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'कार में बैठकर वकालत?'… बॉम्बे हाई कोर्ट की तीखी टिप्पणी, वकीलों के लिए क्यूबिकल का आदेश

कोर्ट ने राज्य सरकार से क्यूबिकल की व्यवस्था करने को कहा है और कहा कि वकीलों को ऑनलाइन बहस के लिए उचित जगह मिलनी चाहिए. इसके अलावा, चुनाव से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई हुई, जिनमें कुछ खारिज और कुछ वापस ली गईं। कोर्ट ने यह कदम तब उठाया जब पता चला कि कई वकील मजबूरी में अपनी कारों में बैठकर ऑनलाइन सुनवाई में जुड़ रहे हैं.

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बंबई हाई कोर्ट की सख्ती, सरकार को बोले-क्यूबिकल बनाओ
बंबई हाई कोर्ट की सख्ती, सरकार को बोले-क्यूबिकल बनाओ

बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि कोर्ट परिसरों में वकीलों के लिए ऐसे क्यूबिकल उपलब्ध कराए जाएं, जहां से वे आराम से वर्चुअल सुनवाई में शामिल हो सकें. कोर्ट ने ये बात तब कही जब उसे पता चला कि कई वकील मजबूरी में अपनी कारों में बैठकर ही ऑनलाइन सुनवाई में जुड़ रहे हैं. 

मुख्य न्यायाधीश श्रीचंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए. अंखड की पीठ राज्य में चल रही स्थानीय निकाय चुनाव प्रक्रिया से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. पूरे महाराष्ट्र से 100 से ज्यादा याचिकाएं मुख्य न्यायाधीश की बेंच पर भेजी गई हैं ताकि अलग-अलग आदेश न निकलें. इसलिए अलग-अलग जिलों के वकील वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बहस कर रहे हैं.

'कार में बैठकर कोर्ट को एड्रेस नहीं कर सकते'

सोमवार को पहली ही याचिका में एक वकील कार में बैठकर ऑनलाइन पेश हुए. इस पर मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि ये कार में बैठा कौन है? आप लॉग ऑफ करिए. इस पर वकील ने तुरंत कनेक्शन बंद कर दिया.

लेकिन कुछ देर बाद नागपुर की एक वकील भी कार में बैठकर ऑनलाइन जुड़ीं. तब पीठ ने फिर कहा, 'आप कार में बैठकर कोर्ट को संबोधित नहीं कर सकतीं.' वकील ने बताया कि वो नागपुर बेंच में फिजिकल उपस्थिति के बाद प्रिंसिपल बेंच (मुंबई) में ऑनलाइन शामिल हो रही थीं, इसलिए कार में बैठकर लॉग इन किया.

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कोर्ट ने पूछा, क्या वकीलों के लिए क्यूबिकल नहीं है?

इस पर पीठ ने राज्य सरकार से पूछा कि क्या वकीलों के लिए ऑनलाइन पेश होने का कोई क्यूबिकल नहीं है? कोई जगह होनी चाहिए. आमतौर पर बार असोसिएशन यह सुविधा देता है. कुछ क्यूबिकल होने चाहिए. राज्य की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील नेहा भिड़े ने बताया कि मुंबई में अलग से जगह नहीं है और नया हाईकोर्ट भवन बनने तक ये स्थिति बनी रहेगी. 

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि वकीलों को ऑनलाइन बहस के लिए जगह मिलनी चाहिए. आप जगह तलाश कीजिए, चाहे यहां या पास की इमारत में.

कई याचिकाएं खारिज, कुछ वापस लेने की अनुमति

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने तीन याचिकाएं खारिज कर दीं, इनमें एक मतदाता सूची से जुड़ी थी और दो नामांकन विवाद से. छह याचिकाएं वापस ली गईं ताकि याचिकाकर्ता चुनाव खत्म होने के बाद नई चुनाव याचिकाएं दायर कर सकें. नागपुर से आई आठ याचिकाएं जिनमें कुछ वार्डों में चुनाव स्थगित करने को चुनौती दी गई थी, 22 दिसंबर तक टाल दी गईं, क्योंकि नागपुर बेंच पहले ही 2 दिसंबर को इस पर राहत दे चुकी है. 

राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से अधिवक्ता सचिंद्र शेट्ये ने बताया कि नागपुर आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते फैसला देते हुए कहा कि काउंटिंग और नतीजों की घोषणा 21 दिसंबर से ज्यादा देरी से नहीं होनी चाहिए. स्थानीय निकायों की वार्ड सीमा निर्धारण से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई मंगलवार को होगी.

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