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मणिपुर: अपने ही क्षेत्र में रोके जाने पर भड़के कांग्रेस सांसद, बोले- संविधान का हो रहा उल्लंघन

कांग्रेस सांसद ने मंगलवार को इंफाल स्थित अपने निवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि उन्हें 29 जून को बिष्णुपुर जिले के फौगकचो-इखाई माखा लेकाई केथेल क्षेत्र में जाने से सुरक्षा बलों ने रोक दिया. यह इलाका उनकी लोकसभा सीट (इनर मणिपुर) में ही आता है.

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कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजाम (File Photo)
कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजाम (File Photo)

मणिपुर में कांग्रेस सांसद अंगोमचा बिमोल अकोइजाम ने राज्य में लागू कथित 'बफर जोन' को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने इसे काल्पनिक और असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह न केवल भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का उल्लंघन है, बल्कि यह मैतेई और कुकी समुदायों के बीच सांप्रदायिक खाई को और गहरा करने वाला कदम है.

कांग्रेस सांसद ने मंगलवार को इंफाल स्थित अपने निवास पर मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि उन्हें 29 जून को बिष्णुपुर जिले के फौगकचो-इखाई माखा लेकाई केथेल क्षेत्र में जाने से सुरक्षा बलों ने रोक दिया. यह इलाका उनकी लोकसभा सीट (इनर मणिपुर) में ही आता है.

उन्होंने कहा, "किसी भारतीय नागरिक विशेष रूप से एक निर्वाचित सांसद को अपने ही निर्वाचन क्षेत्र में जाने से रोकना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 19 का सीधा उल्लंघन है."

बिमोल ने आरोप लगाया कि मई 2023 में भीड़ हिंसा को रोकने के नाम पर जो बफर जोन बनाया गया था, उसे अब दुरुपयोग कर नागरिकों की आवाजाही रोकी जा रही है और समुदायों को अलग-थलग किया जा रहा है.

उन्होंने सवाल किया कि जब सरकार खुद कह चुकी है कि ऐसा कोई बफर ज़ोन अस्तित्व में नहीं है, तो सुरक्षा बल किस आधार पर इसे लागू कर रहे हैं?

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सोशल मीडिया पर भी जताई नाराजगी

कांग्रेस सांसद ने सोशल मीडिया के ज़रिए भी अपनी नाराज़गी जाहिर की और लिखा, “मुझे अपनी ही सीट के एक क्षेत्र में जाने से रोक दिया गया, जबकि दूसरे समुदायों के नागरिकों को बेरोकटोक जाने दिया गया. यह सुरक्षा के नाम पर संस्थागत सांप्रदायिक भेदभाव का उदाहरण है.”

बिमोल ने 6 असम राइफल्स पर भी गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि इसी बल ने बैरिकेड खड़ा कर उनकी आवाजाही रोकी, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई. उन्होंने हाल की दो घटनाओं का हवाला भी दिया. उन्होंने कहा कि 16 जून, इंफाल ईस्ट में मैतेई किसानों पर कथित रूप से हमला हुआ. 20 जून, फुबाला क्षेत्र में किसानों को खेती करने से रोका गया. यह मैतेई किसानों को डराने और उन्हें अपनी ही ज़मीन पर खेती से हतोत्साहित करने की बड़ी साज़िश का हिस्सा है.

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