कर्नाटक विधानसभा चुनाव में प्रचार अभियान के बाद अब मतदाताओं के फैसले की बारी है. 224 सीटों पर एक ही चरण में आज यानी बुधवार सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू होगी और शाम 6 बजे तक चलेगी. 13 मई को नतीजे आएंगे. मतदान को लेकर पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. करीब 4 लाख मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है.
राज्य की 224 विधानसभा सीटों के लिए 2615 उम्मीदवार मैदान में हैं. उम्मीदवारों में 2,430 पुरुष हैं, 184 महिलाएं हैं, और एक थर्ड जेन्डर है. चुनाव में बीजेपी से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व सीएम सिद्धारमैया और जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी जैसे दिग्गज उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं.
राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. यहां कुल 5,31,33,054 मतदाता वोट डालेंगे. इनमें 2,67,28,053 पुरुष और 2,64,00,074 महिलाएं और 4,927 अन्य वोटर्स हैं. जबकि 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार है. कर्नाटक का भावी भविष्य यानी युवा वोटर्स की संख्या 11,71,558 है. जबकि 5,71,281 दिव्यांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) हैं.
कर्नाटक में 80 साल से ज्यादा उम्र के 12,15,920 मतदाता हैं. चुनाव आयोग ने इस बार 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग वोटर्स को घर से वोटिंग करने की अनुमति दी है. इन्हें घरों में गुप्त रूप से वोटिंग करने के लिए मतपत्र दिए जाएंगे.
चुनाव में जीत के लिए उम्मीदवारों ने झोंकी ताकत
बता दें कि पूरे चुनाव प्रचार में बीजेपी, कांग्रेस और जद (एस) के बीच जबरदस्त आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले. तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एक मजबूत पिच बनाई है. राज्य चुनाव आयोग ने युवा और शहरी मतदाताओं से बेलगावी जिले के रहने वाले 103 वर्षीय महादेव महालिंगा माली जैसे बुजुर्ग मतदाताओं से प्रेरणा लेने और 'लोकतंत्र के त्योहार' में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने का आग्रह किया है.
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बीजेपी: मिथक तोड़ने में पूरी ताकत झोंकी
सत्तारूढ़ बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है. मोदी फैक्टर के सहारे चुनावी मैदान में उतरी बीजेपी राज्य के चुनावी ट्रेंड को बदलना चाहती है. कर्नाटक में पिछले 38 साल से सत्ताधारी पार्टी की वापसी नहीं हुई है. राज्य ने 1985 के बाद से सत्तारूढ़ पार्टी को रिपीट होने का मौका नहीं दिया है. फिलहाल, बीजेपी अपने दक्षिण के प्रवेश द्वार को बरकरार रखना चाहती है. बीजेपी का कैंपेन काफी हद तक मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डबल इंजन सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और केंद्र सरकार की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के इर्द-गिर्द रहा. इसके साथ ही मुस्लिम आरक्षण हटाने और बजरंग दल पर बैन से जुड़ा मुद्दा शामिल रहा.
कांग्रेस: सत्ता हासिल करने के लिए लगाया पूरा जोर
वहीं, कांग्रेस ने कर्नाटक के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य में चुनावी जनसभा की. यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी चुनावी कमान संभाले देखे गए. कांग्रेस सत्ता हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद को मुख्य विपक्षी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए जोर लगाया है. प्रचार में कांग्रेस ने आम तौर पर स्थानीय मुद्दों पर फोकस रखा. शुरुआत में राज्य के नेताओं ने प्रचार अभियान चलाया. हालांकि, बाद में केंद्रीय नेताओं AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला और राज्य के लोगों को वादों की गारंटियां देकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की.
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जद (एस): 'किंगमेकर' बनेंगे या 'किंग' बनेंगे कुमारस्वामी
इसके साथ ही जेडीएस भी खुद को गेमचेंकर साबित करने की कोशिश में है. माना जा रहा है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की अगुआई वाली जनता दल (सेक्युलर) एक 'किंगमेकर' के रूप में उभरेगी या फिर 'किंग' के रूप में कुर्सी संभालने का मौका मिलेगा, जिसके पास सरकार गठन का जादुई आंकड़ा होगा. जद (एस) ने भी स्थानीय कार्ड खेलकर कैंपेन चलाया. पूरे अभियान का नेतृत्व सिर्फ पार्टी अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने संभाला. हालांकि, पार्टी संरक्षक देवगौड़ा भी अपनी बढ़ती उम्र और बीमारियों के बावजूद चुनावी अभियान में शामिल हुए.
