ठाणे की अदालत ने साल 2017 में दर्ज चेक बाउंस मामले में महिला व्यवसायी शर्मिला दिगम्बर कपोते को बरी कर दिया है. अदालत ने शिकायतकर्ता के बयान में कई विसंगतियां पाईं और केस के आधार को कमजोर बताया. यह मामला अगस्त 2017 में सेवानिवृत्त PSU कर्मचारी पोपटराव भाऊसाहेब चौधरी ने दर्ज कराया था. विवाद साल 2016 के प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन से शुरू हुआ, जिसमें चौधरी ने ठाणे के कलवा इलाके में एक दुकान खरीदने की योजना बनाई थी.
एजेंसी के अनुसार, दुकान की कीमत 79 लाख रुपये तय हुई थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि 50 लाख रुपये का भुगतान किया, जिसमें 30 लाख कैश और 20 लाख RTGS के जरिए. शिकायतकर्ता के अनुसार, सौदा पूरा न होने के कारण और गिरवी के मुद्दों के चलते एक कैंसलेशन एग्रीमेंट हुआ और उसकी रकम वापस करने के लिए तीन चेक जारी किए गए. चौधरी का दावा था कि सभी चेक फंड कम होने के कारण बाउंस हो गए.
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हालांकि, अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट सुनीता पी. पैठंकर ने शिकायतकर्ता के दावों में कई विसंगतियां पाईं. अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ता यह साबित नहीं कर पाया कि चेक ऐसे चल रहे ऋण के लिए था, तो मुकदमे की नींव ही कमजोर है. अदालत ने यह भी नोट किया कि शिकायतकर्ता 30 लाख रुपये कैश का सोर्स साबित नहीं कर पाया. RTGS की तारीख व एग्रीमेंट में असंगतियां थीं.
कोर्ट ने यह भी पाया कि चेक आरोपी ने नहीं, बल्कि उनके भाई द्वारा भरे गए थे और उन्हें पुलिस स्टेशन में सौंपा गया था. अदालत ने कहा कि यह पूरा मामला तीसरे पक्ष द्वारा भरे गए चेक, पुलिस हस्तक्षेप और संदिग्ध परिस्थितियों से घिरा है. साथ ही अदालत ने शिकायतकर्ता के सिविल सूट न करने और प्रॉपर्टी की गिरवी की स्थिति से परिचित होने पर सवाल उठाए. अदालत ने टिप्पणी में कहा कि ऐसी परिस्थितियों में वह 50 लाख रुपये कैसे दे देता? इसके साथ ही व्यवसायी महिला को 8 साल बाद कानूनी राहत मिली.