बहुत से लोग जब भी पेट में हल्की सी जलन या खट्टी डकार महसूस करते हैं, तुरंत एंटासिड या एसिडिटी की गोली खा लेते हैं. ऐसा इसलिए करते हैं क्योंकि ये गोलियां तुरंत आराम देती हैं और पेट की बेचैनी को पल भर में दूर कर देती हैं. ऐसे में आप सोचते हैं कि ये दवा बिल्कुल सुरक्षित है और इसे लेने में कोई हर्ज नहीं.
लेकिन डॉक्टर और एक्सपर्ट्स की राय आपकी सोच से बिल्कुल अलग है. उनका कहना है कि अगर आप इन दवाओं का इस्तेमाल बार-बार और लंबे समय तक करते हैं, तो ये आपके शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है. ऑर्थो और स्पोर्ट्स सर्जन, डॉ. ओबैदुर रहमान के अनुसार, ये गोलियां सिर्फ अस्थायी रूप से राहत देती हैं, लेकिन लगातार लेने से शरीर में जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. इसके अलावा हड्डियां भी कमजोर पड़ सकती हैं और डाइजेस्टिव सिस्टम पर भी असर पड़ सकता है. कैसे? चलिए जानते हैं.
कौन सी दवाएं करती हैं नुकसान?
PANTOP 20 और PAN 40 दरअसल पैंटोप्राजोल वाली दवाएं हैं, जिन्हें PPI यानी प्रोटॉन पंप इनहिबिटर कहा जाता है. PAN D या Pantop-D में पैंटोप्राजोल के साथ डॉम्पेरिडोन होता है. ये दवाएं आमतौर पर एसिडिटी, हार्टबर्न और एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याओं में दी जाती हैं. ये शॉर्ट-टर्म इलाज के लिए बनी हैं, लेकिन कई लोग इन्हें महीनों और सालों तक बिना डॉक्टर से पूछे लेते रहते हैं.
कैसे काम करती हैं ये दवाएं
पैंटोप्राजोल पेट में बनने वाले एसिड को काफी हद तक कम कर देता है. कम समय के लिए यह तरीका राहत देता है, लेकिन लंबे समय तक एसिड बहुत कम बना तो शरीर में कई अहम पोषक तत्वों की कमी शुरू हो जाती है. यही कारण है कि इन दवाओं का लगातार इस्तेमाल रिस्की माना जाता है.
लंबे समय तक सेवन से घटने लगता है विटामिन B12
खाने से मिलने वाला विटामिन B12 तभी अच्छे से अब्सॉर्ब होता है जब पेट में पर्याप्त एसिड मौजूद हो. जब महीनों या सालों तक PPI ली जाती है तो पेट का एसिड बहुत कम हो जाता है. इससे B12 की कमी धीरे-धीरे बढ़ने लगती है. रिसर्च में पाया गया है कि दो साल या उससे ज्यादा PPI लेने वालों में B12 की कमी होने का खतरा ज्यादा रहता है. इसकी कमी होने पर थकान, कमजोरी, हाथ-पैरों में झुनझुनाहट, बैलेंस की दिक्कत और मेमोरी प्रॉब्लम भी हो सकती हैं.
मैग्नीशियम की कमी का भी खतरा
मैग्नीशियम शरीर में मसल्स, नसों, हड्डियों और दिल की धड़कन को ठीक रखने के लिए बेहद जरूरी है. लंबे समय तक PPI लेने से इसका लेवल भी नीचे जाने लगता है. कई लोग तीन महीने बाद असर महसूस करते हैं, तो कईयों में एक साल बाद कमी दिखती है. शरीर में मैग्नीशियम की कमी से मसल्स में खिंचाव, कंपकंपी, थकान और इर्रेगुलर धड़कन जैसी समस्याएं हो सकती हैं.
हड्डियां कमजोर होने और फ्रैक्चर का खतरा
कैल्शियम को अब्सॉर्ब करने में भी पेट का एसिड अहम भूमिका निभाता है. लगातार PPI लेने से कैल्शियम का अब्सॉर्पशन कम होने लगता है, जिससे हड्डियां धीरे-धीरे कमजोर हो सकती हैं. खासकर उम्रदराज लोगों, मेनोपॉज के बाद की महिलाओं और कम विटामिन डी वाले लोगों में फ्रैक्चर का खतरा बढ़ जाता है.
कौन लोग सबसे ज्यादा खतरे में हैं?
जिन लोगों की उम्र ज्यादा है, जो PPI सालभर से ज्यादा समय से ले रहे हैं, जो हाई डोज पर हैं या जिन्हें पहले से हड्डियों से जुड़ी दिक्कत है, उन्हें इन दवाओं के साइड इफेक्ट्स जल्दी पकड़ सकते हैं. ऐसे लोगों को अपनी हड्डियों और मिनरल्स की जांच समय-समय पर करानी चाहिए.
कैसे करें इन दवाओं का सुरक्षित इस्तेमाल
PPI सही तरीके से और सीमित समय तक ली जाएं तो बहुत असरदार होती हैं. लेकिन इन्हें रोजाना बिना सोचे-समझे लेना गलत है. अगर आप लंबे समय से ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर से बात करें कि क्या आपको अब भी इसकी जरूरत है, क्या डोज कम की जा सकती है या क्या कोई हल्की दवा ऑप्सन के रूप में लेनी बेहतर रहेगी. डॉक्टर जरूरत पड़ने पर B12, मैग्नीशियम या हड्डियों की जांच भी सलाह दे सकते हैं.
एसिडिटी कम करने के लिए लाइफस्टाइल में करें बदलाव
एसिडिटी सिर्फ दवाओं से नहीं रुकती. लाइफस्टाइल में छोटे-छोटे बदलाव भी बड़ा फर्क ला सकते हैं. खाने में ट्रिगर फूड्स कम करें, खाना खाकर थोड़ी देर टहलें, पानी ज्यादा पिएं, भारी खाना एक बार में न लें और रात का खाना जल्दी खत्म करें. वजन कंट्रोल में रखने से भी एसिडिटी काफी घटती है.