इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM के जरिये डाले गए वोट और VVPAT की पर्चियों से शत प्रतिशत मिलान के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से अपने दिए गए फैसले पर पुनर्विचार की गुहार लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू याचिका दाखिल की गई है.
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई इस याचिका में इसी मामले पर बीते 26 अप्रैल को दिए गए फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई है. जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने EVM के जरिये डाले गए वोट और VVPAT में मौजूद वोट की पर्चियों का शत प्रतिशत मिलान समेत अन्य कई मांग वाली याचिका खारिज करते हुए ECI को निर्देश दिया था कि चुनाव के बाद सिंबल लोडिंग यूनिटों को भी 30 की बजाय 45 दिनों सील कर सुरक्षित रखा जाए.
खर्चा प्रत्याशी से वसूलने का निर्देश
कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया था कि उम्मीदवारों के पास परिणामों की घोषणा के बाद टेक्निकल विशेषज्ञों की टीम द्वारा EVM के माइक्रोकंट्रोलर प्रोग्राम की जांच कराने का विकल्प भी होगा. इसे चुनाव की घोषणा के सात दिनों के भीतर किया जा सकेगा. कोर्ट ने अपने सर्वसम्मत निर्णय में यह भी कहा था कि अगर नतीजे में दूसरे और तीसरे नंबर पर आए प्रत्याशी के द्वारा वेरिफिकेशन की मांग की जाती है तो उस स्थिति में इसका खर्चा प्रत्याशी से वसूला जाए.
कोर्ट ने इन मामलों पर विचार करने को कहा था
अगर EVM में कोई छेड़छाड़ मिलती है तो उसे खर्चा वापस कर दिया जाएगा. कोर्ट ने ECI को वीवीपीएटी में मौजूद वोटिंग वाली कागज की पर्चियों पर क्यूआर कोड या बार कोड की व्यवस्था कर उनकी गिनती के लिए इलेक्ट्रॉनिक मशीन के सुझाव पर ध्यान देने को कहा था. पीठ ने आयोग को इस पर भी विचार करने को कहा था कि क्या चुनाव चिन्ह के साथ-साथ प्रत्येक पार्टी के लिए बार कोड का भी प्रयोग हो सकता है?