आपकी भावनाओं का सम्मान करता हूं.' इसके बाद पीएम ने सौगत रॉय से पूछा कि अब मैं आपको दादा तो बोल सकता हूं न? या इसमें भी कोई आपत्ति है? इससे पहले प्रधानमंत्री ने तृणमूल कांग्रेस के सदस्य द्वारा बहस की शुरुआत में कुछ टिप्पणी किए जाने पर रॉय का हालचाल पूछा था.
सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने केंद्र सरकार पर बोला हमला
सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोमवार को केंद्र की मोदी सरकार पर करारा हमला बोला. प्रियंका ने वंदे मातरम् पर चर्चा को पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव से जोड़ते हुए कहा कि सरकार जानबूझकर जनता का ध्यान वर्तमान की समस्याओं से हटाकर अतीत में भटकाना चाहती है. उन्होंने पीएम पर निशाना साधते हुए कहा कि जितने साल मोदी अबतक PM रहे, उतने साल तो नेहरू जेल में रहे हैं. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सदन में बोलते हुए कहा, 'हमारे संसद में राष्ट्रीय गीत पर चर्चा हो रही है. जो एक भावना के ऊपर है. जब हम वंदे मातरम् का नाम लेते हैं तो वही भावना उजागर होती है. स्वतंत्रता संग्राम की याद दिलाता है. उसका साहस, बल, नैतिकता याद दिलाता है. ब्रिटिश साम्राज्य इसके सामने झुक गया.'
प्रियंका गांधी ने कहा, 'ये गीत 150 साल से देश की आत्मा का हिस्सा है. देश के लोगों के दिल में बसा है. 75 साल से ये देश में है. आज इस पर बहस की चर्चा क्यों हो रही है. मकसद क्या है इसका. जनता का विश्वास, दायित्व उनके प्रति हमारी जिम्मेदारी हम कैसे निर्वहन कर रहे हैं.' उन्होंने ये भी कहा कि बंगाल चुनाव की वजह से 'वंदे मातरम्' पर चर्चा हो रही है.

प्रियंका गांधी ने कहा, 'आपका मकसद है इसी अतीत में मंडराते रहें जो हो चुका है, जो बीत चुका है, ये सरकार वर्तमान, भविष्य की ओर देखना नहीं चाहते. आज मोदी जी वो पीएम नहीं रहे जो पहले थे. इनकी नीतियां देश को कमजोर कर रही हैं. देश महंगाई, बेरोजगारी, किसान संकट और तमाम समस्याओं से जूझ रहा है, सत्तापक्ष के लोग भी इससे सहमत हैं, इसलिए चुप हैं. देश को लोग तमाम समस्याओं से घिरे हैं. इनके पास इसका हल नहीं है. उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा, 'कल समय आ रहा है जब चुनाव सुधारों पर चर्चा होगी, तब भी हम बोलेंगे.'
'नेहरू ने जेल में काटे 12 साल'
वायनाड सांसद ने पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री महोदय 12 साल से प्रधानमंत्री हैं, उतने साल तो पंडित नेहरू ने जेल में बिता दिए. उन्होंने ये भी कहा कि पंडित नेहरू के अपमान के लिए आपके मन में जितनी चीजें उन सभी को जमा कर लीजिए, फिर अध्यक्ष महोदय की अनुमति से लंबी चर्चा कर लीजिए, लेकिन जनता से हमे जिस काम के लिए यहां भेजा है, उस पर बात कीजिए. बेरोजगारी, गरीबी, प्रदूषण... इन पर बात क्यों नहीं होती है?.अगर नेहरू ने ISRO नहीं बनाया होता तो आज बंगाल यहां नहीं होता. अगर DRDO नहीं बनाते तो तेजस कहां बनता. AIIMS नहीं बनाते तो कोविड में लोगों का इलाज कहां होता. देश की सेवा करते नेहरू ने दम तोड़ा.
प्रियंका गांधी ने BJP पर तंज कसते हुए कहा, 'आप (BJP) चुनाव के लिए हैं, हम देश के लिए हैं. हम चाहे कितने भी चुनाव हार जाएं, हम यहां बैठकर आपसे और आपकी विचारधारा से लड़ते रहेंगे. हम अपने देश के लिए लड़ते रहेंगे. आप हमें रोक नहीं सकते...'
