जेएनयू में बीबीसी की विवादित डॉक्यूमेंट्री की स्क्रीनिंग को लेकर देर रात तक हंगामा जारी रहा. दरअसल भारत सरकार द्वारा बैन की गई डॉक्यूमेंट्री को जेएनयूएसयू ने कैंपस में छात्रों को दिखाया. आरोप है कि इस दौरान ABVP की ओर से पथराव किया गया, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की गई.
इसको लेकर कई छात्रों ने कैंपस से लेकर वसंत कुंज पुलिस थाने तक मार्च निकाला. जब पुलिस ने उनकी शिकायत नहीं सुनी तो छात्र धरने पर बैठ गए. इस दौरान उन्होंने दिल्ली पुलिस के खिलाफ नारेबाजी भी की. देर रात पुलिस ने छात्रों की शिकायत दर्ज की.
Delhi | JNU students protest outside a police station in Vasant Kunj after they marched there claiming stones were pelted during the screening of banned BBC documentary on PM Modi. pic.twitter.com/tYveQpj1yM
— ANI (@ANI) January 24, 2023
JNUSU अध्यक्ष आइशी घोष ने बताया कि जेएनयू के छात्रों की शिकायत वसंत कुंज थाने में दर्ज हो गई है, जिसके बाद हमने अपना धरना खत्म कर दिया. इसको लेकर आज जेएनयू प्रशासन से भी शिकायत की जाएगी. दिल्ली पुलिस में दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि पथराव की घटना में 25 लोग शामिल थे.
Delhi | We filed a complaint, and police assured us they'll be immediately looking into the incident. We gave the name & details of all the persons involved. As of now, we're calling off the protest. We'll also file a complaint at JNU Proctor office: JNUSU President pic.twitter.com/RGprcOoMvW
— ANI (@ANI) January 24, 2023
वहीं पथराव को लेकर एबीवीपी से जुड़े छात्र गौरव कुमार का कहना है कि क्या आरोप लगाने वाले इन लोगों के पास कोई सबूत है कि हमने पथराव किया? हमने कोई पथराव नहीं किया है. इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अगर हमें जेएनयू की तरफ से कोई शिकायत मिलेगी तो जरूरी कार्रवाई की जाएगी.
बिजली गुल, इंटरनेट सस्पेंड
इससे पहले जेएनयू के छात्रों ने आरोप लगाया कि डॉक्यूमेंट्री देखने से पहले बिजली काट दी गई और इंटरनेट भी सस्पेंड कर दिया गया. हालांकि बाद में कैंपस में बिजली बहाल कर दी गई थी. इसके बाद छात्रों ने मोबाइल पर एक-दूसरे को लिंक शेयर कर गुजरात दंगों पर बनी बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को देखा.
JNUSU ने प्रशासन को लिखी चिट्ठी
पथराव से पहले JNUSU की तरफ से जेएनयू प्रशासन को एक चिट्ठी भी लिखी गई थी. उस चिट्ठी में पूछा गया था कि कौन से कानून के तहत उन्हें डॉक्यूमेंट्री देखने से रोका जा रहा है. किस आधार पर स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की बात हो रही है. उस समय तो कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन मंगलवार को जब छात्रों ने मोबाइल पर बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री देखी तो उन पर पथराव कर दिया गया.
JNUSU ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से पूछे सवाल
डॉक्यूमेंट्री देखने वाले जेएनयू के छात्रों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन से कई सवाल पूछे. सवाल नंबर 1- कैंपस में वो कौन सा कानून है जिसमें कहा गया हो कि कोई फिल्म की स्क्रीनिगं दिखाने के लिए प्रशासन से इजाजत लेनी होगी. सवाल नंबर 2- जो एडवाइजरी कैंपस द्वारा जारी की गई, वो कौन से कानून के तहत दी गई. सवाल नंबर 3- अगर कैंपस में फिल्म दिखाई भी गई तो कौन से नियम टूट जाएंगे. स्टूडेंट यूनियन इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि उनका कैंपस में डॉक्यूमेंट्री का दिखाने का उद्देश्य कोई अशांति फैलाना नहीं है. सिर्फ उन छात्रों को डॉक्यूमेंट्री दिखाई जा रही है जो देखना चाहते हैं.
ABVP और NSUI ने क्या कहा?
वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की ओर से प्रेस रिलीज जारी करते हुए बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री को औपनिवेशिक मानसिकता के पिछलग्गू और हीनताबोध का प्रतीक बताया गया है. इसके अलावा नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) की ओर से कहा गया है कि वो देशभर के शिक्षण संस्थानों में इस डॉक्यूमेंट्री को दिखाएगा.
गुजरात दंगों पर बनी है डॉक्यूमेंट्री
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बीबीसी की तरफ से एक डॉक्यूमेंट्री बनाई गई है. दो पार्ट में बनी 'India: The Modi Question' डॉक्यूमेंट्री 2002 में हुए गुजरात दंगों का विस्तार से जिक्र करती है, लेकिन भारत में इस डॉक्यूमेंट्री को बैन कर दिया गया है. इसमें उन पीड़ितों से बात की गई है जिन्होंने उन दंगों में सबकुछ खो दिया, लेकिन डॉक्यूमेंट्री के कंटेंट को लेकर भारत सरकार ने आपत्ति जाहिर की है. विदेश मंत्रालय ने उसे एक प्रोपेगेंडा पीस बता दिया है.