महाराष्ट्र एंटी टेररिज्म स्क्वॉड (ATS) ने पुणे में कार्यरत एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगरगेकर को पेशेवर और सामाजिक नेटवर्क का इस्तेमाल कर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश के आरोप में गिरफ्तार किया है.
एटीएस ने बताया कि पुणे के सॉफ्टवेयर इंजीनियर जुबैर हंगारगेकर को अलकायदा और उसके भारतीय उपमहाद्वीप विंग (एक्यूआईएस) के लिए भर्ती करने तथा चरमपंथी विचारों को फैलाने के गंभीर आरोप है. जुबैर को 27 अक्टूबर को UAPA (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) के तहत गिरफ्तार किया गया है.
एटीएस ने बताया कि जुबैर महाराष्ट्र के सोलापुर का रहने वाला है और पुणे में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में कार्यरत था. वह सालाना करीब 22 लाख रुपये कमाता था.
युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश
एटीएस का दावा है कि जुबैर ने अपने पेशेवर और सामाजिक नेटवर्क का इस्तेमाल कर युवाओं को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश की.
जांचकर्ताओं का कहना है कि हंगरगेकर कई टेलीग्राम ग्रुप चलाता था, जहां कथित तौर पर गज़वा-ए-हिंद, खिलाफत की स्थापना और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के खारिज होने जैसे विषयों पर चर्चा होती थी.
एटीएस सूत्रों ने बताया कि वह 'लोकतंत्र शरिया का विरोधी है' जैसी मान्यता को बढ़ावा देता था और युवाओं को भारत की चुनावी प्रक्रिया से दूर रहने के लिए प्रेरित करता था. उसने अनुयायियों को लोकतंत्र को अस्वीकार करने और हिंसक जिहाद को अपनाने का संदेश दिया.
आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि जुबैर 2015 में पुणे और हैदराबाद में संदिग्ध आतंकवादियों से बातचीत करने और बड़ी मात्रा में चरमपंथी साहित्य पढ़ने के बाद कट्टरपंथी हो गया था.
बरामद हुआ बम बनाने का मैनुअल
एटीएस ये भी बताया कि उसके उपकरणों से बरामद डिजिटल सामग्री में अल-कायदा की प्रकाशित सामग्री, हिंसक जिहाद का प्रचार करने वाले प्रोपेगैंडा, बम बनाने के मैनुअल और ओसामा बिन लादेन के एक भाषण का उर्दू अनुवाद शामिल है. विस्फोटकों से संबंधित तकनीकी सामग्री की जांच डीआरडीओ की एक लैब द्वारा की जा रही है.
कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त
इसके अलावा एजेंसी ने हंगरगेकर और उसके परिचितों से कई इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस जब्त किए हैं और एक टीबी से ज्यादा डेटा का विश्लेषण कर रही है. उस पर पुणे, सोलापुर और ठाणे में युवाओं को धार्मिक उपदेश देकर युवाओं का ब्रेनवॉश करने का भी आरोप है.
एजेंसी ने बताया कि जुबैर की गिरफ्तारी से एक दिन पहले उसके सहयोगी ने कथित तौर पर कई डॉक्यूमेंट्स को नष्ट कर दिया था, जिससे जांच में बाधा आने की आशंका जताई जा रही है.