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शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा FIR रद्द कराने बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचे, 60 करोड़ की धोखाधड़ी का है मामला

अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति राज कुंद्रा ने 60 करोड़ रुपये धोखाधड़ी मामले में मुंबई EOW द्वारा दर्ज FIR को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. दंपति ने दावा किया है कि यह एफआईआर उन्हें ब्लैकमेल करने और पैसे वसूलने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से दर्ज की गई है. नोटबंदी के कारण हुए नुकसान के बावजूद, शिकायतकर्ता ने 10 साल बाद यह केस दर्ज कराया. कोर्ट ने सुनवाई 20 नवंबर तक स्थगित कर दी है.

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दोनों ने नोटबंदी को व्यापार में नुकसान का कारण बताया है. (File Photo: ITG)
दोनों ने नोटबंदी को व्यापार में नुकसान का कारण बताया है. (File Photo: ITG)

बॉलीवुड अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी और उनके पति, व्यवसायी राज कुंद्रा ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की ओर से दर्ज 60 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के मामले में एफआईआर (FIR) को रद्द कराने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया है.

याचिका पर सुनवाई स्थगित
मामले में शिकायतकर्ता के वकीलों युसूफ इकबाल और ज़ैन श्रॉफ ने मुख्य न्यायाधीश श्री चंद्रशेखर और न्यायमूर्ति गौतम ए अंखड की पीठ को बताया कि उन्हें दंपति द्वारा दायर दोनों याचिकाओं की कॉपी नहीं मिली है. इसके बाद, पीठ ने राज्य और शिकायतकर्ता को जवाब दाखिल करने में सक्षम बनाने के लिए याचिका पर सुनवाई 20 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी.

दंपति ने अधिवक्ता प्रशांत पी. पाटिल के माध्यम से दायर अपनी याचिका में कहा है कि आपराधिक कार्यवाही "दुर्भावनापूर्ण और गलत इरादे" से शुरू की गई है. उन्होंने आरोप लगाया कि शिकायतकर्ता का मकसद "बदला लेना, पैसा वसूलना और याचिकाकर्ता को सार्वजनिक रूप से बदनाम करके भारी रकम देने के लिए मजबूर करना है."

नोटबंदी को बताया व्यापार में नुकसान का कारण
शिल्पा और राज कुंद्रा ने कोर्ट को बताया कि 18 दिसंबर 2014 को उन्होंने 'बेस्ट डील टीवी प्राइवेट लिमिटेड' नामक एक कंपनी बनाई थी, जो ऑनलाइन होम शॉपिंग चैनल के माध्यम से कपड़े, उपकरण और अन्य सामान बेचती थी.

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उन्होंने कहा कि 2015 में वे अपने शेयरधारक राजेश आर्य के माध्यम से शिकायतकर्ता दीपक कोठारी से मिले थे. कोठारी ने पहले शेयर सदस्यता के आधार पर और फिर कंपनी में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए निवेश करने पर सहमति व्यक्त की थी.

याचिका में दावा किया गया है कि कंपनी शुरू में मुनाफे की ओर बढ़ रही थी, लेकिन नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा के कारण व्यापार बुरी तरह प्रभावित हुआ. कंपनी, जो बड़े पैमाने पर कैश-ऑन-डिलीवरी (COD) मॉडल पर निर्भर थी, को भारी नुकसान हुआ और वह वित्तीय दायित्वों को पूरा नहीं कर सकी. इसके चलते कंपनी लिक्विडेशन में चली गई और दंपति को भी बड़ा वित्तीय नुकसान हुआ.

ब्लैकमेलिंग और चरित्र हनन का आरोप
दंपति ने आरोप लगाया कि कोठारी परिवार को कंपनी की खराब वित्तीय स्थिति के बारे में पता था, फिर भी वे कथित तौर पर उन्हें धमकी देते रहे. उन्होंने दावा किया कि कंपनी के बंद होने के लगभग 10 साल बाद, एफआईआर केवल उन्हें परेशान करने और उनकी छवि खराब करके निवेश की राशि वापस लेने के "एकमात्र उद्देश्य" से दर्ज की गई है.

दंपति ने कोर्ट में यह भी कहा कि उन्होंने EOW को नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) के आदेशों सहित दस्तावेजी सबूत सौंपे हैं, जो स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि कोठारी के आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है.

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याचिका में दावा किया गया है कि एफआईआर विफल नागरिक वार्ताओं का "काउंटर-ब्लास्ट" है. दंपति ने हाल ही में विदेश यात्रा भी नहीं कर पाए थे, क्योंकि EOW ने उनके खिलाफ लुक आउट सर्कुलर (LOC) भी जारी कर रखा है.

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