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सावधान! अभी और खराब होगी दिल्ली की हवा, नवंबर में बढ़ेगा प्रदूषण, जानिए वजह

अक्टूबर का महीना तो गुजर गया लेकिन साफ हवा की उम्मीद अभी भी नहीं की जा सकती. नवंबर की शुरुआत से ही हालात और बिगड़ते नजर आ रहे हैं. बताया जा रहा है कि पहले दो हफ्तों में दिल्ली की हवा अक्टूबर से भी ज्यादा जहरीली हो सकती है.

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नवंबर में और खराब होगी दिल्ली की हवा (Photo: PTI)
नवंबर में और खराब होगी दिल्ली की हवा (Photo: PTI)

अक्टूबर का महीना खत्म हो चुका है और नवंबर की शुरुआत में भी साफ हवा की उम्मीद नहीं है. सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर (CREA) के आंकड़ों के अनुसार, इस अक्टूबर में दिल्ली में 27 दिन ऐसे रहे जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) लगातार ‘खराब’ और ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रहा. AQI केवल 4 दिन संतोषजनक श्रेणी में रहा है. बता दें, AQI का स्तर 51 से 100 के बीच हो तो उसे ‘संतोषजनक’ माना जाता है. पूरे महीने में एक भी दिन ‘अच्छी’ श्रेणी (AQI 50 से कम) में नहीं आया.

सबसे खराब AQI 30 अक्टूबर को 373 दर्ज किया गया, यह पिछले तीन सालों में अक्टूबर महीने का सबसे ऊंचा स्तर रहा. इसके अलावा CPCB मॉनिटरिंग स्टेशनों पर प्रदूषण डेटा की कम रिपोर्टिंग और मॉनिटर के पास पानी का छिड़काव कर AQI को प्रभावित करने की खबरों के बावजूद, दिल्ली ने दिवाली की रात (20 अक्टूबर) को AQI 345 दर्ज किया, जो 2024 की दिवाली (AQI 328) से भी ज्यादा था.

CREA के विश्लेषक मनोज कुमार ने बताया कि 2015 से 2025 के बीच अक्टूबर का औसत AQI 173 से 285 के बीच रहा है. 2021 में 173 का स्तर कोविड लॉकडाउन की वजह से था, उसके बाद के वर्षों में औसत 210 से 234 के बीच स्थिर हो गया है.

हर अक्टूबर में हवा खराब

मनोज कुमार बताते हैं कि अक्टूबर 2025 का औसत AQI 223 दिखाता है कि दिल्ली की वायु गुणवत्ता हर अक्टूबर में लगातार ‘खराब’ श्रेणी में है, और पिछले एक दशक में कोई लगातार सुधार नहीं हुआ है, जो बताता है कि अस्थायी उपाय प्रदूषण में संरचनात्मक बदलाव लाने में नाकाम रहे हैं. अक्टूबर में पराली जलाने का सीधा असर मामूली रहा, क्योंकि पिछले 5 सालों में इस बार पराली जलाने की घटनाएं सबसे कम दर्ज की गई. एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम डेटा के मुताबिक, 30 अक्टूबर को दिल्ली के PM 2.5 में पराली जलाने का योगदान सिर्फ 0.5% था, जो 31 अक्टूबर को बढ़कर 1.6% तक पहुंचा

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क्या नवंबर में सबसे ज्यादा बढ़ेगा प्रदूषण?

पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं फिर से तेजी से बढ़ रही हैं. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार, शनिवार को 442 घटनाएं दर्ज की गई. एयर क्वालिटी मैनेजमेंट सिस्टम के DSS के अनुसार, 1 नवंबर को दिल्ली के PM 2.5 में पराली जलाने का योगदान 9.03% तक पहुंच गया. 2 नवंबर को यह योगदान 3.45% रहा. झज्जर का योगदान पराली जलाने में 11% रहा, जबकि दिल्ली में परिवहन का योगदान करीब 18.13% रहा.

AQI
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पराली जलाना ही एकमात्र कारण नहीं
मनोज कुमार बताते हैं कि नवंबर की शुरुआत में AQI में उछाल एक मौसमी ट्रेंड है, जो आग की बढ़ती घटनाओं से जुड़ा है. लेकिन यह उछाल पहले से ही ऊंचे प्रदूषण स्तर पर है. आग लगने से पहले भी क्षेत्र की वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बनी है. इसका कारण लगातार शहरी और औद्योगिक उत्सर्जन है. 

अभी और खराब होगी हवा
IITM पुणे द्वारा साझा किए गए डेटा के अनुसार, अगले 10 दिनों में PM 2.5 का स्तर 8 नवंबर को 378 AQI तक पहुंच सकता है. PM 10 का स्तर 327 तक जाएगा, जबकि दिल्ली का औसत PM 2.5 उस दिन 255 रहेगा.

मनोज कुमार बताते हैं कि प्रदूषण में उछाल पराली जलाने की वजह से है, लेकिन हवा पहले से ही परिवहन, औद्योगिक पावर प्लांट्स और अन्य स्रोतों की वजह से प्रदूषित है. उन्होंने कहा कि हम अगले 2 हफ्तों में बहुत अधिक प्रदूषण की उम्मीद कर सकते हैं, खासकर पहले और दूसरे सप्ताह में जब पराली जलाने का चरम समय होता है. इस दौरान वायु गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ और अगर लगातार बनी रही तो ‘गंभीर’ श्रेणी में जा सकती है.

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