इन सीटों से चुनावी मैदान में दिग्गज
इस चुनाव में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (शिगांव), विपक्ष के नेता सिद्धारमैया (वरुणा), जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी (चन्नापटना), राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार (कनकपुरा) से उम्मीदवार हैं. इसके अलावा, पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार (हुबली-धारवाड़ मध्य) भी प्रत्याशी हैं. शेट्टार हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं.
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'राजनैतिक दलों का जोर- पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएं'
फिलहाल, चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने राज्य की जनता से पूर्ण बहुमत की सरकार लाने की अपील की है. चूंकि, 2018 के चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, उसके बाद कांग्रेस 80, जेडी (एस) 37, और एक-एक निर्दलीय, बसपा और कर्नाटक प्रज्ञावंता जनता पार्टी (केपीजेपी) को सीट मिली थी. लेकिन, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था. इस बीच, कांग्रेस और जद (एस) ने गठबंधन सरकार बनाने की रणनीति तैयार करना शुरू की, तभी भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा किया और सरकार बना ली. हालांकि, ट्रस्ट वोट में संख्या नहीं जुटा पाने की वजह से तीन दिन के भीतर इस्तीफा देना पड़ा था.
'पहले कांग्रेस गठबंधन, फिर बीजेपी सरकार'
उसके बाद कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की सरकार बनी और मुख्यमंत्री के रूप में कुमारस्वामी ने जिम्मेदारी संभाली, लेकिन 14 महीने में गठबंधन सरकार भी गिर गई और निर्दलीय समेत 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. सत्तारूढ़ विधायक गठबंधन से बाहर हो गए और भाजपा में शामिल हो गए. बाद में बीजेपी सत्ता में वापस आई और 2019 में हुए उपचुनावों में सत्तारूढ़ दल ने 15 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की.
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वर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास 116 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 69, जद (एस) के 29, बसपा का एक, निर्दलीय दो, स्पीकर एक और छह खाली सीटें (चुनाव से पहले अन्य दलों में शामिल होने के लिए इस्तीफा और मृत्यु के बाद) हैं.
'650 कंपनियां संभालेंगी सुरक्षा व्यवस्था'
मतदान के दौरान कुल 75,603 बैलेट यूनिट (BU), 70,300 कंट्रोल यूनिट (CU) और 76,202 वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का इस्तेमाल किया जाएगा. राज्य भर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और पड़ोसी राज्यों से भी सुरक्षाबल को बुलाया गया है. राज्यभर में पुलिस की 650 कंपनियां सुरक्षा और कानून व्यवस्था संभालेंगी. इनमें 84,119 पुलिस अधिकारी हैं. 58,500 CAPF (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) भी सुरक्षा ड्यूटी पर हैं.
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'आयोग ने वोटिंग के लिए क्यों चुना बुधवार?'
बताते चलें कि कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनावों में 72.36 प्रतिशत मतदान हुआ था. दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग ने इस बार मतदान के दिन को लेकर लीक से हटकर विचार किया है. यही वजह है कि वीकेंड की बजाय बुधवार को मतदान रखा गया है. इस बारे में 29 मार्च को चुनाव की तारीखों की घोषणा के वक्त खुद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जानकारी दी. उन्होंने कहा- अगर सोमवार के दिन वोटिंग होती तो शनिवार और रविवार की छुट्टी होती और अगर वोटिंग मंगलवार को होती तो एक दिन की छुट्टी लेकर लोग बाहर घूमने के लिए निकल सकते थे. बुधवार थोड़ा मुश्किल है. मतदान समाप्त होने के बाद बैलेट बॉक्स को स्ट्रांग रूम में भेज दिया जाएगा. वोटों की गिनती 13 मई को है.
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