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डिप्रेशन का दर्द झेल चुके विजय वर्मा, आमिर खान की बेटी बनी सहारा, बोले- बुरा था...

लॉकडाउन एक ऐसा वक्त था जो आम इंसान के लिए ही नहीं बल्कि बॉलीवुड सेलेब्स के लिए भी काफी मुश्किलों भरा गुजरा. एक्टर विजय वर्मा इस दौरान डिप्रेशन का शिकार हो गए थे. इसके बारे में एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया.

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विजय वर्मा का छलका दर्द (Photo: Instagram/Vijay Varma)
विजय वर्मा का छलका दर्द (Photo: Instagram/Vijay Varma)

बॉलीवुड एक्टर विजय वर्मा ने हाल ही में अपने डिप्रेशन फेज पर खुलकर बात की. उन्होंने याद किया कि किस तरह लॉकडाउन उनके लिए चैलेंजिंग समय रहा. जबकि विजय के पास एक के बाद एक काफी सारे प्रोजेक्ट्स थे और वो ये सोच रहे थे कि वो अपने बेस्ट वर्जन में हैं, लेकिन इससे अलग ही बातें थीं. जब लॉकडाउन की घोषणा हुई तो विजय के लिए सारी चीजें जैसे रूक सी गईं. 

विजय ने बताया कि उनके लिए वो वक्त कितना मुश्किल था. वो खुद को अकेला महसूस करते थे. तब आमिर खान की बेटी आयरा खान ने उनकी मदद की. गुलशन देवैया भी उनके सपोर्ट सिस्टम बने. आयरा ने विजय से कहा कि उन्हें थेरेपी लेनी चाहिए. क्योंकि वो एंग्जाइटी और डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. 

डिप्रेशन पर की विजय ने बात
रिया चक्रवर्ती से बातचीत में विजय ने बताया कि मैं मुंबई में अकेला था जब लॉकडाउन लगा. मेरे पास छोटा सा टेरेस था जहां से मैं आसमान देख सकता था. अगर ये भी नहीं होता तो मैं पागल हो जाता. मेरे लिए काफी महीनों तक अकेले रहना काफी टफ था. मैं अकेलापन महसूस करता था. फिर एक दिन मैंने खुद से कहा कि मैं क्यों अपने काउच से नहीं उठ रहा हूं और चार दिन के लिए कहीं घूमकर आता हूं. 

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उस समय आयरा और गुलशन मेरे सपोर्ट सिस्टम बने. 'दहाड़' में आयरा हम लोगों को इसिस्ट कर रही थी. हम दोनों शूट के दौरान काफी अच्छे दोस्त बन गए थे. जूम पर हम दोनों एक-दूसरे को वीडियो कॉल रते थे. खाना साथ खाते थे. पर मैं बीमार होता जा रहा था. आयरा ने ये बात नोटिस की थी. उसने कहा था कि विजय, आपको थोड़ा बाहर जाने की जरूरत है. फिर हमने साथ में जूम वर्कआउट्स रने शुरू किए. मैंने एक थेरेपिस्ट का सहारा लिया. उन्होंने कहा कि मुझे एंग्जाइटी और डिप्रेशन है. काफी ज्यादा था उस समय.

आयरा ने किया नोटिस
अगर बातचीत से ठीक होता है तो अच्छा है, वरना दवाइयां शुरू करनी होंगी. योग और थेरेपी के जरिए मैंने हील करना शुरू किया. मैं तीसरे या चौथे सूर्यनमस्कार में गिर जाता था. घंटों रोता रहता था. मैं काफी बुरे डिप्रेशन में था. काफी मिक्स्ड इमोशन्स थे मेरे अंदर. सबसे बड़ा गिल्ट मेरे अंदर था कि मैं घर से दूर हूं और अलग हूं. आज भी मेरा एक हिस्सा इस बात से रिग्रेट करता है. जब आप घर छोड़ते हो तो परिवार को मिस करते हो. मुझे ये बात अभी भी खाती है. मैं सोचता हूं कि क्या घर छोड़र मैंने सही किया. 10 साल से परिवार से दूर हूं, किस चीज के लिए? पर आज मैं खुश हूं. 
 
आयरा ने ही मुझे कहा था कि मुझे हिलने की जरूरत है. वो मुझे ट्रेन करती थी, वो भी जूम कॉल पर. उसी ने मुझे कहा था कि थेरेपी गलत चीज नहीं है, तुम्हें लेनी चाहिए. मुझे लगता है कि शायद बचपन की मेरे पास कुछ बुरी यादें हैं जो आज भी मेरे साथ हैं. अगर आप मेरे बचपन के बारे में पूछोगे तो मुझे याद नहीं. लेकिन सबकॉन्शियस दिमाग में हैं वो. जब आप परेशान होते हो तो मुझे लगता है कि आपको इसके बारे में बात करनी चाहिए. क्योंकि बात करोगे तो ही जीवन में आगे बढ़ पाओगे. 

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