ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 की दौड़ में पश्चिम बंगाल के शिक्षक दीप नारायण नायक फाइनलिस्ट में शामिल हैं. बुधवार को 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 में 130 देशों के टॉप 10 फाइनलिस्ट का नाम घोषित किया गया.
शिक्षक दीप नारायण की पहचान भारत के उन खास टीचर्स में हैं जिन्होंने अपनी गलियों की दीवारों को ब्लैक बोर्ड बना दिया है. वो आसनसोल के जमुरिया में तिलका मांझी आदिवासी नि:शुल्क प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक हैं. दीप नारायण ने COVID-19 लॉकडाउन के दौरान "Teacher of the Streets" की उपाधि अर्जित की, जब उन्होंने कक्षाओं को बाहर स्थानांतरित किया और गरीबी रेखा से नीचे के वंचित समाज के बच्चों के लिए डिजिटल डिविजन को पाटने में मदद की.
अब अपने आठवें वर्ष में, वार्षिक पुरस्कार का आयोजन यूके स्थित वर्की फाउंडेशन द्वारा यूनेस्को के सहयोग से और संयुक्त अरब अमीरात स्थित वैश्विक परोपकारी संगठन दुबई केयर्स के साथ रणनीतिक साझेदारी में किया जाता है. यूनेस्को में शिक्षा के सहायक महानिदेशक स्टेफ़ानिया जियानिनी ने कहा कि दीप नारायण जैसे प्रेरणादायक शिक्षक तेजी से विकसित हो रही दुनिया में बच्चों और युवाओं को आगे बढ़ने के लिए तैयार करने की अपनी प्रतिबद्धताओं के लिए जाने जाते हैं. शिक्षक भविष्य के लिए शिक्षा को बदलने में अग्रणी भूमिका निभाते हैं.
यह पुरस्कार ऐसे असाधारण शिक्षक को पहचानने के लिए बनाया गया था, जिसने पेशे में उत्कृष्ट योगदान दिया हो और साथ ही समाज में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला है. दीप नारायण नायक ने नवीन शिक्षण विधियों को विकसित करने के लिए कदम उठाया, जिसने शैक्षिक और सामाजिक चुनौतियों का सामना करने वाले वंचित बच्चों के जीवन को बदल दिया है.
महामारी के बीच, उन्होंने हाशिए पर रहने वाले छात्रों के लिए डिजिटल विभाजन को पाटते हुए मिट्टी की दीवारों को ब्लैकबोर्ड और सड़कों को कक्षाओं में बदल दिया. माता-पिता को शिक्षित करने, अंधविश्वासों को मिटाने और सीखने की अक्षमताओं को दूर करने पर उनके ध्यान ने बच्चों और समुदायों दोनों को सशक्त बनाया है.
दुबई केयर्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी और उपाध्यक्ष डॉ. तारिक अल गुर्ग ने कहा, हम उन शिक्षकों को बधाई देते हैं जिन्होंने ग्लोबल टीचर प्राइज 2023 की शीर्ष 10 सूची में जगह बनाई है. उन्होंने कहा कि शिक्षण केवल ज्ञान साझा करने के बारे में नहीं है. पुरस्कार की दौड़ में शामिल शिक्षकों को प्रति सप्ताह कम से कम 10 घंटे टीचिंग में बिताने होंगे और अगले पांच वर्षों तक इस पेशे में बने रहने का प्लान बनाना होगा.