रणवीर सिंह की 'धुरंधर' ने बीते 11 दिनों में थिएटर्स को फिर से याद दिला दिया है कि हाउसफुल का बोर्ड कहां रखा है. 'धुरंधर' ने धमाका तो पहले ही दिन कर दिया था. पर इस धमाके की गूंज लगातार इतने दिनों तक सुनाई देती रहेगी, इसका अंदाजा लोगों को शायद ही रहा होगा. 'धुरंधर' अब सिर्फ एक फिल्म नहीं है, कल्चरल मूवमेंट बन चुकी है. दर्शकों में एक ऐसी फीलिंग है कि 'धुरंधर' नहीं देखी तो कुछ मिस हो जाएगा. इस फीलिंग की एक बड़ी वजह ये भी है कि जेनुइन सिनेमा लवर्स को 'धुरंधर' ने दीवाना बना रखा है. और इस दीवानेपन की कुछ बड़ी वजहें हैं:
स्पाई फिल्मों के लिए नया पैमाना
स्पाई-थ्रिलर फिल्में दुनिया भर में बहुत पॉपुलर रही हैं. जेम्स बॉन्ड जैसी फिल्मों का असर ये हुआ कि हॉलिवुड ही नहीं, दुनिया भर में स्पाई-थ्रिलर फिल्मों का एक टेम्पलेट सेट हुआ, जो असली जासूसी किस्सों से बहुत अलग था.
तबाही और जिंदगी के बीच खड़ा एक अकेला जासूस, उसकी उधड़ी-उलझी पर्सनल लाइफ, ग्लैमर का छौंक, इस जासूस के लिए गिरती जा रहीं लड़कियां और इंटीमेट सीन्स— ये स्पाई फिल्मों का फिक्स फॉर्मूला बन गया. पिछले कुछ सालों में इंटरनेशनल स्पाई फिल्मों में ये टेम्पलेट बदलने लगा और रियलिटी के ज्यादा करीब वाली स्पाई फिल्में नजर आने लगीं.
बॉलीवुड में भी स्पाई-फिल्मों का यही टेम्पलेट खूब फॉलो होने लगा. एक पूरा स्पाई यूनिवर्स भी खड़ा हो गया. इसके जासूस जिन खतरों से देश को बचा रहे थे, वो फिल्मी खतरे थे. ऐसे खतरे नहीं, जो भारत की जनता ने रियलिटी में डायरेक्ट महसूस किए हैं. 'धुरंधर' ने यही टेम्पलेट बदल दिया. वो आतंकी घटनाएं, वो हमले जो भारतीय जनता ने अपनी आंखों से देखे हैं. इनके दोबारा घटने का डर महसूस किया है.
रणवीर सिंह का किरदार जासूस कहलाने लायक जासूस है. उस पर बोझ सिर्फ अपने मिशन को पूरा करने का है, किसी बिग बजट फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर बचाने का नहीं. और इससे सब बदल गया. कहानी के सेटअप, लुक, फील और एक्शन तक सब कुछ रियलिटी का नाटकीय रूपांतरण जैसा था. नाटकीय जासूसी कहानी को रियल फील कराने का स्वांग नहीं. इसने 'धुरंधर' को देसी इंडियन सिनेमा की सबसे दमदार स्पाई-थ्रिलर बना दिया.
रणवीर सिंह का बड़ा धमाका
अक्षय खन्ना, राकेश बेदी, आर माधवन और संजय दत्त जैसे एक्टर्स को दमदार सपोर्टिंग रोल में देखना हिंदी फिल्म लवर्स को खुश कर ही रहा है. और इसकी गवाही सोशल मीडिया पर इनकी शान में लिखे पोस्ट खूब दे रहे हैं. मगर रणवीर सिंह की जोरदार वापसी एक अलग कहानी है.
