अयोध्या में बन रहे राम मंदिर का तेजी से चल रहा निर्माण कार्य की कहा से अगले छह महीनों में जहां उद्घाटन हो जाएगा वहीं अयोध्या से सटे धन्नीपुर में पांच एकड़ भूमि पर मस्जिद का निर्माण छह महीने बाद शुरू होने के आसार बन रहे हैं. इसके पीछे सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की धन की कमी का हवाला दिया है. इसके अलावा मस्जिद के लिए प्रस्तावित आधुनिक वास्तु और स्थापत्य कला डिजाइन की बजाय अब अरब की पारंपरिक स्थापत्य कला के मुताबिक बनाने पर सहमति बनी है.
इसलिए बदला गया नाम
नए डिजाइन जा नक्शा पास कराने की कवायद शुरू कर दी गई है. पिछला नक्शा पास कराने में 80 लाख रुपए फीस के तौर पर खर्च करने की बात सामने आई थी. अब मस्जिद का नाम भी बदलने पर बोर्ड की मुहर लग चुकी है. अब इस मस्जिद का नाम मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद होगा, पहले इसका नाम स्वाधीनता संग्राम सेनानी मौलाना अहमदुल्ला शाह मस्जिद रखा गया था. लेकिन इस नाम पर चंदा उतना नहीं मिल पा रहा था लिहाजा अब पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के नाम पर मस्जिद का नामकरण किया गया है.
खलीफाओं के नाम पर होंगे दरवाजों के नाम
देश की सभी मस्जिदों के संगठन ऑल इंडिया राबता-ए-मसाजिद एआईआरएम के सम्मेलन में नए नामकरण का फैसला लिया गया. मस्जिद का नाम पैगंबर हजरत मोहम्मद और उनके अब्बा के नाम पर ‘मोहम्मद बिन अब्दुल्ला मस्जिद’ होगा. मस्जिद के पांच दरवाजों के नाम पैगंबर मोहम्मद और उनके उत्तराधिकारी चार खलीफाओं- हजरत अबू बकर, हजरत उमर, हजरत उस्मान और हजरत अली के नाम पर होंगे. मध्य पूर्व और अरब देशों में बनी मस्जिदों की तर्ज पर पाँच मीनारें और गुंबद बनाए जाएंगे.
अभी तक मिला इतना चंदा
बीजेपी नेता हाजी अरफात शेख की पहल पर मुंबई के शारदा रंगभवन में विभिन्न मुस्लिम संप्रदायों के एआईआरएम सम्मेलन में वरिष्ठ मौलवियों ने भागीदारी की. नवंबर 2022 में मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अतहर हुसैन ने बताया था कि अगस्त, 2020 में मस्जिद निर्माण में सहयोग के लिए बैंक डिटेल जारी किए गए थे. लगभग साल भर पहले तक बैंक खाते में 40 लाख रुपए चंदा आया था. चंदे का करीब 30% हिस्सा कॉर्पोरेट से आया है. बाकी 70 फीसदी में 30% मुस्लिम समुदाय से और 40% हिंदू समुदाय की तरफ से आया था.