फिटनेस का मतलब सिक्स-पैक या इंस्टाग्राम पर चमकना नहीं है, ये ताकत है, वो ताकत जो आपको जिंदगी जीने की आजादी देती है. ये कहना है सोहराब खुशरुशाही का, जो SOHFIT के फाउंडर और द फंक लैब के को-फाउंडर हैं. इंडिया टुडे कॉनक्लेव मुंबई के हेल्थ सेशन में सोहराब ने मॉडरेटर के साथ एक जोशीली बातचीत में फिटनेस का नया मतलब समझाया. उनके साथ स्टेज पर थीं 65 साल की पावरलिफ्टर रीता मेहता, जिन्होंने साड़ी में डेडलिफ्ट करके साबित किया कि उम्र और साइज फिटनेस की राह में रुकावट नहीं.
सोहराब का मंत्र, फिटनेस को सरल रखो
सोहराब का फिटनेस दर्शन बिल्कुल साफ है. वो कहते हैं कि लाइफ पहले से ही कॉम्प्लीकेटेड है, फिटनेस को और मत उलझाओ. फिटनेस का मतलब है कि आप जब चाहें, जो चाहें, बिना सोचे-समझे कर सकें. इंस्टाग्राम की सिक्स-पैक वाली दुनिया में फिटनेस को कैसे परिभाषित करें? सवाल पर सोहराब ने हंसते हुए जवाब दिया कि लोग लुक पर फोकस करते हैं, लेकिन सिक्स-पैक या 8% बॉडी फैट होने का मतलब यह नहीं कि आप फिट हैं. फिटनेस है लुकिंग, मूविंग और परफॉर्मिंग का बैलेंस.
स्ट्रेंथ ही लॉन्गेविटी की कुंजी
सोहराब ने लॉन्गेविटी यानी लंबी उम्र पर जोर देते हुए कहा कि मैं नहीं चाहता कि कोई मुझे बाथरूम तक ले जाए या मैं दूसरों के लिए रुकावट बनूं. लॉन्गेविटी का मतलब है क्वालिटी ऑफ लाइफ. उनके मुताबिक, मसल्स हमारे शरीर का सबसे जरूरी हिस्सा हैं, जो मेटाबॉलिक हेल्थ को कंट्रोल करते हैं. उन्होंने आगे बताया कि ग्रिप स्ट्रेंथ और लेग स्ट्रेंथ न सिर्फ शारीरिक, बल्कि मानसिक सेहत के लिए भी जरूरी हैं. अगर आप बैग नहीं उठा सकते, सीढ़ियां नहीं चढ़ सकते, तो आप बाहर जाने से डरेंगे. इससे आप सामाजिक रूप से अलग-थलग पड़ जाएंगे, जो आपके दिमाग को बीमार करता है. कोविड में बुजुर्गों ने यही झेला.
डेटा और फिटनेस: सावधानी बरतें
डेटा ट्रैकिंग पर बात आई तो सोहराब ने एक मजेदार किस्सा सुनाया. उन्होंने बताया कि मैंने एक 22 साल के स्टूडेंट को वियरेबल डिवाइस दी थी. एक हफ्ते बाद उसने कहा कि ये डिवाइस मेरी मॉम से ज्यादा सोने के लिए लेक्चर देती है. उनका कहना है कि डेटा अच्छा है, लेकिन अगर आप उसे हैंडल नहीं कर सकते तो ये तनाव बढ़ाता है. इसीलिए कहता हूं कि फिटनेस को जटिल मत बनाओ. जो फंडा आपके लिए काम करता है, वही करो.
सोशल मीडिया की गलतफहमियां
सोहराब ने सोशल मीडिया पर फैली गलत जानकारियों पर भी निशाना साधा. इंटरमिटेंट फास्टिंग करें या न करें? रोटी खाएं या चावल? हर कोई कुछ न कुछ बोलता है. लेकिन मेरा कहना है कि चीजों को सरल रखो, कंसिस्टेंट रहो. कोई कहे कि एक हफ्ते में 5 किलो कम करेंगे तो उस पर यकीन मत करो.
रिटायरमेंट और मेनोपॉज के बाद मिसाल बनीं रीता मेहता
कॉनक्लेव के मंच पर 65 साल की पावर लिफ्टर रीता मेहता ने नई मिसाल पेश की. रीता ने बताया कि मेनोपॉज के बाद मेरा वजन 95 किलोग्राम तक हो गया था. मुझे लगा कि अब कुछ करना होगा. सोशल मीडिया पर देखा तो लगा, उम्र के साथ लोग घुटने बदलवा रहे हैं, बैक सर्जरी करा रहे हैं. मेरी भी L5-L6 डिस्क बाहर आ चुकी थी, दोनों घुटनों में एक-एक इंच का गैप था. डॉक्टर बोले थे पेन तो होगा ही. फिर मैंने सोचा, वैसे भी पेन होगा ही तो ट्राई करके देखती हूं! आज मेरे मसल्स इतने स्ट्रॉन्ग हैं कि घुटनों का दर्द गायब है.
रीता ने दिए फिटनेस के ये तीन फंडे
उन्होंने कहा कि माइंडसेट, कंसिस्टेंसी और जज्बा...बस यही तीन चीजें याद रखो. मैं सलवार-सूट में जिम जाती हूं, वहां यंग बच्चे मेरा सम्मान करते हैं, मैं खुद को खुशनसीब मानती हूं कि इनके साथ मैं वर्कआउट कर रही हूं. साड़ी में स्टेज पर खड़ी रीता ने भारतीय महिलाओं को सलाह देते हुए कहा कि कपड़े, साइज कुछ नहीं, जज्बा मायने रखता है. सुबह उठो, प्रार्थना करो, और तय करो कि आज क्या करना है. जिम न सही, घर पर दो बोतलें पकड़ो और वर्कआउट करो. मैं दोनों हाथों में अपने पोते बच्चों को गोद में लेकर टहलती रहती हूं. जिम जाती हूं और रात को बच्चे जैसी नींद आती है. सोचो मत अपने लिए टाइम निकालो.
सोहराब के पांच टिप्स जो बदल सकते हैं आपकी लाइफ