राजनाथ सिंह बोले- वंदे मातरम् के साथ जो अन्याय हुआ, उसे जानना जरूरी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को कांग्रेस और उसके नेताओं पर तीखा हमला बोला. उन्होंने बिना नाम लिए इशारों-इशारों में कहा कि जिन्ना के चश्मे से भारत देखने वालों को ही ‘वंदे मातरम्’ सांप्रदायिक लगता है.उन्होंने कहा, 'बंगाल विभाजन के खिलाफ हुए आंदोलन के दौरान वंदे मातरम की गूंज जनमानस में बैठी. ब्रिटिश हुकूमत ने इसके खिलाफ एक सर्कुलर जारी किया, लेकिन फिर भी ब्रिटिश हुकूमत लोगों के मानस से वंदे मातरम् को नहीं निकाल सकी. राष्ट्रीय चेतना जागृत करने के लिए उस समय वंदे मातरम् समिति भी बनाई गई थी. 1906 में जब पहली बार भारत का पहला झंडा बनाया गया, तब उसके मध्य में वंदे मातरम् लिखा था. वंदे मातरम् नाम से अखबार भी था.'
'उस्मानिया यूनिवर्सिटी में भी वंदे मातरम् पर था प्रतिबंध'
उन्होंने कहा कि अप्रैल 1906 में ब्रिटिश सरकार ने सार्वजनिक रूप से वंदे मातरम का नारा लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया था. लोगों ने खुलेआम इस आदेश की अवहेलना की... इसी तरह, उस्मानिया विश्वविद्यालय में भी वंदे मातरम का नारा लगाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. इस आदेश का विरोध करने के लिए राम चंद्र नाम के एक छात्र को जेल में डाल दिया गया था.
'वंदे मातरम् के साथ नहीं हुआ न्याय'
राजनाथ सिंह ने कहा, 'वंदे मातरम् के साथ जो न्याय होना चाहिए था, वह नहीं हुआ. जन-गण-मण राष्ट्रीय भावना में बसी, लेकिन वंदे मातरम् को दबाया गया. वंदे मातरम् के साथ हुए अन्याय के बारे में हर किसी को जानना चाहिए. वंदे मातरम् के साथ इतिहास का एक बड़ा छल हुआ. इस अन्याय के बावजूद वंदे मातरम् का महत्व कभी कम नहीं हो पाया. वंदे मातरम् स्वयं में पूर्ण है, लेकिन इसे कांग्रेस ने अपूर्ण बनाने की कोशिश की गई.' राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि जन-गण-मन और वंदे मातरम मां भारती की दो आंखें है. मां भारती के दो अमर सपूतों की किलकारियां हैं. वंदे मातरम का उदघोष किसी के खिलाफ नहीं है. बल्कि यह हमारे राष्ट्रीय स्वाभिमान की अभिव्यक्ति है.

रक्षा मंत्री ने ‘आनंदमठ’ और ‘वंदे मातरम्’ पर लगने वाले सांप्रदायिकता के आरोपों को सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा, 'उपन्यास ‘आनंदमठ’ कभी भी इस्लाम-विरोधी नहीं था. आनंद मठ में एक पात्र जब वंदे मातरम् गाता है, तो दूसरा पात्र पूछता है कि ये माता कौन है? तब वह कहता है जन्मभूमि. हमने ‘वंदे मातरम्’ के सिर्फ पहले दो पद ही सुने हैं, बाकी पदों को भुला दिया गया. अब समय आ गया है कि हम पूरे गीत को समझें. बंकिम बाबू ने बाकी पदों में भारत मां की पूरी महिमा गाई है.'
