सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर खीरी में किसानों को SUV से कुचलने के आरोपी आशीष मिश्रा को दीपावली मनाने के लिए घर जाने की इजाजत दे दी है. हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि आशीष मिश्रा उर्फ मोनू 22 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी छोड़ देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने गवाहों को प्रभावित करने के आरोपों की जांच भी डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी से कराने को कहा है.
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आशीष मिश्रा को 20 अक्टूबर से 22 अक्टूबर तक लखीमपुर खीरी में रहने की इजाजत दी है. कोर्ट ने यह अनुमति दीपावली त्यौहार मनाने के लिए दी. किसानों की तरफ से वकील प्रशांत भूषण ने निचली अदालत में चल रही सुनवाई को प्रतिदिन कराने की मांग की. आशीष पर आरोप है कि उसने अपनी SUV गाड़ी से किसानों को कुचलकर मार दिया था.
यह भी पढ़ें: अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, लखीमपुर हिंसा मामले में मिली जमानत
पीड़ितों की ओर से कोर्ट में शिकायत की गई थी कि आशीष मिश्रा जमानत की शर्तों का उल्लंघन करते हुए गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है. इसके बाद, आशीष मिश्रा और उनके पिता पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी पर गवाहों को प्रभावित करने के आरोप में एफआईआर भी दर्ज की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस एफआईआर की जांच डिप्टी एसपी रैंक के अधिकारी से कराए जाने का निर्देश दिया है.
कोर्ट ने कहा है कि रामनवमी के लिए लखीमपुर जाने की अनुमति देते समय आशीष मिश्रा पर 24 मार्च के आदेश में पहले लगाई गई शर्तें जारी रहेंगी. मिश्रा ने 22 अक्टूबर को दिवाली के बाद लखीमपुर से लौटने का वचन दिया है.
जानें मामला
मालूम हो कि लखीमपुर खीरी के तिकुनिया में 3 अक्टूबर, 2021 को किसान प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई थी, जिसमें चार किसानों, एक पत्रकार और तीन बीजेपी कार्यकर्ताओं की मौत हुई थी. इस मामले में दो मुकदमे दर्ज हुए- पहला, तत्कालीन केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी के बेटे आशीष मिश्र मोनू सहित 14 लोगों के खिलाफ, जिन पर किसानों को थार गाड़ी से रौंदने का आरोप है. दूसरा मुकदमा- बीजेपी कार्यकर्ता सुमित जायसवाल ने चार किसानों के खिलाफ दर्ज कराया था, जिसमें एसआईटी ने आरोप पत्र दाखिल किया है.