
लंबे समय बाद पूरा गांधी परिवार एक मंच पर नजर आया. जयपुर की धरती से कांग्रेस ने महंगाई हटाओ का नारा लगाया. लेकिन राहुल गांधी ने जब माइक संभाला तो जिक्र हिंदू और हिंदुत्ववाद का भी आया. राहुल ने देश की जनता को इन दोनों शब्दों का मतलब समझाया और भाजपा को हिंदुत्ववादी कहकर, खुद को हिंदू बताया.
अब सवाल ये उठ रहे हैं कि न राजस्थान में चुनाव है और न रैली चुनावी थी, फिर ऐसा क्या हुआ कि राहुल गांधी को जयपुर की महंगाई रैली में असली हिंदू और नकली हिंदू का राग छेड़ना पड़ा? क्या जयपुर की रैली से राहुल यूपी को कोई संदेश भेजना चाहते थे या फिर खुद को बड़ा हिंदू बताकर राहुल बीजेपी के 'चुनावी एजेंडे' पर प्रहार कर राष्ट्रीय तस्वीर खींचना चाहते हैं.

दरअसल, राजनीतिक गलियारों में ये चर्चा बड़ी आम रही है कि बीजेपी जब विकास के साथ हिंदू और हिंदुत्व की पिच पर चुनावी बैटिंग करती है, तो रिजल्ट उसके हक में आसान हो जाता है. विरोधियों और विशेषज्ञों की तरफ से भी बीजेपी पर चुनावी एजेंड में धर्म लाने के आरोप लगते रहते हैं.
चुनावी एजेंडे की लड़ाई?
दूसरी तरफ, बीजेपी और उससे जुड़े वैचारिक समूहों या लोगों की तरफ से गांधी परिवार के धर्म को लेकर सवाल उठते रहते हैं. आरोप लगते हैं कि राहुल गांधी हों या प्रियंका गांधी, ये महज चुनावी हिंदू हैं.
यानी एक तरफ केदारनाथ जाने वाले पीएम मोदी हैं, अयोध्या में ऐतिहासिक दिवाली आयोजित कराने वाले सीएम योगी हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस नेता हैं, जिन्हें चुनाव के वक्त मंदिरों में जाने वाला बताया जाता है. कुल मिलाकर लड़ाई असली हिंदू की भी है.
शायद यही वजह है कि रविवार (12 दिसंबर) को जयपुर की रैली में राहुल गांधी ने ये कहा कि मैं हिंदू हूं, मगर हिंदुत्तवादी नहीं हूं. राहुल ने अपनी बात को मजबूती देते हुए ये भी कहा कि महात्मा गांधी हिंदू थे जबकि उनका कत्ल करने वाला गोडसे हिंदुत्ववादी था.

इस मुद्दे पर वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी का कहना है ''बीजेपी एजेंडा तो हिंदुत्ववादी का सेट करती है लेकिन जिनको वो हिंदू नेता मानती है उनकी चर्चा चुनाव में उस तरह नहीं करती है. बीजेपी सावरकर की बात नहीं करती, बल्कि पटेल और जिन्ना की बात करती है क्योंकि उन्हें लगता है कि उन नेताओं के नाम के साथ चलना आसान काम नहीं है.''
शायद यही वजह है कि राहुल गांधी ने लकीर खींच दी और बता दिया कि असली हिंदू कौन है और जनता को किसका साथ साथ देना है. राहुल ने कहा कि असली हिंदू वो हैं जो गांधी के विचार पर चलते हैं, और हिंदुत्ववादी वो हैं जो गोडसे को मानते हैं. और ये फर्क बताते हुए राहुल गांधी ने बीजेपी और मौजूदा सरकार के लोगों को हिंदुत्ववादी बताया.
इस तरह राहुल ने खुद को असली हिंदू बताने का प्रयास तो किया ही, साथ ही अपने विचार को महात्मा गांधी के उत्तराधिकारी के रूप में भी आगे रखा.
राहुल के हिंदू होने पर उठते हैं सवाल
दरअसल, राहुल के धर्म को लेकर हमेशा सवाल उठते रहते हैं. राहुल के बयान के बाद भी ऐसी ही प्रतिक्रियाएं आईं. विश्व हिंदू परिषद के संयुक्त महासचिव सुरेंद्र जैन ने कहा कि राहुल गांधी को न हिंदू की समझ है और न हिंदुत्व की. वहीं, बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि राहुल गांधी न हिंदू हैं और न हिंदुस्तानी.
राहुल इस तरह के आरोप पहले भी लगते रहे हैं, लिहाजा जयपुर की रैली से उन्होंने न सिर्फ खुद को हिंदू बताया बल्कि ये भी कहा कि जो लोग सत्ता में हैं वो भी हिंदुत्ववादी हैं. इसलिए देश की सत्ता से इन हिंदुत्ववादियों का बाहर निकालना है और हिंदुओं की सत्ता को वापस लाना है.
चुनाव-दर चुनाव हार
2014 में जब केंद्र की सत्ता में बीजेपी आई, तब से कांग्रेस का चुनावी ग्राफ गिरता चला गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर बीजेपी राज्य-दर राज्य विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की. एक वक्त तो ऐसा आ गया जब 20 से ज्यादा राज्यों में बीजेपी या उसके गठबंधन दलों की सरकार बन गई. चुनावों में हिंदु मुसलमान, जिन्ना पाकिस्तान होता रहा, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल बीजेपी को घेरते भी रहे, लेकिन नतीजे अंतत: बीजेपी के पक्ष में ही गए और कांग्रेस चुनाव हारती चली गई.

चुनावी नतीजों की समीक्षा में कहीं मोदी के मजबूत चेहरे का जिक्र आया तो कहीं धार्मिक ध्रुविकरण का. कहा जाने लगा कि एक तरफ बीजेपी के पास मोदी जैसा बड़ा चेहरा और मजबूत संगठन है तो दूसरी तरफ कांग्रेस का कमजोर नेतृत्व और विचारधारा में शिथिलता जैसी बातों का जिक्र भी होता है.
तो क्या चुनाव पर नजर?
महंगाई की रैली में हिंदू और हिंदुत्तवादी की व्याख्या करने की जरूरत क्यों पड़ी, इस सवाल पर कांग्रेस प्रवक्ता रागिनी नायक ने कहा, ''जब देश की सत्ता पर एक ऐसी विचारधारा आसीन हो जो हर विफलता की ढाल धार्मिक उन्माद और सांप्रदायिकता को बनाए तो ज्वलंत मुद्दों के साथ-साथ धार्मिक झूठ का पर्दाफाश करना भी हमारी जिम्मेदारी है. अगर पीएम, आरएसएस, मंत्री, भाजपा के मुख्यमंत्री धर्म का प्रोपेगेंडा करेंगे तो कांग्रेस पलटवार जरूर करेगी और धर्म की परिभाषा जनता को जरूर बताएगी.''
यानी जिस पिच पर बीजेपी बेहद मजबूत मानी जाती है, उसकी रिपोर्ट जनता को बताकर कांग्रेस भी अब उसी मोड में बल्लेबाजी करने के मूड में नजर आ रही है. अब चुनावों में कांग्रेस को इसका क्या फायदा पहुंचेगा ये आने वाले पांच राज्यों के नतीजों से साफ हो जाएगा.