दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव का प्रचार आज (शुक्रवार) शाम 6 बजे थम गया. एमसीडी के सभी 250 वार्डों पर 4 दिसंबर रविवार को मतदान है, जहां पर 1349 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है. चुनाव प्रचार का अंतिम दिन होने से बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत लगा दी है. वैसे देखा जाए तो एमसीडी का चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय बन गया है.
एमसीडी पर पिछले 15 वर्षों से काबिज बीजेपी अपने सियासी वर्चस्व को कायम रखने के लिए जद्दोजहद कर रही है तो आम आदमी पार्टी दिल्ली की सत्ता के साथ-साथ नगर निगम पर भी अपना दबदबा बनाने की कवायद में है. कांग्रेस दिल्ली की सियासत में अपने खोए हुए जनाधार को वापस पाने के लिए मशक्कत कर रही है.
वहीं, बसपा दलित वोटरों के सहारे एक बार फिर से दिल्ली में अपनी उपस्थिति दर्ज करना चाहती है तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM मुस्लिम वोटों के दम पर दिल्ली में जगह बनाने के लिए उतरे हैं. एमसीडी कर्मचारियों के वेतन भुगतान से जुड़े मुद्दे भी एमसीडी चुनाव के लिहाज से अहम माने जा रहे हैं. एमसीडी कर्मचारी सही समय पर वेतन न मिलने की सूरत में समय-समय पर हड़ताल पर जाने को मजबूर होते हैं.
एमसीडी में किस पार्टी के कितने प्रत्याशी?
दिल्ली एमसीडी चुनाव में 250 पार्षद सीटों के लिए 1349 उम्मीदवार मैदान में हैं, जिनमें से 382 निर्दलीय प्रत्याशी हैं. बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने सभी 250 सीटों पर अपने-अपने कैंडिडेट उतारे हैं, जबकि कांग्रेस के 247 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे रहे हैं. जेडीयू 23 सीटों पर चुनाव लड़ रही है तो एआईएमईआईएम ने 15 कैंडिडेट उतारे हैं. बसपा ने 174, इंडियन मुस्लिम लीग ने 12, कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया ने 3, ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक ने चार, एनसीपी ने 29 और सपा, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने एक-एक सीट पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं.
बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत
दिल्ली नगर निगम चुनाव में इस बार जैसा नजारा है वैसा शायद पहले कभी नहीं रहा. निगम में अपनी सत्ता बरकरार रखने के लिए बीजेपी ने इतनी ताकत कभी नहीं लगाई थी. पार्षद उम्मीदवारों का प्रचार करने और उनकी तरफ से वोट मांगने के लिए भाजपा के मंत्री और मुख्यमंत्री तक गली-मुहल्लों में सभाएं कर रहे हैं. बीजेपी में प्रचार की कमान दिल्ली के सभी सातों सांसद, पूर्व मेयर और दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष आदेश कुमार गुप्ता संभाल रहे हैं.
बीजेपी की तरफ से चुनाव प्रचार के अंतिम दिन सभा, रोड शो और डोर टू डोर के 210 चुनावी कार्यक्रम हैं. केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, हरदीप पुरी, अनुराग ठाकुर, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या एमसीडी चुनाव प्रचार करने से उतरेंगे. बीजेपी अपने दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारकर नगर निगम में अपनी पैठ बरकरार रखना चाहती है, ताकि इसका फायदा उन्हें आगामी विधानसभा और लोकसभा चुनावों में भी मिल सके.
बीजेपी को AAP ने दी चुनौती
पिछले आठ वर्षों से दिल्ली की सत्ता पर आम आदमी पार्टी काबिज है. 2017 में एमसीडी के चुनाव में आम आदमी पार्टी की सीटें तो आईं, लेकिन वो मेयर अपना नहीं बनवा पाई. ऐसे में आम आदमी पार्टी एमसीडी पर भी अपना कब्जा जमाना चाहती है. इसी के चलते इस बार एमसीडी चुनाव में बीजेपी के खिलाफ आम आदमी पार्टी ने जबरदस्त तरीके से घेराबंदी की है. दिल्ली की योगशाला के योग-गुरुओं से दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की मुलाकात का कार्यक्रम है.
सीएम अरविंद केजरीवाल के नाम और दिल्ली सरकार के तौर पर आठ साल में किए गए विकास कार्यों को लेकर पार्टी चुनाव में उतरी है. इसीलिए केजरीवाल ने नारा दिया है कि दिल्ली में केजरीवाल का पार्षद.
दिल्ली के गाजीपुर, भलस्वा और ओखला. दिल्ली के तीन कूड़े के पहाड़ों को लेकर सियासत गर्म है. आम आदमी पार्टी कूड़े के ढेर के लिए बीजेपी को जिम्मेदार ठहरा रही है, क्योंकि बीजेपी का ही एमसीडी पर नियंत्रण है. अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली के तीनों कूड़े के पहाड़, गलियों में घूमते आवारा पशु, साफ-सफाई और प्रदूषण के मुद्दे को लेकर बीजेपी के खिलाफ नेरेटिव गढ़ा है.