वंदे मातरम् के शताब्दी वर्ष में देश आपातकाल से जूझ रहा था- भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर
भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा- एक समय वो था जब वंदे मातरम् का शताब्दी वर्ष था. उस समय आपातकाल लगाकर देश को अंधकार में डालने का काम किया गया. उन्होंने आगे कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश के संविधान को तार-तार करने का काम किया था. उस समय तो चर्चा भी नहीं हो पाई थी. आज पीएम मोदी ने अपने भाषण में वंदे मातरम् का इतिहास और महत्व को देश के सामने रखा है. सांसद अनुराग ठाकुर ने कहा कि वंदे मातरम से हमें 'एनर्जी' मिलती है, वहीं विपक्षी दल को इससे 'एलर्जी' होती है. ‘‘कांग्रेस ने वंदे मातरम् के शताब्दी वर्ष पर आपातकाल लगाकर देश को अंधेरे में पहुंचाया. यह काम उस समय की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया और आज स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वंदे मातरम् के इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को देश के सामने रखा.
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा बोली- चुनाव का समय है इसलिए बीजेपी बना रही मुद्दा
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा- बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय ने वंदे मातरम् के सिर्फ दो पैरा ही 1875 में लिखे थे. बाद में 1882 में अपनी किताब में चार और स्टैंजा जोड़े पहले 2 पद देश की खूबसूरती बताते हैं, लेकिन बाद वाले स्टैंजा अलग भावना वाले हैं. रवींद्रनाथ टैगोर ने इस गीत को 1896 में पहली बार सार्वजनिक रूप से गाया था. 1937 में कांग्रेस ने टैगोर से पूछा कि कौन से पद इस्तेमाल किए जाएं, तो उन्होंने साफ कहा कि राष्ट्रीय एकता के लिए सिर्फ पहले दो पद ही लिए जाएं. बात वहीं तय हो गई थी. अब चुनाव का समय है, इसलिए बीजेपी इसे मुद्दा बना रही है। अगर उन्हें सच में सम्मान होता, तो हमारे लोगों को उनके राज्यों में नहीं पीटा जाता और हमारी भाषा को ‘बांग्लादेशी’ नहीं कहा जाता.

हमारे लिए भूमि महज धरती का टुकड़ा नहीं मां के तौर देखी जाती है- सांसद बांसुरी स्वराज
भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने आज इसके सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व को रेखांकित किया. उन्होंने कहा कि अक्षय नवमी के दिन वंदे मातरम का सृजन हुआ. इसी दिन भगवान कृष्ण की बाल लीलाएं समाप्त हुई थीं। उन्होंने वंदे मातरम को भारत के रस का मंत्र बताया. भारत में राष्ट्रवाद एक राजनीतिक संरचना नहीं, आध्यात्मिक चेतना है. हमारे लिए भूमि महज धरती का टुकड़ा नहीं मां के तौर देखी जाती है. यहां भारत को भौगोलिक सीमाओं में नहीं संस्कारों में निहित देखा जाता है. वंदे मातरम हमारा राष्ट्रगान, धर्म, कर्तव्य और राष्ट्रधर्म की साक्षात प्रेरणा कर्मयोगी भगवान कृष्ण से प्राप्त करके ही संचालित करता है. पूरे देश को कश्मीर से कन्याकुमारी तक वंदे मातरम एकता के सूत्र में बांधता है.
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने कांग्रेस पर साधा निशाना
बीजेपी नेता संबित पात्रा ने सुभाष चंद्र बोस और नेहरू की चिट्ठी का जिक्र किया. पात्रा ने कहा कि बोस ने नेहरू को पत्र सीडब्ल्यूसी की 1937 में होने वाली बैठक को लेकर लिखा था. पात्रा ने 9 अक्टूबर 1937 को बैठक के एजेंडे को लेकर कहा कि उसमें लिखा था कि CWC तय करेगी की वंदे मातरम का क्या करना है. पात्रा ने आनंदमठ को नेहरू द्वारा जल्दबाजी में पढ़े जाने का जिक्र किया.
इंजीनियर रशीद बोले- केंद्र सरकार ने मेरी मातृभूमि से सबकुछ छीन लिया
बारामूला से सांसद इंजीनियर रशीद ने वंदे मातरम पर चर्चा में कहा कि देश ने कभी हमें अपना नहीं माना, उन्होंने अपनी मातृभूमि जम्मू कश्मीर को सलाम किया. उन्होंने कहा कि मैं सलाम करता हूं अपनी मातृ भूमि को जिसके लिए मोदी और नेहरु ने बड़े बड़े वादे किए लेकिन पूरा नहीं किया.