बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमाई हुई है. कई भोजपुरी सितारों का किस्तम का पिटारा खुल चुका है. किसी के हाथ जीत लगी, तो किसी को हार का मुंह देखना पड़ा. विधानसभा चुनाव में भोजपुरी एक्टर खेसारी लाल यादव भी मैदान में थे. इलेक्शन से पहले उन्होंने जमकर चुनाव प्रचार किया और विरोधियों के लिए बयानबाजी भी की.
तमाम कोशिशों के बाद खेसारी लाल को बिहार चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा. वो छपरा सीट से आरजेडी के उम्मीदवार थे. इलेक्शन हारने के बाद वो आगे क्या करने वाले हैं, ये एक चर्चा का विषय बन चुका है.
दांव पर लगाया करियर
खेसारी लाल यादव भोजपुरी इंडस्ट्री का लोकप्रिय नाम हैं. सालों की मेहनत के बाद उन्होंने इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाई थी. इसलिए जब उन्होंने विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया, तो हर जगह उनकी की चर्चा होने लगी. चुनाव प्रचार के दौरान एक इंटरव्यू में खेसारी ने कहा था कि इलेक्शन के लिए उन्होंने अपना करियर दांव पर लगाया है. वो आगे आने वाले पांच साल तक कुछ नहीं कर सकेंगे.
खेसारी के ये शब्द उनके फैन्स को शॉक कर गए. फैन्स सोच में पड़ गए कि आखिर उन्होंने ऐसा क्यों कहा. क्योंकि अगर वो चुनाव जीतते, तो पांच साल जनता के लिए काम करते. सरकार की तरफ से उन्हें एक फिक्स सैलरी भी मिलती. अगर चुनाव हारते तो भी भोजपुरी सिनेमा में काम करके घर चला सकते हैं. लेकिन उनके कहने का मतलब क्या था, ये सिर्फ वही बता सकते हैं.
भोजपुरी सितारों के लिए की बयानबाजी
पवन सिंह, रवि किशन, निरहुआ और मनोज तिवारी भोजपुरी सिनेमा के बड़े सितारे हैं. ये सभी एक्टर्स बीजेपी पार्टी से हैं. खेसारी लाल यादव ने चुनावी मैदान में इनके सामने खड़े होना ठीक समझा. वो आरजेडी से चुनाव लड़े. विरोधी पार्टी से होने की वजह से खेसारी लाल, पवन सिंह, रवि किशन, निरहुआ और मनोज तिवारी के खिलाफ बोलते दिखे. पवन सिंह, रवि किशन, निरहुआ और मनोज तिवारी ने भी खेसारी पर खूब बयानबाजी की.
मुद्दा चुनाव का होता तो भी ठीक था, लेकिन खेसारी लाल, पवन सिंह की निजी जिंदगी में कूद गए. उन्होंने पावर स्टार की शादीशुदा जिंदगी पर भी खूब बोला. जिससे साफ जाहिर होता है कि इनके रिश्ते में खटास आ चुकी है.
क्या होगा करियर का फ्यूचर?
चुनाव में मिली हार के बाद देखना दिलचस्प होगा कि खेसारी भोजपुरी सिनेमा के प्रोजेक्ट्स पर काम करते हैं. या फिर वो राजनीति में पूरी तरह एक्टिव हो जाएंगे. पवन सिंह संग उनके रिश्ते पर भी लोगों की नजर रहेगी.
खेसारी भले ही बिहार चुनाव नतीजों में पीछे रह गए. लेकिन उन्होंने अकेले जिस तरह चुनाव प्रचार की कमान संभाली और विरोधियों को जवाब दिया, वो काबिल-ए-तारीफ है. बाकी राजनीति में हार-जीत तो चलती रहती है.