कांग्रेस वापसी के लिए बेताब
दिल्ली में कांग्रेस ने एमसीडी चुनाव के जरिए अपने खोए हुए राजनीतिक जनाधार को वापस हासिल करने के लिए पूरी ताकत झोंक रखी है. हालांकि, चुनावी मुकाबले में बीजेपी और आम आदमी पार्टी के आगे कांग्रेस को कमजोर बताया जा रहा है, लेकिन पार्टी ने कई स्टार प्रचारकों को चुनाव प्रचार में उतार दिया है. एमसीडी चुनाव में कांग्रेस का पूरा फोकस मुस्लिम इलाकों पर है और तमाम लोकलुभाने वादे कर रखे हैं.
कांग्रेस ने सबसे ज्यादा 26 मुस्लिम कैंडिडेंट उतारे हैं और मुस्लिम इलाके में सीएम अरविंद केजरीवाल के द्वारा कोरोना के दौर में तब्लीगी जमात के खिलाफ दिए गए बयान और मरकज में ताला लगाए जाने के फैसले को वायरल किया जा रहा है. इतना ही नहीं, कांग्रेस नेता दिल्ली में सीएए-एनआरसी के खिलाफ आंदोलन पर केजरीवाल की चुप्पी पर भी सवाल खड़े कर रहे हैं तो सीलमपुर और जहांगीरपुरी में हुए दंगों को लेकर घेर रही है. कांग्रेस कह रही है कि केजरीवाल दिल्ली की राजनीति बदलने आए थे, लेकिन स्थिति जस की तस है.
AAP-बीजेपी में शह-मात का खेल
केजरीवाल ने दावा किया है कि अगर उनकी पार्टी एमसीडी जीत जाती है तो वो विदेश से एक्सपर्ट बुलाकर दिल्ली के कूड़े के तीनों ढेरों को एक साल में समाप्त करेगी. वहीं, बीजेपी एमसीडी को फंड न देने के लिए अरविंद केजरीवाल सरकार को घेरती है. बीजेपी का कहना है कि केजरीवाल चार साल पहले से कह रहे थे कि देखना कि नदी कैसे साफ होती है, लेकिन न यमुना साफ हुई न ही प्रदूषण कम हुआ. बीजेपी एमसीडी चुनाव में केजरीवाल पर टिकट बेचने का आरोप लगा रही है और दिल्ली में गली-गली में शराब के ठेके खुलने का आरोप लगा रही है. इसके अलावा जेल में बंद केजरीवाल के मंत्री सत्येंद्र जैन के मसाज वाले वीडियो पेश कर सवाल खड़े कर रही है.
जेडीयू कोरोना काल और लॉकडाउन के दौरान दिल्ली में पूर्वांचल के लोगों के साथ किए कथित अपमान का मुद्दा उठा रही है. एआईएमआईएम बुनियादी मुद्दों के अलावा दिल्ली दंगों के समय दिल्ली सरकार की चुप्पी, जमातियों पर एफआईआर समेत दूसरे मुद्दा उठा रही है. एआईएमआईएम केजरीवाल को दलित-मुस्लिम विरोधी का आरोप लगा रही है. एमसीडी का चुनाव इस तरह से काफी रोचक हो गया है.
दुनिया का सबसे बड़ा नगर निगम
दिल्ली नगर निगम सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि दुनिया के सबसे नगर निगम में से एक है. दिल्ली में एमसीडी के अंदर एक करोड़ से ज़्यादा आबादी आती है. आबादी के लिहाज से यह दुनिया के सबसे बड़े नगर निगम में से एक है. देश की राजधानी होने के नाते भी दिल्ली की अपनी सियासी अहमियत है. हजारों करोड़ रुपये के बजट वाले दिल्ली नगर निगम के पास कई सारी शक्तियां होती हैं. इन शक्तियों के प्रयोग से कई स्थानीय समस्याओं का समाधान हो सकता है और एक बड़ी आबादी के हितों को साधा जा सकता है.
MCD क्या काम करती है?
दिल्ली की टाउन प्लानिंग, सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के तहत अस्पतालों को चलाना, साफ-सफ़ाई सुनिश्चित करना, जल संसाधनों के विकास के साथ जल निकासी को भी सुनिश्चित करना, अपने-अपने क्षेत्रों के जन्म और मृत्यु का रिकॉर्ड रखना, प्राइमरी स्कूलों का संचालन, ई-रिक्शा, रिक्शा और ठेलों को लाइसेंस देना और उनका नियमन करना, हाउस टैक्स से लेकर दूसरे तरह के टैक्सों की वसूली करना आदि.
दिल्ली सरकार और दिल्ली एमसीडी के कुछ अधिकार एक दूसरे से ओवरलैप भी करते हैं. 60 फीट से अधिक चौड़ी सड़कों के निर्माण से जुड़ा कार्य जहां दिल्ली सरकार के अंतर्गत आता है, वहीं इससे कम एमसीडी करती है. ऐसे ही प्राइमरी स्कूल में एक से आठ तक की पढ़ाई एमसीडी अपने स्कूलों में करती है तो दिल्ली सरकार जूनियर, इंटरमीडिएट और उच्च शिक्षा देती है.