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पुडुचेरी चुनाव 2026: केंद्रशासित प्रदेश में राजनीतिक हलचल तेज, NDA के सामने सत्ता बचाने की चुनौती

पुडुचेरी में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. 30 सीटों में 16 के बहुमत वाली इस जंग में एनडीए और एसपीए के बीच कड़ी टक्कर तय है. पिछले चुनावी प्रदर्शन, स्थानीय दावेदारों और एनडीए में बढ़ती अंदरूनी नाराज़गी मुकाबले को और जटिल बना रही है.

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पिछले चुनाव में बीजेपी को 6 सीटों पर जीत मिली थी. (File Photo: ITG)
पिछले चुनाव में बीजेपी को 6 सीटों पर जीत मिली थी. (File Photo: ITG)

केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में अगले साल यानी 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में चुनावी सरगर्मी की शुरुआत हो चुकी है, जिससे राजनीतिक सियासी हलचल नजर आने लगी है. 30 विधानसभा वाली इस चुनावी जंग में 16 सीटों का बहुमत हासिल करना होगा. 

मौजूदा वक्त में सत्ता संभाल रही एनडीए सरकार को विपक्षी सेक्युलर प्रोग्रेसिव एलायंस (SPA) से कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है. एनडीए में जिऑल इंडिया एन.आर. कांग्रेस (एआईएनआरसी) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) मुख्य सियासी दल हैं.  

साल 2021 के चुनाव में एआईएनआरसी ने 10 और बीजेपी ने 6 सीटें जीती थीं, जबकि एसपीए की डीएमके को 6 और कांग्रेस को 2 सीटें मिली थीं. 

कौन से सियासी दल अहम?

मुख्य राजनीतिक दलों की संख्या करीब आठ है, लेकिन दो प्रमुख गठबंधन चुनावी मैदान में हावी रहेंगे. एनडीए में एआईएनआरसी (मुख्यमंत्री एन. रंगास्वामी के नेतृत्व में), बीजेपी (वी.पी. रामालिंगम के नेतृत्व में) और एआईएडीएमके (ए. अंबलागन के नेतृत्व में) शामिल हैं.

विपक्षी खेमे में द्रविड़ मुनेत्र कढ़गम (डीएमके, आर. शिवा के नेतृत्व में), इंडियन नेशनल कांग्रेस (वी. वैद्यलिंगम के नेतृत्व में), कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) (सीपीआई(एम), एस. रामचंद्रन के नेतृत्व में) और सीपीआई प्रमुख हैं. अन्य दल स्वतंत्र रूप से मैदान में उतर सकते हैं.

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पुडुचेरी (23 सीटें), कराईकल (5), माहे (1) और यानम (1) में स्थानीय नेता जैसे रंगास्वामी (थट्टांचावड़ी से) और शिवा (विलियनुर से) मजबूत दावेदार हैं. कुल उम्मीदवारों की संख्या चुनाव आयोग की अधिसूचना के बाद साफ होगी, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि प्रति सीट औसतन 10-15 दावेदार मैदान में होंगे.

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एनडीए में दरार?

पुडुचेरी में नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस (NDA) में दरारें साफ़ दिख रही हैं. बीजेपी एमएलए केंद्र शासित प्रदेश में सत्ता में मौजूद ऑल इंडिया NR कांग्रेस के 'ओवर सेंट्रलाइज़्ड' कामकाज पर अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं. मुख्यमंत्री एन. रंगासामी की लीडरशिप वाली यह रीजनल पार्टी, BJP की लीडरशिप वाली NDA का हिस्सा है.

हालांकि, बीजेपी ने अपने सहयोगी का पब्लिक में सामना नहीं किया है, लेकिन गठबंधन के अंदर मतभेद बढ़ गए हैं. NR कांग्रेस और BJP के बीच अनबन की मुख्य वजह कैबिनेट में पावर का साफ़ असंतुलन है. दूसरी सबसे बड़ी पार्टनर होने के बावजूद, BJP के पास UT में सिर्फ़ एक मंत्री, ए. नमस्सिवायम हैं, जिनके पास होम, एजुकेशन और स्पोर्ट्स जैसे कई मंत्रालय हैं. ऐसे में एनडीए के सामने इस बार के चुनाव में सत्ता बचाने की चुनौती होगी.

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