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150 साल की होने जा रही ट्राम, इस सफर में आए कई उतार-चढ़ाव, जानें पूरा इतिहास

कोलकाता में ट्राम सेवा के 24 फरवरी को लगभग 150 साल पूरे होने जा रहे हैं. इस मौके पर सीपीएम एक आंदोलन चलाएगी, जिसमें कि शहर में दोबारा ट्राम सेवा बहाल करने की सिफारिश की जाएगी. सीपीएम ने कोलकाता ट्राम सेवाओं के स्थापना दिवस 24 फरवरी से कोलकाता में विभिन्न ट्राम डिपो पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है.

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कोलकाता में ट्राम सेवा के 150 साल
कोलकाता में ट्राम सेवा के 150 साल

सीपीएम ने 24 फरवरी को कोलकाता में लगभग 150 साल पूरे होने वाली ट्राम सेवा के संस्थापना दिवस पर एक आंदोलन शुरू करने का फैसला किया है. सीपीएम कोलकाता के जिला सचिव कल्लोल मजूमदार के अनुसार कोलकाता में ट्राम सेवाओं को बढ़ाया जाना चाहिए. साथ ही उन्होंने मांग की कि ट्राम की गति भी बढ़ाई जाए. दुनियाभर में ट्राम सेवाओं में भारी बदलाव आया है और इसका आधुनिकीकरण किया गया है. कोलकाता ट्राम का भी आधुनिकीकरण किया जाना चाहिए.

सीपीएम ने कोलकाता ट्राम सेवाओं के स्थापना दिवस 24 फरवरी से कोलकाता में विभिन्न ट्राम डिपो पर विरोध प्रदर्शन करने की योजना बनाई है. इस मामले को लेकर कोलकाता ट्राम के संरक्षक डब्ल्यूबीटीसी इस प्रदर्शन को लेकर चिंतित है. साथ ही खिदिरपुर और एस्प्लेनेड के बीच नियमित ट्राम सेवाओं को फिर से शुरू करने के विकल्प भी तलाश रही है. बता दें कि WBTC के अध्यक्ष मदन मित्रा पहले ही निरीक्षण कर चुके हैं और अपनी रिपोर्ट सौंप चुके हैं. हालांकि ट्राम की गति में वृद्धि कई मुद्दों के अधीन है और डब्ल्यूबीटीसी इस पर कुछ नहीं कह रहा है.

कब शुरू हुई ट्राम सेवा?

दिलचस्प बात यह है कि लगभग 150 साल पहले 24 फरवरी 1873 को सियालदह से अर्मेनियाई घाट स्ट्रीट के बीच भारत में घोड़े द्वारा खींची जाने वाली पहली ट्राम 2.4 मील (3.9 किमी) तक चली थी. लेकिन उसी साल 20 नवंबर 1873 को यह ट्राम सेवा बंद कर दी गई थी. फिर कलकत्ता ट्रामवे कंपनी का गठन किया गया और 22 दिसंबर 1880 को इसे लंदन में रजिस्टर्ड किया गया था. सियालदह से बोबाजार स्ट्रीट, डलहौजी स्क्वायर और स्ट्रैंड रोड के माध्यम से अर्मेनियाई घाट तक मीटर-गेज हॉर्स-ड्रॉ ट्राम ट्रैक बिछाए गए थे. फिर इस रूट का उद्घाटन 1 नवंबर 1880 को वायसराय, लॉर्ड रिपन ने किया था.

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ट्राम के सफर में आईं कई अड़चनें

1873 - मीटर गेज के रूप में हॉर्स ट्राम का उद्घाटन हुआ और उसी साल ट्राम सेवा बंद भी हो गई. 

1880 - एक स्थायी प्रणाली के रूप में हॉर्स ट्राम का फिर उद्घाटन हुआ और कलकत्ता ट्रामवेज कंपनी की स्थापना की गई. 

1883-1902- स्टीम ट्राम का युग

1882- साल 1882 में ट्राम कारों को ढोने के लिए स्टीम इंजनों को प्रयोगात्मक रूप से तैनात किया गया था. अगले वर्ष खिदिरपुर की ओर स्टीम ट्राम सेवा के लिए एक नया मार्ग खोला गया.

1902-1951- इलेक्ट्रिक ट्राम का दौर

1900- साल 1900 में, ट्रामवे का विद्युतीकरण किया गया और इसके ट्रैक को 4 फीट 8+1/2 इंच (1,435 मिमी) में बदलना शुरू हुआ. कलकत्ता में पहली इलेक्ट्रिक ट्रामकार 27 मार्च 1902 को एस्प्लेनेड से किदिरपुर तक चली. साथ ही एस्प्लेनेड से कालीघाट तक सेवा के साथ उसी वर्ष 14 जून को पेश किया गया. कालीघाट और खिदिरपुर ट्राम डिपो दोनों को इलेक्ट्रिक ट्राम डिपो में बदल दिया गया. बाद में सभी ट्रामों को इलेक्ट्रिक कारों में बदल दिया गया.

ट्राम युग का पतन

आपको बता दें कि भारत में ट्राम नेटवर्क का पतन तीस के दशक की शुरुआत में होना शुरू हुआ था, जब कानपुर ट्राम को बंद कर दिया गया था. हालांकि अन्य शहरों में ट्राम जारी थी, लेकिन बड़े पैमाने पर बंद होने की शुरुआत पचास के दशक के मध्य से साठ के दशक के मध्य तक हुई. जब चेन्नई, दिल्ली और मुंबई के ट्राम नेटवर्क धीरे-धीरे बंद हो गए. बाद में कलकत्ता और उससे सटे शहर हावड़ा में भी ट्राम बंद होने लगीं. सबसे पहले बंद की शुरुआत हावड़ा से हुई. बाद में प्रतिष्ठित हावड़ा ब्रिज पर ट्राम सेवाएं भी बंद कर दी गईं. कोलकाता में सभी ट्राम सेवाओं को बंद करने का भी निर्णय लिया गया.

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कोलकाता ट्राम में भी आए कई उतार-चढ़ाव

हालांकि, कोलकाता में ट्राम सेवा बच गई, जिसे मुख्य रूप से तत्कालीन परिवहन मंत्री राबिन मुखर्जी द्वारा समर्थित किया गया था और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों में उच्च वृद्धि के कारण भी जो ऑटोमोबाइल के लिए महंगा हो गया था. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कुछ शहरों में इस आर्थिक कारण से ट्राम वापस करना शुरू कर दिया गया.

वास्तव में एक दशक के बाद लाइनों के बड़े बंद होने के बाद सरकार द्वारा कुछ नए मार्गों की योजना बनाई गई थी. तत्कालीन परिवहन मंत्री राबिन मुखर्जी ने कुछ नई लाइनें और जोड़ने वाली लाइनें प्रस्तावित कीं और इसलिए कुछ नई लाइनों का निर्माण किया गया. लेकिन श्यामल चक्रवर्ती के नए परिवहन मंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के बाद शहर में ट्राम सेवाओं में फिर से गिरावट शुरू हो गई.

कोलकाता में ट्राम ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, जिनमें समय-समय पर पूरी तरह से बंद होने की संभावना भी शामिल है, लेकिन चमात्कारिक रूप से सेवा की जाती है. वर्तमान में, 6 परिचालन लाइनें हैं, जिनमें से केवल 2 ही नियमित रूप से चलती हैं.

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