पहली ही फिल्म से रणवीर सिंह को एक दमदार परफॉर्मर माना गया था. उनकी फिल्में मेनस्ट्रीम सिनेमा के ब्रैकेट में ही आती हैं. मगर इनमें रणवीर की परफॉर्मेंस और उनकी एक्टिंग स्किल्स को कोई कमजोर नहीं बता सकता. 'बैंड बाजा बारात' के कॉलेज बॉय बिट्टू से लेकर 'गली बॉय' के रैपर तक. या फिर '83' के कपिल देव के रोल में... किरदार को निभाने में रणवीर की मेहनत पर पक्के बॉलीवुड फैंस कभी संदेह नहीं करते!
2010 के बाद आने वाले एक्टर्स में रणवीर सिंह को एक चीज सबसे अलग करती है— एक्टिंग स्किल्स और ऑडियंस को थिएटर तक खींचने वाली स्टारपावर का बेहतरीन बैलेंस. 'एनिमल' से पहले तक रणबीर कपूर एक समय बॉक्स ऑफिस पावर के मामले में रणवीर सिंह से थोड़े फीके मालूम होते थे. लॉकडाउन के बाद रणवीर सिंह का टाइम थोड़ा उल्टा चलने लगा. गैर जरूरी विवाद, फैशन चॉइस जैसी निजी चीजों को लेकर नेगेटिव परसेप्शन और फ्लॉप फिल्मों की हैट्रिक ने रणवीर का भौकाल बिगाड़ दिया.
लॉकडाउन के बाद उन्होंने 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' जैसी हिट तो दी, मगर इसकी कामयाबी उतनी तगड़ी नहीं थी, जितनी उम्मीदें लोगों को रणवीर से रहती हैं. उनके काम के कायल लोग उन्हें एक बड़ी, ग्रैंड सक्सेस वाली फिल्म में देखने का अरमान लिए बैठे थे. और 'धुरंधर' ने बॉलीवुड लवर्स का ये अरमान पूरा कर दिया.
नेगेटिव पब्लिसिटी और विवादों का जवाब
'धुरंधर' के ट्रेलर को जनता से शानदार रिस्पॉन्स मिला था. मगर इसे लेकर नेगेटिव पब्लिसिटी की कोशिशें भी बहुत हुईं. कभी फिल्म का साढ़े तीन घंटे लंबा रनटाइम टारगेट किया गया. कभी रणवीर सिंह के पोटेंशियल को कम आंका गया. 'धुरंधर' के ऑन-ग्राउंड प्रमोशन्स को गायब देख, मेकर्स को ओवर-कॉन्फिडेंट और अंडर-कॉन्फिडेंट कहा गया.
एडवांस बुकिंग में 'धुरंधर' ने जब 'जवान', 'पठान' या 'छावा' जैसी पेस नहीं दिखाई तो फिर से इसके भविष्य पर संदेह जताया जाने लगा. रणवीर सिंह से भी एक चूक हुई. उन्होंने 'कांतारा चैप्टर 1' की तारीफ में ऋषभ शेट्टी के एक सीन की नकल स्टेज पर कर दी. रणवीर हेटर्स को फिर से फ्यूल मिल गया. रणवीर ने माफी भी मांग ली, फिर भी 'धुरंधर' की रिलीज से पहले तक उनके कैरेक्टर की खिंचाई चलती रही.
'धुरंधर' रिलीज हुई तो 'प्रोपेगेंडा' वाला शोर भी मचने लगा. प्रबुद्ध लोगों में बहस छिड़ गई कि क्या 'धुरंधर' किसी पार्टी विशेष या सरकारी एजेंडा को प्रमोट करती है? कुल मिलाकर फिल्म के इर्द-गिर्द इतना शोर खड़ा हो गया कि फिल्म लवर्स का मूड डिस्टर्ब होने ही लगा था. लेकिन जनता ने 'धुरंधर' का हाथ जैसे पकड़ा, वो किसी भी सिनेमा लवर की आंखों को सुकून देने वाली चीज है. 'धुरंधर' इस शोर को चीरती हुई थिएटर्स में गरजने लगी.
