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'प्रक्रिया के तहत ही वोटर लिस्ट में नाम जोड़े या हटाए जाते हैं', राहुल गांधी के आरोपों पर EC का जवाब

चुनाव आयोग के प्रेस नोट के अनुसार, महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की राजुरा विधानसभा सीट में कुल 7,792 नए मतदाता पंजीकरण आवेदन प्राप्त हुए थे. जांच के बाद 6,861 आवेदन अमान्य पाए गए और उन्हें अस्वीकार कर दिया गया. इसके आधार पर जांच के लिए राजुरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया.

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राहुल गांधी के आरोपों के बाद महाराष्ट्र में सियासी बयानबाजी जारी है (File Photo:PTI)
राहुल गांधी के आरोपों के बाद महाराष्ट्र में सियासी बयानबाजी जारी है (File Photo:PTI)

कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा महाराष्ट्र में वोटर लिस्ट में हेरफेर और 'वोट चोरी' के आरोपों पर चुनाव आयोग ने शुक्रवार को दिया. आयोग ने कहा कि वोटर लिस्ट में किसी भी व्यक्ति को ऑनलाइन हटाया नहीं जा सकता और सभी नए आवेदन वैधता की जांच के बाद ही स्वीकार किए जाते हैं.

चुनाव आयोग के प्रेस नोट के अनुसार, महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले की राजुरा विधानसभा सीट में कुल 7,792 नए मतदाता पंजीकरण आवेदन प्राप्त हुए थे. जांच के बाद 6,861 आवेदन अमान्य पाए गए और उन्हें अस्वीकार कर दिया गया. इसके आधार पर जांच के लिए राजुरा पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया.

आयोग ने स्पष्ट किया कि सभी प्रक्रियाएं Registration of Electors Rules, 1960 के अनुसार की जाती हैं और किसी भी व्यक्ति के साथ किसी भी प्रकार की अनियमितता नहीं की जाती. चुनाव आयोग ने कहा कि मतदाता सूची तैयार करने में कानूनी प्रक्रिया का पालन किया जाता है. किसी भी नाम को जोड़ने या हटाने में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है. आयोग का लक्ष्य है कि हर पात्र मतदाता सूची में शामिल हो और अयोग्य व्यक्ति को शामिल न किया जाए.

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बता दें कि राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया था कि महाराष्ट्र की सरकार और चुनाव आयोग की अनदेखी के कारण मतदाता सूची में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हो रही है. उन्होंने राजुरा विधानसभा क्षेत्र का उदाहरण देते हुए दावा किया कि वहां ऑटोमेटेड सॉफ़्टवेयर का इस्तेमाल कर वोटों में हेरफेर किया गया.

कांग्रेस और एनसीपी ने इस मामले में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस्तीफे की मांग की. महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष हर्षवर्धन सपकाल ने कहा, “राजुरा विधानसभा क्षेत्र में 6,850 वोटों में हेराफेरी हुई और राज्य पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर इसकी पुष्टि की है. अब महायुति सरकार के पास सत्ता में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.”

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