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असम के कछार में एयरपोर्ट के निर्माण पर SC ने लगाई रोक, पर्यावरण रिपोर्ट आने तक नहीं शुरू होगा काम

याचिका में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए डोलू टी एस्टेट में 41 लाख से अधिक चाय की झाड़ियों को उखाड़ दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा कि वर्तमान मामले में अधिकारियों ने बिना किसी पर्यावरणीय मंजूरी के प्रोजेक्ट साइट पर व्यापक निर्माण कार्य की मंजूरी देकर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 का उल्लंघन किया है.

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डोलू चाय बागान में एयरपोर्ट के निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे. (ANI Photo)
डोलू चाय बागान में एयरपोर्ट के निर्माण कार्य पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाया स्टे. (ANI Photo)

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को असम के कछार जिले के डोलू टी एस्टेट में किसी भी गतिविधि पर रोक लगा दी, जहां एक ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का निर्माण प्रस्तावित है. शीर्ष अदालत ने कहा कि जब तक इस प्रोजेक्ट को लेकर पर्यावरण विभाग की क्लीयरेंस रिपोर्ट हम तक नहीं पहुंच जाती तब तक यथास्थिति बनी रहेगी. यानी हवाई अड्डे के निर्माण से जुड़े सभी काम स्थगित रहेंगे. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष विचार के लिए आई जनहित याचिका के मुताबिक पर्यावरण मंजूरी लिए बिना ही डोलू टी एस्टेट में एयरपोर्ट बनाने के लिए चाय की लाखों झाड़ियां और पेड़ काटे जा रहे हैं.

याचिका में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए डोलू टी एस्टेट में 41 लाख से अधिक चाय की झाड़ियों को उखाड़ दिया गया है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने इसका संज्ञान लेते हुए कहा कि वर्तमान मामले में अधिकारियों ने बिना किसी पर्यावरणीय मंजूरी के प्रोजेक्ट साइट पर व्यापक निर्माण कार्य की मंजूरी देकर पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना, 2006 (Environment Impact Assessment Notification, 2006) का उल्लंघन किया है. शीर्ष अदालत ने 'अपने कर्तव्य से पूरी तरह विमुख' होने के लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की भी आलोचना की. शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं की याचिका खारिज करने से पहले उनकी शिकायत की प्रामाणिकता को सत्यापित करना एनजीटी का पहला और सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य था. 

पर्यावरणीय मंजूरी मिलने तक नहीं होगा काम: SC

शीर्ष अदालत ने कहा कि एयरपोर्ट कहां होना चाहिए यह निर्णय नीतिगत का मामला है, लेकिन जब कानून पर्यावरणीय मंजूरी की आवश्यकता वाली गतिविधियों के लिए विशिष्ट मानदंड निर्धारित करता है, तो उसका अनुपालन करना होगा. कछार डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के सचिव द्वारा दायर रिपोर्ट पर गौर करने के बाद पीठ ने कहा, 'हम निर्देश देते हैं कि ईआईए अधिसूचना, 2006 का उल्लंघन करके कोई गतिविधि नहीं की जाएगी.' असम सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिकाकर्ताओं के अधिकार क्षेत्र का विरोध किया और कहा कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. 

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शीर्ष अदालत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के उस आदेश के खिलाफ तापस गुहा और अन्य द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें प्रस्तावित हवाई अड्डे के निर्माण के खिलाफ उनकी याचिका को 'विशेष आधार' पर खारिज कर दिया गया था. याचिका में प्रोजेक्ट से पर्यावरण पर पड़ने वाले प्रभाव का आकलन (Environmental Impact Assessment) होने तक हवाई अड्डे के निर्माण से संबंधित आगे की कार्रवाई को रोकने का निर्देश देने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को पिछली सुनवाई के दौरान भी असम सरकार को डोलू चाय बागान में यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया था.

लाखों झाड़ियां और छायादार पेड़ काटने का आरोप

एनजीटी ने इस साल 25 जनवरी को, तापस गुहा और अन्य की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि अभी परियोजना के लिए पर्यावरण मंजूरी नहीं दी गई है और ईआईए रिपोर्ट की प्रतीक्षा की जा रही है. याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि 26 अप्रैल को राज्य सरकार ने जमीन पर कब्जा ले लिया और तब से अब तक लाखों झाड़ियां और छायादार पेड़ काट दिए गए हैं. इन झाड़ियों की ऊंचाई दस से 15 फीट है. असम सरकार का तर्क है कि इस क्षेत्र में एरियल कनेक्टिविटी की जरूरत है और इसलिए निर्धारित स्थान पर सिविल एयरपोर्ट का निर्माण आवश्यक है.

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