बिहार के एक हंसते खेलते परिवार पर पांच साल पहले टीबी ने ऐसा वार किया कि उसके बाद परिवार संभल नहीं सका. इस बीमारी ने परिवार के एक एक सदस्य को अपनी चपेट में ले लिया. परिवार का मुखिया घर का सारा खर्चा चल रहा था और रोजी रोटी का इंतजाम कर रहा था. इस बीच शनिवार को बीमारी से जूझ रहे परिवार के मुखिया की मौत हो गई.
बिहार के बेगूसराय निवासी कारपेंटर राम नारायण शर्मा साल 1985 में दिल्ली आए थे. यहां पुल प्रह्लादपुर के वीपी सिंह कैंप में पत्नी उर्मिला देवी, तीन बेटी और दो बेटों के साथ रहते थे. परिवार का खर्चा सही ढंग से निकल जाया करता था. इसी बीच करीब पांच साल पहले टीबी ने उनके परिवार पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया.
रामनारायण की पत्नी उर्मिला देवी ने कहा कि परिवार में सबसे पहले बेटी को टीबी हुआ था. उसके बाद कई जगह इलाज कराना शुरू कर दिया गया. उसके बाद बेटा सुनील (21) , पति रामनरायण (51) , मंझली बेटी रिंकी (18), छोटी बेटी सिंकी (16), बड़ा बेटा कमल किशोर (30) को भी टीबी ने चपेट में ले लिया. बड़ा बेटा कमल अपने पिता के काम में हाथ बटाने लगा था लेकिन बीमारी की वजह से वह भी काम से छूट गया.
उधर कैंप के प्रधान एस एम प्रसाद ने बताया कि सीएम और डीएम सभी को इस मामले में चिट्टी लिख चुके हैं लेकिन अभी तक हेल्थ से जुड़ा कोई एनजीओ सामने नहीं आया. मुख्यमंत्री केजरीवाल ने 6 महीने के मुफ्त राशन की व्यवस्था तो कर दी पर मुफ्त इलाज के लिए कोई ठोस कदम उठाने की जहमत नहीं उठाई गई है. 4000 रुपए सरकार की तरफ से मिले हैं. सरकार इस बीमारी पर करोड़ों रुपए सालाना खर्च करने का दावा करती आई है लेकिन इन दावों के बीच अब भी राजधानी दिल्ली में ऐसे कई परिवार हैं जिन्हें इस बीमारी के इलाज के लिए दर-दर ठोकरें खानी पड़ रही हैं.