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वकीलों का पेशा अनूठा, SC ने सेवाओं में कमी के लिए वकीलों को नहीं माना जिम्मेदार

एक महत्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा,'वकीलों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत आने वाली सेवा की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा. न्यायालय ने एनसीडीआरसी के 2007 के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति दे दी है, जिसमें कहा गया था कि वकीलों की सेवाएं कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कवर की जाएंगी.'

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Supreme Court (File Photo)
Supreme Court (File Photo)

कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट वकीलों पर लागू हो सकता है या नहीं, इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बेहद अहम फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों का पेशा अनूठा है, इसलिए सेवाओं में कमी होने पर उन्हें कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.

एक महत्वपूर्ण फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को कहा,'वकीलों को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत आने वाली सेवा की परिभाषा से बाहर रखा जाएगा. न्यायालय ने एनसीडीआरसी के 2007 के फैसले के खिलाफ अपील की अनुमति दे दी है, जिसमें कहा गया था कि वकीलों की सेवाएं कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के तहत कवर की जाएंगी.

अदालत की स्वायत्ता का सम्मान करें ग्राहक

अदालत के मुताबिक वकील और मुवक्किल के बीच के रिश्ते में बेहद खास विशेषताएं होती हैं. अदालत ने कहा कि अधिवक्ताओं को अपने ग्राहकों का एजेंट माना जाता है, उन्हें अपने ग्राहकों की स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए, वे अदालत की सहमति के बिना रियायतें देने या अदालत के समक्ष वचन देने के हकदार नहीं हैं. इसके अलावा वकील ग्राहकों से अंडरटेकिंग मांगने के लिए बाध्य हैं. वकील अदालत के समक्ष ग्राहकों का प्रतिनिधित्व करते हैं और ग्राहकों की ओर से कार्यवाही करते हैं, और उनसे ग्राहक के निर्देशों का पालन करने की अपेक्षा की जाती है.

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कोर्ट ने समझाया क्या होता है पेशा

कानूनी पेशा अनोखा है. इसकी तुलना किसी दूसरे पेशे से नहीं की जा सकती है. इसलिए अदालत ने कानूनी पेशे को दूसरे व्यवसायों से अलग कर दिया है. कोर्ट ने पेशे को व्यवसाय और व्यापार से अलग भी बताया है. अदालत ने कहा,'पेशा वह है जिसके लिए शिक्षा और सीखने की आवश्यकता होती है.'

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