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'इन एंटीबायोटिक्स को लेने से बचें', तेजी से बढ़ते फ्लू के मामलों के बीच IMA ने जारी किया अलर्ट

हाल के दिनों में देश के कई हिस्सों में H3N2 इन्फ्लूएंजा के मामले तेजी से बढ़े हैं. इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने वायरस को फैलने से रोकने के लिए एक एडवाइजरी जारी की है और बताया है कि क्या करें और क्या न करें. इसके अलावा एंटीबायोटिक्स के इस्तेमाल को लेकर भी बड़ी बात कही है.

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फ्लू के मामलों पर केंद्र सरकार ने जारी की एडवाइजरी (फाइल फोटो)
फ्लू के मामलों पर केंद्र सरकार ने जारी की एडवाइजरी (फाइल फोटो)

पिछले कुछ दिनों के देश के विभिन्न हिस्सों में खांसी और बुखार के साथ फ्लू (Flu) के लक्षण वाले मामले तेजी से बढ़े हैं. फ्लू से जूझ रहे मरीजों में कोविड जैसे ही लक्षण ही दिखाई दे रहे है. अब इसे लेकर केंद्र सरकार ने एक एडवाइजरी जारी की है. इस एडवाइजरी में बताया गया है कि लोग फ्लू से कैसे बचाव करें और क्या एहतियात बरतें. आईसीएमआर की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले दो-तीन महीनों से इन्फ्लुएंजा वायरस का एक सब-टाइप H3N2 फैल रहा है.

देश के कई जगहों पर लोगों में इसी स्ट्रेन के लक्षण मिले हैं जिसकी वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की तादाद बढ़ी है. तो आइए जानते हैं कि फ्लू के मामले क्यों बढ़ रहे हैं और इससे बचाव के लिए क्या एहतियात बरतें-

1-आईसीएमआर के अनुसार, फ्लू के मामलों में वृद्धि इन्फ्लुएंजा ए के सब टाइप वायरस H3N2 वायरस के कारण हो रही है.  H3N2 पिछले दो से तीन महीनों से लगातार फैल रहा है जिसकी वजह से अस्पाल में भर्ती होने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ रही है.

2-इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने कहा है कि फ्लू की वजह से आया बुखार तीन दिनों के बाद खत्म हो जाता है लेकिन खांसी तीन सप्ताह तक बनी रह सकती है. लोगों को सलाह दी गई है कि एंटीबायोटिक दवाओं के अंधाधुंध उपयोग से बचें.

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3-आईएमए ने बयान जारी करते हुए कहा है,'अभी, जो लोग बीमारी को जाने बिना ही एज़िथ्रोमाइसिन और एमोक्सिक्लेव जैसी एंटीबायोटिक्स ले रहे हैं वह इन्हें लेना तत्काल  बंद कर दें. यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ाता है, यानी जब भी इसकी वास्तव में जरूरत होगी तो यह प्रतिरोध की वजह से काम नहीं कर पाएगी.'

4-आईएमए ने कहा कि वायरल के मामले ज्यादातर 15 वर्ष से कम और 50 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों में देखने को मिल हैं जिसकी वजह से बुखार के साथ श्वसन संक्रमण बढ़ रहा है. एसोसिएशन ने डॉक्टरों से कहा है कि वह मरीज को एंटीबायोटिक्स लेने की सलाह ना दें बल्कि रोग से संबंधित उपचार लिखें.

5-जिन एंटीबायोटिक्स का सबसे अधिक दुरुपयोग होता है उनमें एमोक्सिसिलिन, नॉरफ्लोक्सासिन, ओप्रोफ्लोक्सासिन, ओफ़्लॉक्सासिन और लेवोफ़्लॉक्सासिन हैं. आईएमए ने कहा कि इनका इस्तेमाल डायरिया और यूटीआई के इलाज के लिए किया जाता है.

क्या करें और क्या नहीं

 इसके अलावा आईसीएमआर ने खुद को संक्रमण से बचाने के लिए क्या करें और क्या न करें, यह भी बताया है. लोगों को सलाह दी गई है कि वह नियमित रूप से साबुन से हाथ धोएं, फेस मास्क पहनें और भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. आईसीएमआर ने बुखार और बदन दर्द की स्थिति में पैरासिटामोल लेने की सलाह दी है. इसके अलावा हाथ मिलाने से बचने को भी कहा गया है. ICMR ने कहा है कि एंटीबायोटिक्स और अन्य दवाएं डॉक्टर से सलाह के बाद ही लेनी चाहिए.

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