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10 दिसंबर को फिर सजेगी दिल्ली, मनाई जाएगी 'दिवाली'... सरकार कर रही खास तैयारियां, आखिर क्यों?

देश में 10 दिसंबर को दिवाली जैसा खास माहौल इसलिए बनाया जा रहा है क्योंकि UNESCO की इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की बैठक दिल्ली के लाल किले में चल रही है, जिसमें दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने पर विचार होना है. इसी खुशी और तैयारी के तहत लाल किला, चांदनी चौक और दिल्ली की कई सरकारी इमारतों को दीयों और रंगीन रोशनी से सजाया जा रहा है.

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सरकार ने दिल्ली में प्रमुख इमारतों और सड़कों पर खास रोशनी, सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निर्देश दिए हैं. (Photo: Representational/Pixabay)
सरकार ने दिल्ली में प्रमुख इमारतों और सड़कों पर खास रोशनी, सजावट और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के निर्देश दिए हैं. (Photo: Representational/Pixabay)

देश में 10 दिसंबर को एक बार फिर दिवाली जैसा माहौल देखने को मिलेगा. संस्कृति मंत्रालय के निर्देश पर केंद्र और दिल्ली सरकार की ओर से विशेष रोशनी कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है. लाल किला, चांदनी चौक और दिल्ली की कई प्रमुख सरकारी इमारतों को दीयों और लाइटिंग से सजाया जा रहा है.

दिल्ली के संस्कृति मंत्री कपिल मिश्रा ने बताया कि ऐतिहासिक स्मारकों के साथ-साथ दिल्ली सरकार की इमारतों को भी दीयों और रंगीन रोशनी से सजाया जाएगा. इस कार्यक्रम का मुख्य केंद्र लाल किला रहेगा, जहां विशेष समारोह आयोजित होगा. चांदनी चौक इलाके में रंगोली सजाने की भी तैयारी की जा रही है और सीमित स्तर पर आतिशबाजी की भी योजना है.

क्यों मनाई जा रही है 10 दिसंबर को 'दिवाली'?

यह आयोजन UNESCO की इंटरगवर्नमेंटल कमेटी की महत्वपूर्ण बैठक के चलते किया जा रहा है, जो 8 से 13 दिसंबर तक दिल्ली के लाल किले में आयोजित हो रही है. भारत सरकार ने मार्च 2024 में दिवाली को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (Intangible Cultural Heritage) की सूची में शामिल करने का प्रस्ताव UNESCO को भेजा था.

इस प्रस्ताव पर विचार के लिए UNESCO इंटरगवर्नमेंटल कमेटी बैठक चल रही है. भारत का प्रस्ताव इस बैठक के एजेंडे में 24वें स्थान पर रखा गया है, जिस पर 9 और 10 दिसंबर को चर्चा संभावित है. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, दिवाली को विश्व अमूर्त विरासत का दर्जा मिलने की पूरी संभावना है. इसी खुशी में 10 दिसंबर को देशभर के प्रमुख स्मारकों को दीयों से सजाने की तैयारी की गई है.

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दो साल में एक बार होती है यह अहम बैठक

यूनेस्को की यह बैठक हर दो साल में आयोजित होती है. पिछली बैठक 2023 में हुई थी और अगली बैठक 2027 में प्रस्तावित है. भारत सरकार ने भविष्य के लिए छठ पूजा को भी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत सूची में शामिल करने का प्रस्ताव भेज दिया है. 

भारत की ओर से दलील दी गई कि दिवाली सिर्फ एक धार्मिक त्योहार नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक है, जिसमें परिवारों का पुनर्मिलन, घरों की सफाई, बाजारों की सजावट और सामूहिक उत्सव शामिल हैं. अब तक UNESCO भारत की 15 परंपराओं और संस्कृतियों को विभिन्न श्रेणियों में विश्व धरोहर का दर्जा दे चुका है.

पहली बार भारत कर रहा यूनेस्को पैनल की मेजबानी

यह पहला अवसर है जब भारत यूनेस्को की इस उच्चस्तरीय बैठक की मेजबानी कर रहा है. उद्घाटन समारोह में कई प्रमुख हस्तियां शामिल रहीं, जिनमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, यूनेस्को महानिदेशक खालिद अल-एनानी, दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, यूनेस्को में भारत के स्थायी प्रतिनिधि विशाल वी शर्मा के नाम शामिल हैं. यूनेस्को के अनुसार, इस बैठक में दुनिया भर से आए 54 देशों के अमूर्त सांस्कृतिक विरासत प्रस्तावों की समीक्षा की जा रही है और योग्य परंपराओं को वैश्विक सूची में शामिल किया जाएगा.

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