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'MGNREGA की जगह अब वीबी जी राम जी...' नया रोजगार कानून लाएगी मोदी सरकार

केंद्र सरकार ने मनरेगा को खत्म कर ग्रामीण रोजगार के लिए नया कानून लाने का विधेयक लोकसभा सदस्यों में बांटा है. ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण)’ विधेयक 2025 में 125 दिनों के रोजगार की कानूनी गारंटी का प्रस्ताव है.

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संसद में पेश किया जा सकता है MGNREGA को रीप्लेस करने वाला नया बिल (File Photo: ITG)
संसद में पेश किया जा सकता है MGNREGA को रीप्लेस करने वाला नया बिल (File Photo: ITG)

केंद्र सरकार मनरेगा को खत्म करके नया कानून लाने की तैयारी कर रही है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA) यानी मनरेगा को खत्म करने और एक नया कानून– विकसित भारत गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) लाने के लिए संसद में एक बिल पेश किए जाने की संभावना है. पुराना कानून यानी मनरेगा हर साल ग्रामीण परिवारों को 100 दिनों के वेतन रोज़गार की कानूनी गारंटी देता है. नए कानून में राज्य सरकारों द्वारा ज़्यादा खर्च किया जाएगा और यह मौजूदा काम के दिनों की संख्या को 100 से बढ़ाकर 125 कर देगा.

सरकार ने सोमवार को लोकसभा सदस्यों के बीच यह बिल सर्कुलेट किया, जिसका मकसद "विकसित भारत @2047 के राष्ट्रीय विज़न के साथ तालमेल बिठाते हुए एक ग्रामीण विकास ढांचा स्थापित करना" है.

बिल की कॉपी के मुताबिक, इसका मकसद संसद में विकसित भारत-गारंटी फॉर रोज़गार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025 पेश करना और 2005 के महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम को खत्म करना है.

नए कानून में क्या खास होगा?

नए विधेयक का मकसद 'एक समृद्ध और लचीले ग्रामीण भारत के लिए सशक्तिकरण, विकास और तरक्की को बढ़ावा देना' भी है. यह नया कानून ग्रामीण विकास ढांचे को 'विकसित भारत 2047' के राष्ट्रीय नजरिए के साथ ताल-मेल बैठाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है.

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संसद में पेश होने की संभावना

विधेयक की एक प्रति लोकसभा सदस्यों के बीच बांटी की गई है. इस विधेयक को संसद में पेश किया जाना है, जिससे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 को रद्द किया जा सके. यह कदम ग्रामीण रोजगार और आजीविका सुरक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नीतिगत बदलाव लाएगा.

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इस बिल में केंद्र सरकार द्वारा एक सेंट्रल ग्रामीण रोज़गार गारंटी काउंसिल बनाने का प्रस्ताव है, जिसमें एक चेयरपर्सन, केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि, पंचायती राज संस्थानों, मज़दूरों के संगठनों और समाज के कमज़ोर वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले पंद्रह से ज़्यादा गैर-सरकारी सदस्य और भारत सरकार के जॉइंट सेक्रेटरी के पद से नीचे का एक मेंबर-सेक्रेटरी होगा.

'ऐसा क्यों किया जा रहा?'

MGNREGA की जगह लाए गए नए कानून पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सरकार के इस कदम पर सवाल उठाया कि वह योजना से महात्मा गांधी का नाम क्यों हटा रही है.

उन्होंने कहा, "वे महात्मा गांधी का नाम क्यों हटा रहे हैं? महात्मा गांधी इस देश, दुनिया और इतिहास के सबसे महान नेताओं में से एक थे। मुझे समझ नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों किया जा रहा है."

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मनरेगा स्कीम क्या है?

महात्मा गांधी नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट (MGNREGA), एक इंडियन लेबर लॉ और सोशल सिक्योरिटी उपाय है, जिसका मकसद 'काम करने के अधिकार' की गारंटी देना है. इसे शुरू में नेशनल रूरल एम्प्लॉयमेंट गारंटी एक्ट 2005 कहा जाता था. 

NREGA को 2005 में तत्कालीन यूनाइटेड प्रोग्रेसिव अलायंस (UPA) सरकार ने लागू किया था और बाद में 2 अक्टूबर, 2009 से NREGA का नाम बदलकर MGNREGA कर दिया गया.

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यह स्कीम एक फ्लैगशिप प्रोग्राम है, जिसका मकसद ग्रामीण परिवारों की रोजी-रोटी की सिक्योरिटी को बेहतर बनाना है. इसके लिए हर उस घर को एक फाइनेंशियल ईयर में कम से कम 100 दिन की गारंटी वाली नौकरी दी जाती है, जिसके बड़े सदस्य अपनी मर्ज़ी से अनस्किल्ड मैनुअल लेबर करते हैं.

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MNREGA दुनिया के सबसे बड़े वर्क गारंटी प्रोग्राम में से एक है, जिसे 2005 में ग्रामीण विकास मंत्रालय ने शुरू किया था.  2022-23 तक, MGNREGA के तहत 15.4 करोड़ एक्टिव वर्कर हैं. इस योजना का मकसद अधिकारों पर आधारित फ्रेमवर्क के ज़रिए पुरानी गरीबी की वजहों को दूर करना है. बेनिफिशियरी में कम से कम एक-तिहाई महिलाएं होनी चाहिए.

MNREGA के डिज़ाइन का सबसे ज़रूरी हिस्सा यह है कि यह किसी भी ग्रामीण बड़े व्यक्ति को काम मांगने के 15 दिनों के अंदर काम दिलाने की कानूनी गारंटी देता है, और ऐसा न करने पर 'बेरोज़गारी भत्ता' दिया जाना चाहिए. इन कामों की प्लानिंग और उन्हें लागू करने में पंचायती राज संस्थाओं (PRIs) को अहम भूमिका देकर डीसेंट्रलाइज़ेशन की प्रक्रिया को मज़बूत करने पर ज़ोर दिया गया. यह एक्ट ग्राम सभाओं को किए जाने वाले कामों की सिफारिश करने का अधिकार देता है और कम से कम 50% काम उन्हें ही करने होंगे.

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