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गोवा: 3 साल से बंद लौह अयस्क खनन को शुरू करने की मांग, 'ट्रक रैली' की धमकी

सुप्रीम कोर्ट ने साल 2018 में 88 लौह अयस्क खनन पट्टों के दूसरे रिन्यूअल को अमान्य करने का आदेश दिया था. इसका परिणाम राज्य में लौह खनन के काम पर पूरी तरह से रोक के रूप में हुआ. इससे न केवल हजारों लोगों का रोजगार चला गया, बल्कि राज्य को मिलने वाला एक बड़ा राजस्व भी छिन गया.

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गोवा में लौह खनन का काम बंद है
गोवा में लौह खनन का काम बंद है
स्टोरी हाइलाइट्स
  • 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने लौह खनन पर लगा दी थी रोक
  • खनन से जुड़े लाखों लोग हो गए बेरोजगार
  • संगठन ने 16 मार्च के दिन प्रदर्शन करने की दी धमकी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही गोवा में पिछले तीन साल से लौह अयस्क निकालने का काम बंद पड़ा हुआ है. लौह अयस्क के खनन कारोबार से जुड़े लोग राज्य में खनन कार्य दोबारा से शुरू करने के लिए केंद्र से लेकर राज्य के हर राजनीतिक दरवाजे को खटखटा चुके हैं, लेकिन उन्हें उम्मीद की कोई आस नजर नहीं आ रही. अब लौह अयस्क खनन से जुड़े लोगों ने मुख्यमंत्री आवास के बाहर धरना देने की धमकी दी है.

7 फरवरी, 2018 को आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद से ही राज्य में खनन का काम रुका पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट ने 88 लौह अयस्क खनन पट्टों के दूसरे रिन्यूअल को अमान्य करने का आदेश दिया था. इससे पहले इन सभी पट्टों को साल 2014-15 सरकार द्वारा रिन्यू कर दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परिणाम राज्य में लौह खनन के काम पर पूरी तरह से रोक के रूप में हुआ. इससे न केवल हजारों लोगों का रोजगार चला गया बल्कि राज्य को मिलने वाला एक बड़ा राजस्व भी छिन गया.

8 फरवरी के दिन लौह की माइनिंग पर जुड़े लोगों के एक प्रतिनिधि संगठन 'गोवा माइनिंग पीपल्स फ्रंट(GMPF)' ने गोवा की राजधानी पणजी में एक प्रदर्शन भी आयोजित किया. सुप्रसिद्ध आजाद मैदान में एक बड़ी सी भीड़ इकट्ठा हुई और अपना विरोध दर्ज कराया. ये प्रोटेस्ट सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तीन साल पूरे होने के मौके पर आयोजित की गई थी. GMPF का कहना है कि इस कारण गोवा की अर्थव्यवस्था भी पिछले तीन साल से रुकी हुई है. करीब 3 लाख लोगों ने अपनी नौकरियां खो दीं. गोवा की 25 प्रतिशत आबादी गरीबी का सामना कर रही है. सरकार के राजस्व में भी भारी गिरावट आई है. इस कारण गोवा के लोगों को समर्थन की जरूरत है. माइनिंग कार्य को पर्यावरण से जुड़े सुरक्षा उपायों को ध्यान में रखते हुए दोबारा से शुरू करने की जरूरत है.

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GMPF संगठन के अध्यक्ष पुती गोंकर (Puti Gaonkar) ने कहा है कि उन्होंने 16 मार्च के दिन मुख्यमंत्री आवास के बाहर खनन से जुड़े ट्रक और बाकी वाहन ले जाने का निर्णय लिया है ताकि अपना विरोध जता सकें.

 

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