
हर साल ठंड की आमद के साथ ही सांस के मरीजों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं. बीते सालों से स्मॉग की समस्या ने इसे और बढ़ाया है. पुणे की जानी मानी पल्मोनॉलॉजिस्ट डॉ अपर्णा बिराजदार ने ठंड के मौसम में सांस रोगों और कोरोना के संबंधों के अलावा कई विषयों पर aajtak.in से बात की.
डॉ अपर्णा कहती हैं कि ठंड के मौसम में जिस तरह देश के मेट्रो सिटीज स्मॉग की चपेट में हैं, ये चिंता का विषय है. इस मौसम में हर साल की तरह इस साल भी सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है. इनमें अस्थमा या सांस के अन्य रोगों के अलावा छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग भी इसका शिकार हो रहे हैं.
वो कहती हैं कि प्रदूषक पीएम 2.5 गर्भवती महिलाओं ही नहीं बल्कि गर्भस्थ शिशु को भी नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखता है. वहीं जब अब कोरोना की आहट सामने है तो इसने एक अलग तरह के खतरे को जन्म दे दिया है. वो है स्मॉग के जरिये कोरोना संक्रमण दर का बढ़ना.
आपको बता दें कि हाल ही में हुए कुछ शोधों ने स्मॉग और कोविड-19 के कनेक्शन को माना है. शोधकर्ताओं के अनुसार, स्मॉग के कारण कोरोना वायरस के एयरबोर्न संक्रमण का जोखिम बढ़ता है. इसकी वजह यह है कि एयरबोर्न संक्रमण किसी भी स्थान पर अधिक से अधिक लोगों को वायरस की चपेट में ला सकती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि पिछले अध्ययनों में देखा गया था कि जिन स्थानों पर वायु प्रदूषण का ज्यादा जोखिम था, वहां पर कोविड-19 के मामलों और मौतों की अधिक घटनाएं सामने आईं थीं. वायु प्रदूषण, कोरोना वायरस को लंबे समय तक हवा में मौजूद रहने का माध्यम दे सकता है.

ऐसे माहौल में संभलकर रहना ही विकल्प
डॉ अपर्णा कहती हैं कि दिल्ली-मुंबई जैसे शहर जहां Smog इतना ज्यादा है और रोजगार के चलते लोगों का यहां रहना मजबूरी है. उनके सामने एक ही रास्ता है कि वो खुद को बचाकर रखें. इसके लिए डॉ अपर्णा कई तरह के तरीके बताती हैं. उनका कहना है कि आप अपनी लाइफस्टाइल और फूड साइकिल में बदलाव करके भी खुद को बचा सकते हैं. यहां इसके कुछ टिप्स हम दे रहे हैं.
ऐसे करें बचाव
- जब आपके इलाके में स्मॉग के कारण एअर क्वालिटी इंडेक्स खराब आंकड़े दिखा रहा हो तो आपको खिड़कियां-दरवाजे बंद करके अपने घर के भीतर रहना चाहिए.
- घर की खिड़कियां दिन के वक्त जब धूप निकली हो तभी खोलकर रखें, उस वक्त घर की हवा भी साफ हो जाती है, लेकिन स्मॉग के वक्त न खोलें.
- कई बार देखा गया है कि फिटनेस का ध्यान रखने वाले लोग फॉग (कुहरा) समझकर स्मॉग (धुंध) में घूमने निकल जाते हैं, जोकि उनके लिए हानिकारक है.
- घर से जब भी बाहर जाएं मास्क जरूर पहनें, बच्चों को मास्क पहनाकर ही स्कूल भेजें, और उन्हें इसके फायदे नुकसान बताएं.
- खुद को किसी तरह के संक्रमण से बचाने के लिए विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करें.
- खुद को डीहाइड्रेट रखें, विटामिन डी की सही मात्रा बॉडी में होनी चाहिए, इसके लिए रेगुलर चेकअप कराते रहें.
स्मॉग का किस अंग पर क्या असर: इस चित्र से समझें

सांस की बीमारी- लंग कैंसर, निमोनिया
ये होते हैं लक्षण- एअर वे में सूजन, डिक्रीज्ड लंग फंक्शन, डिक्रीज्ड लंग ग्रोथ
इंसुलिन रेजिस्टेंस
टाइप टू, टाइप वन डायबिटीज,
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इसके अलावा हृदय से जुड़ी समस्याएं जैसे कॉर्डियो वस्कुलर डिजीज, हार्ट फेल्योर, स्किन एजिंग, प्रीमेच्योर बर्थ, प्री एक्लेम्सिया जैसी समस्याएं भी होती हैं.
क्या है पीएम 2.5
पीएम 2.5 इतने सूक्ष्म होते हैं कि आसानी से सांस के जरिये हमारे शरीर में पहुंचकर खून में घुल सकते हैं. हवा में पीएम 10 की सेफ लिमिट 100 माइक्रोग्राम्स प्रति घन मीटर और PM 2.5 की 60 माइक्रोग्राम्स मानी जाती है. प्रदूषित हवा में इनकी मौजूदगी का सही-सही पता लगाना पूरी दुनिया में एक चुनौती बना हुआ है. हवा में इनकी मात्रा इससे ज्यादा बढ़ते ही ये श्वसन तंत्र के लिए समस्या पैदा करने लगते हैं.