बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट अथॉरिटी (Dharavi Redevelopment Project Authority) से कहा है कि वह हलफनामा दायर कर बताए कि माहिम नेचर पार्क (Mahim Nature Park) धारावी के रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट से बाहर है या नहीं.
चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अभय अहूजा की पीठ दरअसल एक एनजीओ द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी. इस जनहित याचिका में माहिम नेचर पार्क के संरक्षित मैंग्रोव जंगल के सीमांकन (Demarcation) और उसे धारावी स्लम एरिया के रिडेवलपमेंट में शामिल करने को चुनौती दी थी.
एनजीओ वनशक्ति और एक्टिविस्ट जोरू बाथेना ने याचिका में कहा है कि यह प्रोजेक्ट गैरकानूनी रूप से माहिम नेचर पार्क के अधिग्रहण या इसके डेवलपमेंट की मंजूरी देता है. हालांकि याचिका में मांग की गई है कि धारावी प्रोजेक्ट में पार्क के आने वाले हिस्से को हटाया जाए.
धारावी के दायरे में माहिम नेचर पार्क की स्थिति स्पष्ट करें
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उन्होंने प्रोजेक्ट अथॉरिटी से यह स्पष्ट करने को कहा है कि क्या माहिम नेचर पार्क धारावी के अधिसूचित क्षेत्र के दायरे में आता है या नहीं? और इसे इस प्रोजेक्ट से पूरी तरह से कब हटाया जाना चाहिए.
याचिका में कहा गया कि माहिम नेचर पार्क एक संरक्षित पार्क है, जिसे धारावी रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया जाना चाहिए. इसे इस प्रोजेक्ट से पूरी तरह से बाहर किया जाना चाहिए.
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि अथॉरिटी ने उनसे कहा था कि माहिम नेचर पार्क इस प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है. लेकिन उन्होंने चुप्पी साध रखी है कि क्या इस पार्क को इस प्रोजेक्ट के प्रावधानों के तहत शामिल किया जाएगा या नहीं.
अथॉरिटी की ओर से अदालत में पेश अधिवक्ता मिलिंद साथे ने कहा कि यह याचिका में है कि अथॉरिटी ने माहिम नेचर पार्क को इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया है. इस पर पीठ ने अथॉरिटी से हलफनामे दायर कर उसमें यह शामिल करने को कहा है.
बता दें कि Adani Group की कंपनी अडानी रियल्टी (Adani Realty) ने धारावी स्लम के कायाकल्प के लिए रिडेवलपमेंट प्रोजेक्ट की बोली जीत ली थी. अडानी ग्रुप ने 5,069 करोड़ रुपये की बोली लगाकर इसकी बाजी मार ली. अब अडानी ग्रुप धारावी बस्ती की तस्वीर बदलेगा. धारावी बस्ती को अंग्रेजों ने बसाया था, जो आज एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है.