जस्टिस सूर्यकांत ने CJI के तौर पर शपथ लेने से पहले मीडिया से बात की और वर्तमान CJI गवई के स्वदेशी कानून के आह्वान को दोहराया. उन्होंने स्वदेशी न्यायशास्त्र की वकालत करते हुए तारीफ की.
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 75 सालों से सुप्रीम कोर्ट की बेंच की ओर से फैसला सुनाए जा रहे हैं. भारत में कानूनी सिद्धांत विकसित किए जा रहे हैं. इसके बावजूद हमें दूसरे देशों के फैसलों पर निर्भर क्यों रहना चाहिए? इसके लिए स्वदेशी न्यायशास्त्र बेहद अहम है.
भव्य होगा शपथ ग्रहण
जस्टिस सूर्यकांत से उनके शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने वाले कई देशों के जजों और मुख्य न्यायाधीशों को दिए गए निमंत्रण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायपालिका कई देशों में बहुत सम्मानित और प्रशंसित है. इस दौरान उन्होंने भारत और अन्य देशों के बीच पारस्परिक आदान-प्रदान और विचारों के बारे में खुलकर बात की.
कई दिग्गज चेहरे होंगे शामिल
जस्टिस सूर्यकांत के शपथ ग्रहण समारोह में कई देशों के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जज शामिल होने वाले हैं. इनमें श्रीलंका, नेपाल, भूटान, केन्या और अन्य देशों के अतिथि के नाम शामिल हैं.
हाल में केन्या दौरे पर गए थे जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत ने बताया कि वर्तमान सीजेआई गवई और मैंने हाल ही में केन्या का दौरा किया था और इस बारे में बातचीत हुई थी कि वे अपनी न्यायिक अकादमी स्थापित करना चाहते हैं. हमारी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय न्यायिक अकादमियों में उनके न्यायिक अधिकारियों के प्रशिक्षण के बारे में भी बातचीत हो रही है.
अपने कार्यकाल पर भी बोले जस्टिस सूर्यकांत
जस्टिस सूर्यकांत ने इस बात पर भी जोर दिया कि वे अपने 17 महीने के कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतों में पेंडिंग केसों की संख्या को कम करने पर काम करेंगे. हाईकोर्ट और निचली अदालतों में हजारों केस पेंडिंग हैं जिस पर काम करना बेहद जरूरी है. साथ ही उन्होंने बताया कि मेरी प्राथमिकता संविधान पीठ, विशेषकर 7 और 9 न्यायाधीशों की पीठ स्थापित करना भी है.
क्यों लंबित हैं इतने मामले?
जस्टिस सूर्यकांत ने यह भी बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से संपर्क करके उन सभी कारणों का डेटा और विश्लेषण मांगा है जिससे ये मालूम होता है कि आखिर इतने मामने पेंडिंग क्यों हैं.