बॉक्स ऑफिस की सुनामी
सिनेमा की दुनिया में लॉकडाउन एक बहुत बड़ा प्लॉट-ट्विस्ट था. ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने जनता की आदत बिगाड़ दी. लोग थिएटर्स तक जाने में अलसाने लगे हैं. 'फिल्म ओटीटी पर आ जाएगी तो देख लेंगे' उन लोगों के मुंह से भी सुनने को मिल जाता है, जो कभी दिन-दिन भर सिनेमा हॉल में कैंप करते पाए जाते थे. एंटरटेनमेंट की दुनिया में बड़ी टेंशन चल रही है— जनता को थिएटर्स तक आने की आदत फिर से कैसे लगाई जाए? जवाब सीधा है— दमदार फिल्में बनाई जाएं.
'धुरंधर' को रिलीज हुए 11 ही दिन हुए हैं. इसका नेट बॉक्स ऑफिस कलेक्शन ऑलमोस्ट 400 करोड़ हो चुका है. पहले दिन के बाद से ही जनता में ये फिल्म देखने की जल्दबाजी नजर आने लगी. दूसरे हफ्ते तक आते-आते ये हाल हो गया कि फिल्म के टिकट नहीं मिल पा रहे थे. कई थिएटर्स चौबीसों घंटे खुले रहे. साढ़े तीन घंटे का लंबा रनटाइम, 'एडल्ट ओनली' रेटिंग होने के बावजूद जनता फिल्म के लिए उमड़ी पड़ी है. 'छावा' और 'सैयारा' के बाद बॉलीवुड से इस साल कुछ धमाकेदार माल नहीं आया था. 'धुरंधर' ने साल खत्म होते-होते ये भी कमी दूर कर दी.
बॉक्स ऑफिस पर नित नए रिकॉर्ड बन रहे हैं. डेली कलेक्शन के रिकॉर्ड टूट रहे हैं. शर्तें लगाई जा रही हैं कि आज 'धुरंधर' फलाना बॉक्स ऑफिस माइलस्टोन पार कर पाएगी या नहीं? 'धुरंधर' है कि ऐसे हर माइलस्टोन से कहीं ज्यादा आगे निकल जा रही है. ये फिल्म सबूत है कि थिएट्रिकल बिजनेस सिर्फ सांसें ही नहीं ले रहा, फल-फूल भी रहा है.
एक बेहतरीन म्यूजिक एल्बम
बॉलीवुड फिल्में बिना म्यूजिक के कुछ भी नहीं हैं. 2025 इस मामले में काफी मजबूत रहा है. 'सैयारा', 'आप जैसा कोई', 'मेट्रो इन दिनों' जैसी तमाम फिल्मों के म्यूजिक एल्बम खूब पॉपुलर हुए. पर 'धुरंधर' में शाश्वत सचदेव ने सिर्फ म्यूजिक नहीं दिया, नशा सा तैयार कर दिया है. टाइटल ट्रैक से लेकर 'इश्क जलाकर', 'गहरा हुआ', 'ईजी-ईजी' और 'लुट्ट ले गया' तक... एक-एक गाना लूप पर सुना जा रहा है. म्यूजिक ऐप्स से लेकर दिल्ली एनसीआर की गाड़ियों तक हर जगह 'धुरंधर' की बीट्स बज रही हैं.
इसके अलावा मीम्स, रील्स और शॉर्ट कंटेंट के मामले में 'धुरंधर' एक खान बन गई है. कंटेंट क्रिएटर्स 'धुरंधर' के एक-एक सीन का एनालिसिस कर रहे हैं. एक-एक सीन पर वायरल वीडियो गिर रहे हैं. मीमकारों में 'धुरंधर' को निचोड़ डालने की होड़ मची है. किसी भी सच्चे सिनेमा लवर के लिए ये सीन आंखों में चमक लाने वाले हैं.