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दिल्ली ब्लास्ट वाले दिन स्टार्ट नहीं हो रही थी i20 कार, खेत में बने इस घर में रखा गया था 2553KG विस्फोटक, कई खुलासे

हरियाणा के धौज गांव में 2553 किलो संदिग्ध विस्फोटक बरामद हुआ, जो पहले बदरू के खेत में बने कमरे में रखा गया था. डॉ. उमर ने इसे किराए पर रखा था और बाद में शमशु की गाड़ी से फतेहपुर तक ले जाया गया. एनआईए ने शोएब को गिरफ्तार किया, जिसने आरोपियों को ठिकाना उपलब्ध कराया. दिल्ली ब्लास्ट वाले दिन i20 कार के तकनीकी मुद्दे का भी सुराग मिला. एजेंसियां विस्फोटक नेटवर्क और मकसद की जांच में जुटी हैं.

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इसी घर में विस्फोटक रखा गया था. ये घर मस्जिद के पास है. (Photo: Screengrab)
इसी घर में विस्फोटक रखा गया था. ये घर मस्जिद के पास है. (Photo: Screengrab)

हरियाणा के धौज गांव में बरामद 2553 किलो संदिग्ध विस्फोटक को लेकर जांच एजेंसियों को एक बड़ा सुराग मिला है. पता चला है कि भारी मात्रा में सामग्री सबसे पहले गांव के ही निवासी बदरू के खेत में बने एक छोटे कमरे में रखी गई थी. यह कमरा अल्फ़ालाह मेडिकल कॉलेज की बाउंड्री के पास और गांव की मस्जिद के ठीक सामने स्थित है.

डॉ. उमर और बदरू की मुलाकात मस्जिद के जरिए हुई
जांच में सामने आया है कि बदरू की पहचान डॉ. उमर से मस्जिद के माध्यम से हुई थी. इसी जान-पहचान का फायदा उठाते हुए डॉ. उमर ने बदरू से 1–2 दिनों के लिए यह कमरा किराए पर सामान रखने के लिए मांगा था. बदरू ने भरोसे में आकर कमरे की चाबी दे दी.

बदरू ने कमरा खाली करने को कहा
लेकिन जब 10 दिन बीतने के बाद भी कमरा खाली नहीं किया गया, तो बदरू को संदेह हुआ और उसने डॉ. उमर को सामान चोरी हो जाने की आशंका बताते हुए कमरा खाली करने को कहा. दबाव पड़ते ही दो दिन बाद संदिग्ध विस्फोटक सामग्री को गांव के ही शमशु की पिकअप गाड़ी से फतेहपुर तक शिफ्ट कर दिया गया.

वार्ड बॉय शोएब की अहम भूमिका
इस मामले में एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए गए शोएब के बारे में भी चौंकाने वाली जानकारियां मिली हैं. शोएब अल्फ़ालाह मेडिकल कॉलेज में वार्ड बॉय था. डॉ. मुजम्मिल की गिरफ्तारी के बाद इसी शोएब ने डॉ. उमर को नूंह की हिदायत कॉलोनी में अपनी महिला रिश्तेदार के घर ठहराया था. इससे साफ है कि विस्फोटक सामग्री के परिवहन और आरोपियों को ठिकाना उपलब्ध कराने में उसकी सीधी भूमिका थी.

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10 नवंबर के दिल्ली ब्लास्ट के दिन i20 कार का सुराग मिला
जांच एजेंसियों को एक और अहम इनपुट मिला है. जिस दिन 10 नवंबर को दिल्ली में ब्लास्ट हुआ, उसी सुबह आरोपियों की i20 कार स्टार्ट नहीं हो रही थी. कार को ठीक करने के लिए शोएब ने गांव के ही कार मैकेनिक साहिल को बुलाया. साहिल ने कार चालू करने के लिए 300 रुपये मांगे, लेकिन उसे केवल 200 रुपये दिए गए. एनआईए और अन्य एजेंसियां साहिल से पूछताछ कर चुकी हैं और कार से जुड़े तकनीकी पहलुओं की जांच जारी है.

जांच एजेंसियां अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि विस्फोटक सामग्री की पूरी मात्रा कहां-कहां ले जाई गई, इसमें और कौन-कौन शामिल था और इसका अंतिम मकसद क्या था. शुरुआती निष्कर्ष बताते हैं कि मामले की जड़ें गहरी हैं और इसका नेटवर्क कई जिलों में फैला हुआ है.

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