नेपाल में जारी Gen Z आंदोलन की आग अब पड़ोसी देशों के प्रवासियों की सुरक्षा को भी प्रभावित करने लगी है. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन के बाद भड़के इस आंदोलन ने नेपाल की राजनीति को हिला दिया. भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं का यह उग्र आंदोलन न केवल सरकार को उखाड़ फेंकने का कारण बना, बल्कि नेपाल के हालात भी लगातार बिगड़ते गए. इन हालातों में नेपाल घूमने गए अहमदाबाद के 37 प्रवासी शुक्रवार सुबह सुरक्षित स्वदेश लौट आए.
जानकारी के मुताबिक, अहमदाबाद के वस्त्राल की आकृति सोसायटी समेत अन्य इलाकों से 1 सितंबर को नेपाल के पशुपतिनाथ दर्शन के लिए निकले ये लोग आंदोलन की चपेट में फंस गए थे. चार दिन तक अशांति और हिंसा के बीच ये सभी प्रवासी नेपाल में एक होटल में ठहरे रहे. उनके अनुसार, नेपाल पहुंचने तक सब सामान्य था, लेकिन कुछ ही घंटों में हालात बदल गए. चारों ओर आगजनी, तोड़फोड़ और हिंसा शुरू हो गई.
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प्रवासियों ने बताया कि उन्हें सुरक्षा कारणों से होटल से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी. कई बार आसपास गोलीबारी और पत्थरबाजी की आवाजें सुनाई दीं. हालांकि, नेपाल में उनके स्थानीय दोस्तों और सरकार के प्रयासों से सभी को सुरक्षित बसों के जरिए होटल तक पहुंचाया गया और बाद में घरवापसी कराई गई.
अहमदाबाद लौटने पर इन प्रवासियों का फूलों और आरती से स्वागत किया गया. परिजनों ने सुरक्षित वापसी पर राहत की सांस ली. स्वागत के दौरान कई लोगों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े. प्रवासी परिवारों ने कहा कि यह अनुभव बेहद कठिन रहा, लेकिन घर वापसी की खुशी शब्दों में बयां नहीं की जा सकती.
समाज के इन प्रवासियों ने नेपाल की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई और शांति की प्रार्थना की. उनका कहना था कि नेपाल के लोग धैर्य और एकजुटता से ही इस संकट से बाहर निकल सकते हैं. प्रवासियों ने उम्मीद जताई कि जल्द ही वहां अमन-चैन लौटेगा और नेपाल दोबारा शांति व विकास की राह पर बढ़ेगा.