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दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में होंगे सांस्कृतिक कार्यक्रम, सरकार बना रही नई पॉलिसी

दिल्ली की ऐतिहासिक धरोहरों में जल्द ही रंग-रंगीली शामें और सांस्कृतिक रौनक दिखाई दे सकती है. राजधानी के चुनिंदा स्मारकों में पहली बार बड़े स्तर पर कला, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की मंजूरी देने के लिए सरकार एक नई नीति तैयार कर रही है.

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दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. (Photo- ITG)
दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारकों में सांस्कृतिक कार्यक्रम होंगे. (Photo- ITG)

दिल्ली सरकार राजधानी के ऐतिहासिक स्मारकों को आम लोगों की संस्कृति और कला से जोड़ने के लिए नई पहल शुरू करने जा रही है. प्रस्तावित नीति के तहत दिल्ली के कई प्रमुख धरोहर स्थलों पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों, कला प्रदर्शनियों और जन-हित के आयोजनों की अनुमति देने की तैयारी है. सरकार का कहना है कि इस कदम से जहां लोगों को दिल्ली की विरासत से जुड़ने का नया अवसर मिलेगा. वहीं इन स्मारकों के संरक्षण और रखरखाव में भी मदद मिलेगी.

सरकार की इस नीति का उद्देश्य है कि राजधानी की धरोहरों को केवल पर्यटन या ऐतिहासिक स्थलों तक सीमित न रखा जाए, बल्कि उन्हें जीवंत सांस्कृतिक केंद्र के रूप में भी विकसित किया जाए. सरकार ने साफ किया है कि इन स्मारकों पर सिर्फ सांस्कृतिक, कलात्मक और जन-हित से जुड़े कार्यक्रम ही आयोजित होंगे. शादी, निजी पार्टियों या व्यावसायिक मनोरंजन जैसे कार्यक्रमों की इजाजत नहीं दी जाएगी, ताकि स्मारकों की ऐतिहासिक गरिमा और संरचना प्रभावित न हो.

सरकार का कहना है कि इस नई पहल से दिल्ली की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को लोगों तक बेहतर तरीके से पहुंचाया जा सकेगा. इसके साथ ही, इन सांस्कृतिक आयोजनों से होने वाली आय का उपयोग स्मारकों के संरक्षण, मरम्मत और रखरखाव में किया जाएगा, जिससे धरोहरों को दीर्घकालिक सुरक्षा मिलेगी. एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, योजना अभी शुरुआती चरण में है और सरकार स्थल चयन, आयोजन की प्रकृति और सुरक्षा व्यवस्था जैसे बिंदुओं पर विस्तृत चर्चा कर रही है.

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जीएसटी में छूट पर भी विचार

दिल्ली सरकार बुकिंग फीस पर जीएसटी में छूट देने के विकल्प पर भी विचार कर रही है, ताकि अधिक से अधिक सांस्कृतिक संस्थान, कलाकार और ऑर्गेनाइजेशन इन स्मारकों पर कार्यक्रम करने के लिए आगे आएं.

किन स्मारकों पर हो सकते हैं आयोजन?

इस प्रस्तावित नीति के दायरे में दिल्ली के कई प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक स्मारक शामिल हो सकते हैं, जिनमें लाल किला, हुमायूं का मकबरा, कुतुब मीनार, पुराना किला, लोटस टेम्पल (बहाई उपासना मंदिर), जंतर मंतर, राजघाट, अक्षरधाम मंदिर परिसर, इन स्थलों पर संगीत, नृत्य, नाटक, कला-प्रदर्शनियों और सांस्कृतिक संवाद जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जा सकते हैं.

सुरक्षा और संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता

सरकार ने स्पष्ट किया है कि धरोहरों का संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता होगा. हर आयोजन से पहले और बाद में विशेषज्ञों की टीम स्थल का निरीक्षण करेगी. किसी भी प्रकार की संरचनात्मक या सतही क्षति से बचाने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा प्रबंध किए जाएंगे.

टूरिज्म को मिलेगी नई रफ्तार

विशेषज्ञों का मानना है कि यह नीति लागू होने पर दिल्ली के पर्यटन क्षेत्र को नई दिशा मिलेगी. सांस्कृतिक कार्यक्रमों से स्थानीय कलाकारों को मंच मिलेगा. युवाओं में सांस्कृतिक रुचि बढ़ेगी और दिल्ली एक ‘संस्कृति राजधानी’ के रूप में और मजबूत पहचान स्थापित कर सकेगी.

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