
22 जुलाई 2022 को 68वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों की घोषणा हुई. सूराराई पोट्रू के लिए सूर्या और तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर के लिए अजय देवगन को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का अवॉर्ड मिला. मलयालम भाषा की फिल्म एके अयप्पनम कोशियम के डायरेक्टर सच्चिदानंद केआर को सर्वश्रेष्ठ डायरेक्टर का अवॉर्ड मिला. सर्वश्रेष्ठ फीचर फिल्म का अवॉर्ड सूराराई पोट्रू को मिला. लेकिन अब दिए गए तमाम अवॉर्ड्स में से एक अवॉर्ड को लेकर कुछ कन्फ्यूजन सा बनता नजर आ रहा है.
कन्नड फिल्म डोल्लू को दो अवॉर्ड मिले. इसमें से एक अवॉर्ड इसे सर्वश्रेष्ठ ऑडियोग्राफी के लिये मिला. अवॉर्ड देते वक्त ये घोषणा की गयी कि लोकेशन साउंड रिकॉर्डिस्ट के लिये जोबिन जयन को अवॉर्ड मिला था. इस दौरान ये भी बताया गया कि ये अवॉर्ड उन फिल्मों को ही मिलता है जिनमें सिंक साउंड रिकॉर्डिंग होती है. लेकिन मालूम ये चला कि असल में डोल्लू फिल्म सिंक साउंड नहीं बल्कि डब साउंड की फिल्म है. ऑस्कर अवॉर्ड जीत चुके साउंड डिज़ाइनर रेसुल पोकुटी ने ट्वीट करके इस ओर सभी का ध्यान खींचा.
The film that won the #SyncSoundRecording #NationalAwards is not even a sync sound film, it’s a dubbed film, confirms the Sound Designer of the film @nithin_lukose 😳😱🙆♀️ pic.twitter.com/7T6jxYaP3d
— resul pookutty (@resulp) July 22, 2022
उन्होंने बताया कि फिल्म डोल्लू के साउंड डिज़ाइनर नितिन ने भी इस बात की तस्दीक की थी कि फिल्म असल में डब साउंड की है, न कि सिंक साउंड की. नितिन ने ट्वीट करके कहा कि उन्हें नहीं मालूम है कि पर्दे के पीछे क्या हुआ लेकिन उन्हें ज्यूरी के फैसले पर तरस आ रहा है.
I don't know what happened behind the curtains of the National Award selections and it's procedures, But I pity the judgement of the jury who couldn't differentiate between a dub and a sync sound film, claims to be the experts in the scenario! @official_dff https://t.co/hmPBT43BhW
— Nithin Lukose (@nithin_lukose) July 22, 2022
सिंक साउंड की फ़िल्में वो फ़िल्में होती हैं जिनमें शूटिंग के वक़्त, लोकेशन पर साथ-साथ साउंड रिकॉर्ड होता है और बाद में स्टूडियो में कोई डबिंग नहीं होती है. ऐसी स्थिति में शूटिंग के वक़्त साउंड टीम भी मौजूद होती है. नितिन ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए बताया कि 'डोल्लू फिल्म की बैंगलोर के स्टूडियो में डबिंग की गयी थी. लेकिन जब नेशनल अवॉर्ड घोषित हुए तो मालूम चला कि फिल्म को सिंक साउंड केटेगरी में अवॉर्ड दिया गया है जो इस फिल्म में हुआ ही नहीं.' नितिन ने बताया कि पहले तो वो सिंक साउंड के साथ ही इसे बनाना चाहते थे, मगर बजट के चक्कर में ऐसा नहीं किया गया.
जोबिन जयन, जिन्हें सर्वश्रेष्ठ साउंड रिकॉर्डिस्ट का अवॉर्ड मिला है, ने कहा कि उन्होंने फिल्म की रिकॉर्डिंग की है लेकिन फिल्म को सिंक साउंड की फिल्म नहीं कहा जा सकता.

यहां से सवाल उठा कि अगर फिल्म सिंक साउंड की नहीं है तो आखिर ये उस केटेगरी में पहुंची कैसे? फिल्म को अवॉर्ड के लिये भेजा गया होगा. तो क्या उस वक़्त फिल्म से जुड़े लोगों ने इसे सिंक साउंड की केटेगरी में नॉमिनेट कर दिया? इस बारे में सफाई मिलती है डोल्लू के डायरेक्टर सागर पुराणिक से. डेकन हेरल्ड से बात करते हुए उन्होंने कहा कि जब वो अपनी फिल्म को नॉमिनेशन के लिये भेज रहे थे, ऑडियोग्राफी की अवॉर्ड केटेगरी में कहीं भी सिंक साउंड का जिक्र ही नहीं था. उन्होंने बताया कि फिल्म में 8 से 10 ढोल एक साथ बजने थे. इतना बड़ा सेटअप स्टूडियो में संभव नहीं था. इसलिये उन्होंने केरल से तकनीकी लोग बुलाये और शहर से बाहर जाकर एक-एक बीट का साउंड रिकॉर्ड किया. इसी साउंड का फिल्म में इस्तेमाल किया गया. सागर पुराणिक का कहना है कि 'ऑडियोग्राफ़ी केटेगरी में 3 सेक्शन होते हैं - साउंड डिज़ाइन, फाइनल मिक्सिंग और लोकेशन रिकॉर्डिंग. लेकिन चूंकि इसमें सिंक साउंड का जिक्र नहीं था, इसलिये उन्होंने लोकेशन रिकॉर्डिंग में अपनी फिल्म को बढ़ा दिया.'
बाद में, जब अवॉर्ड की घोषणा हुई तो सभी ने देखा कि सेक्शन के आगे ब्रैकेट में 'सिर्फ़ सिंक साउंड फ़िल्मों के लिये' लिखा हुआ था.

फिल्म डोल्लू के साउंड डिज़ाइनर नितिन हताश दिखे. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए उन्होंने फ़िल्म अवॉर्ड्स देने वाली ज्यूरी पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि ऐसे लोग जो ज्यूरी का हिस्सा हैं और ख़ुद को फ़िल्मों के मामलों में एक्सपर्ट मानते हैं, क्या सिंक साउंड और डब साउंड का अंतर नहीं जानते? उनका कहना था कि ऐसी गलती नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स के लेवल पर नहीं होनी चाहिये.
फ़िलहाल, इस बारे में अवॉर्ड देने वाली ज्यूरी या फ़िल्म समारोह निदेशालय (सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय) की ओर से कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है.