
हवा में झूलते हुए एक हरे-भरे पेड़ का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. वीडियो में दिख रहा पेड़ दो हिस्सों में बंटा हुआ है. इसका एक हिस्सा जमीन के नीचे है और दूसरा हवा में लटकता हुआ दिखाई दे रहा है. पेड़ के तने पर काफी मोटा लाल कलावा भी बंधा हुआ है जिससे लगता है कि कुछ लोग इस पेड़ की पूजा करते हैं.
वायरल वीडियो में पेड़ के सामने एक महिला भी बैठी है. पेड़ के कटे हुए हिस्सों के बीच से अपना हाथ आर-पार ले जाकर दिखाती हुई ये महिला इसे 'कुदरत का करिश्मा' बताती है. लोग हैरान हैं कि आखिर कैसे एक टूटा हुआ पेड़ बिना किसी सहारे के हवा में लटका है. साथ ही जड़ से अलग होने के बावजूद पेड़ के हरे-भरे होने को लोग एक 'चमत्कार' बता रहे हैं.

ऐसे ही कुछ पोस्ट का आर्काइव यहां, और यहां देखा जा सकता है.
आजतक फैक्ट चेक ने पाया कि ये हरियाणा के समाधा मंदिर के पास मौजूद एक बरगद का पेड़ है. जड़ों से तने के अलग हो जाने के बावजूद इस पेड़ की 'प्रोप रूट' ने इसे जिन्दा रखा हुआ है. 'प्रोप रूट' यानि शाखाओं से निकली हुई जड़, बरगद समेत कई पेड़ों में आम बात है.
कैसे पता लगाई सच्चाई?
वायरल वीडियो में मौजूद महिला बताती है कि ये पेड़ हरियाणा के हिसार जिले के हांसी शहर का है. इस जानकारी की मदद से हमें फेसबुक पर वायरल वीडियो का एक लंबा वर्जन मिला. इस वीडियो में 'सिटी बिग न्यूज' का 'लोगो' लगा हुआ है.
इसके बाद हमें 'सिटी बिग न्यूज' के फेसबुक पेज पर इस झूलते पेड़ का पूरा वीडियो मिला. करीब पांच मिनट लंबे इस वीडियो में पेड़ को अलग-अलग एंगल से दिखाया गया है. झूलते पेड़ के ठीक नीचे मौजूद एक जाल में इस पेड़ की जड़ें भी मौजूद हैं. ध्यान देने वाली बात ये है कि टूटे हुए पेड़ के ठीक बगल में इसी पेड़ का एक और तना दिखाई दे रहा है. लेकिन वायरल वीडियो में से ये हिस्सा हटा दिया गया है.
हमें यूट्यूब पर इस झूलते हुए पेड़ का एक और वीडियो मिला. इस वीडियो में भी साफ देखा जा सकता है कि बीच से टूटे हुए पेड़ के बगल में इसका एक और मजबूत हिस्सा मौजूद है. ये हिस्सा मजबूती से जमीन से जुड़ा हुआ है और टूटे पेड़ को सहारा दे रहा है.

हरियाणा के एक पत्रकार ने अपने यूट्यूब चैनल पर बताया कि ये एक बरगद का पेड़ है जो बीच से टूट गया है. लेकिन जब बरगद के पेड़ की डाली जमीन को छूती है तो वो जड़ पकड़ लेती है. यानी पेड़ की शाखा अपने आप में एक नया पेड़ बन जाती है जिसकी शाखाएं पुराने पेड़ से जुड़ी रहती हैं.
दरअसल टूटे हुए इस पेड़ के साथ कई मान्यताएं जुड़ी हुई हैं. इस पेड़ को अक्षय वट वृक्ष या बड़का पेड़ के नाम से जाना जाता है. ये हांसी के बाबा जगन्नाथपुरी समाधा मंदिर में मौजूद है.
ऐसी मान्यता है कि सन 1586 ईसवी में जगन्नाथ पुरी बाबा इस मंदिर में आए थे. लोगों का मानना है कि वो इस पेड़ के नीचे तपस्या करते थे और उन्होंने यहीं पर समाधि भी ली. इसलिए लोग इस पेड़ को चमत्कारी समझते हैं और इसके चारों ओर लाल कलावा बांध कर पूजा करते हैं.
धार्मिक कहानी तो लोगों की आस्था से जुड़ी बात है. लेकिन इस पेड़ के हवा में झूलते तने के पीछे का विज्ञान जानने के लिए हमने एक जाने माने विशेषज्ञ से संपर्क किया.
'आजतक' ने इस वीडियो के बारे में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के चीफ साइंटिस्ट, डॉ एस के तिवारी से बात की. उन्होंने हमें बताया कि वीडियो में दिख रहा पेड़ एक साधारण बरगद का पेड़ है. साथ ही इसके बगल में जो तना इसे सहारा दे रहा है वो इस टूटे पेड़ का ही हिस्सा है.
डॉ तिवारी ने बताया कि दरअसल बरगद के पेड़ की शाखा जब कच्ची जमीन के संपर्क में आती है तो मिटटी के अंदर उसकी जड़ें निकल आती हैं. शाखा से बनी इन जड़ों को 'प्रोप रूट' कहते हैं. ये जड़ें पेड़ की सभी शाखाओं तक पानी और पोषण पहुंचातीं हैं. ये इतनी मजबूत होतीं हैं कि कई बार पुरानी शाखाओं के टूट जाने पर ये उनका भार भी उठा लेती हैं. इसी वजह से टूटे हुए बरगद के पेड़ भी इन प्रोप रूट की मदद से सालों साल जीवित रहते हैं.
हरियाणा का झूलता पेड़ भले ही कोई चमत्कार ना हो, पर अब हम आपको एक ऐसे बरगद के पेड़ के बारे में बताते हैं जो पूरी दुनिया में मशहूर है. ये पेड़ कोलकाता के आचार्य जगदीश चंद्र बोस इंडियन बॉटेनिक गार्डन में मौजूद है. इसका नाम है 'द ग्रेट बैनयन ट्री'.
'द ग्रेट बैनयन ट्री' करीब 260 साल पुराना बताया जाता है. ये इतनी दूर तक फैला है कि दिखने में एक घने जंगल की तरह लगता है. 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड' की मानें तो ये एक अकेला पेड़ करीब चार एकड़ जमीन में फैला हुआ है. इसमें तीन हजार से भी अधिक 'प्रोप रूट' हैं.