राज्यसभा ने व्यापक विचार-विमर्श के बाद ‘राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025’ (Health Security se National Security Cess Bill, 2025) को लोकसभा में वापस भेज दिया है. यह विधेयक लोकसभा से पारित होकर राज्यसभा में विचार के लिए आया था. चर्चा के दौरान विपक्ष ने कई गंभीर आपत्तियां उठाईं, जिसके बाद सदन ने इसे वापस लोकसभा भेजने का निर्णय लिया.
अब लोकसभा को या तो संशोधनों के साथ विधेयक को दोबारा पारित करना होगा या राज्यसभा के सुझावों पर पुनर्विचार करना होगा. इस विधेयक के वापस लौटने से संसद के शीतकालीन सत्र में एक बार फिर तीखी बहस की संभावना बढ़ गई है.
बता दें कि ये बिल 5 नवंबर को लोकसभा से ध्वनिमत से पारित हुआ था. स्वास्थ्य सुरक्षा से राष्ट्रीय सुरक्षा उपकर विधेयक, 2025 पान मसाला जैसे उत्पादों के निर्माण पर नया सेस लगाने का अधिकार देता है.
विधेयक पर चर्चा के दौरान वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा था कि सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य का विषय है और रक्षा केंद्रीय सूची में है. हमें आज की जरूरतों के अनुरूप रक्षा के लिए संसाधन जुटाने की जरूरत है. उन्होंने राज्यों को आश्वासन दिया था कि अर्जित राजस्व को स्वास्थ्य योजनाओं पर खर्च के लिए उनके साथ शेयर किया जाएगा. सीतारमण ने कहा था कि सेस लगाने की संवैधानिक शक्ति अनुच्छेद 270 में निहित है, जो संसद को किसी विशिष्ट उद्देश्य के लिए उपकर लगाने का अधिकार देता है.
इस बिल के पास होने के बाद पान मसाला जैसी चीजें महंगी हो जाएंगी. इस बिल पर चर्चा के दौरान संसद में लंबी बहस चली. दो दिन की बहस के बाद बिल लोकसभा से पास हो गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि 'कारगिल लड़ाई तैयारी की कमी की वजह से हुई. आर्मी जनरलों ने बताया था कि 1990 के दशक की शुरुआत से बजट की कमी की वजह से आर्मी के पास सिर्फ 70-80% ऑथराइज़्ड हथियार, गोला-बारूद और इक्विपमेंट थे. हम नहीं चाहते कि भारत में वह स्टेज फिर कभी वापस आए.
बिल में क्या है खास?
उन्होंने कहा कि ये बिल पब्लिक हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने का रास्ता खोलता है. मिनिस्ट्री का फोकस लोगों की हेल्थ से जुड़ी रिस्क को कम करना है. ये सेस नेशनल सिक्योरिटी से जुड़े फ्रंट पर भी मदद देगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कई अहम मुद्दों पर सरकार की पोजीशन साफ की. उन्होंने कहा कि आज की दुनिया हाई टेक वार का दौर है. प्रिसिजन वेपन्स, स्पेस एसेट और साइबर ऑपरेशन जैसे सेक्टर बहुत महंगे हैं. कारगिल में भारत को इसलिए नुकसान हुआ क्योंकि सेना के पास बजट की कमी से सिर्फ 70 से 80 प्रतिशत हथियार और गोला बारूद था. उन्होंने कहा कि देश दोबारा उस हालात में नहीं जाना चाहता.
क्या बोलीं वित्त मंत्री?
सेस पूरी तरह संसद के अधिकार में आता है. रेट तय करने से लेकर अलोकेशन तक हर प्रक्रिया हाउस की मंजूरी से होगी. सेक्शन 7 में पूरा फ्रेमवर्क साफ लिखा है. पान मसाले पर ज्यादा टैक्स की चर्चा पर उन्होंने कहा कि अवगुण वाली चीजें सस्ती नहीं होंगी. राजस्व जुटाना जरूरी है ताकि देश की सुरक्षा और लोगों की हेल्थ दोनों मजबूत रह सकें. वित्त मंत्री ने बिल पेश करते हुए कहा कि सेस किसी भी आवश्यक वस्तु पर नहीं, बल्कि स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने वाली हानिकारक वस्तुओं पर लगाया जाएगा. उन्होंने कहा विधेयक का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि आम नागरिकों पर बोझ डाले बिना राष्ट्र की सुरक्षा के लिए जरूरी चीजों के लिए फंड मिले.
निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को कहा था कि, ऑपरेशन सिंदूर के समय तीनों सेनाओं ने शानदार काम किया जिसमें टेक्निकल इंस्ट्रूमेंट्स की जरूरत पड़ी. यही मॉडर्न वॉरफेयर है और इसी के लिए हमें सेस लगाने की जरूरत है. ये पूरा फंड देश के लोगों की सुरक्षा में ही खर्च होगा. हम ये सेस केवल डीमेरिट गुड्स पर ही लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि एक वित्त मंत्री के रूप में उनका दायित्व धन जुटाना है.