गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी और महेसाणा स्थित गुजरात पावर इंजीनियरिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (GPERI) में पिछले दो साल से इंजीनियरिंग के चार विषयों में गुजराती भाषा में पढ़ाई शुरू की गई है लेकिन, लगातार दो साल होने के बावजूद, इन पाठ्यक्रमों में गुजराती भाषा में पढ़ाई के लिए कोई भी छात्र दाखिला लेने नहीं आया है.
50 लाख रुपये का खर्च करके पुस्तक गुजराती में अनुवाद किए गए
गुजराती भाषा के प्रचार और प्रसार एवं ग्रामीण क्षेत्रों के छात्रों को इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए आकर्षित करने के उद्देश्य से नेशनल एजुकेशन पॉलिसी NEP 2020 के तहत गुजरात टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी द्वारा 50 लाख रुपये का खर्च करके इंजीनियरिंग की 4 ब्रांच के अंग्रेजी पुस्तकों का गुजराती भाषा में अनुवाद किया गया था. लेकिन इंजीनियरिंग में प्रवेश के चार राउंड बाद एक भी छात्र ने गुजराती भाषा में इंजीनियरिंग करने के लिए दिलचस्पी नहीं दिखाई है.
इलेक्ट्रिकल, सिविल, मकेनिकल और कम्प्यूटर साइंस ब्रांच में गुजराती भाषा में इंजीनियरिंग कोर्स शुरू
GTU द्वारा जीपेरी में इलेक्ट्रिकल, सिविल, मिकेनिकल और कम्प्यूटर साइंस ब्रांच में 30-30 बैठकों के साथ गुजराती भाषा में अभ्यास के लिए दो साल पहले प्रवेश प्रक्रिया शुरू की गई थी. हालांकि बताया जा रहा है कि, अंग्रेजी भाषा में प्रवेश लेने वाले छात्र सबसे अधिक गुजराती अनुवाद की गई पुस्तक डाउनलोड कर रहे है और वीडियो भी देख रहे है.
GTU के रजिस्ट्रार के.एन.खेर कहते है, गुजरात के बच्चे प्रोफेशनल कॉर्सिस गुजराती यानी मातृ भाषा में पढ़ सकें उस उद्देश्य से दो साल पहले 4 ब्रांच में अभ्यासक्रम शुरू किए गए थे लेकिन छात्रों की तरफ से प्रवेश के लिए कोई उत्सुकता नहीं दिख रही. लगातार हमारी कोशिश है कि, ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे जो अंग्रेजी की वजह से इंजीनियरिंग की पढ़ाई से दूरी बना लेते है वह मातृ भाषा में अभ्यास के लिए तैयार हो. लेकिन अब तक सफलता नहीं मिली है पर हमारी कोशिश जारी रहेगी. विश्व में चाइना, जापान, फ्रांस, जर्मनी में मातृ भाषा में ही अभ्यास करवाया जाता है. हमें उम्मीद है, भविष्य में छात्र इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए मातृ भाषा का चयन करेंगे.
अंग्रेजी वाले छात्र गुजराती में अनुवाद की गई पुस्तकें डाउनलोड कर रहे
के.एन.खेर ने कहा, मौजूदा स्थिति में भी अंग्रेजी में इंजीनियरिंग करने वाले छात्र गुजराती पुस्तकों को डाउनलोड कर रहे है और वीडियो भी देख रहे है. इंजीनियरिंग की पढ़ाई मातृ भाषा में करने पर उसे समजना आसान हो जाता है. बाकी के जो पुस्तक है उसका अनुवाद भी जारी रहेगा और छात्र गुजराती में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करें उस दिशा में प्रचार प्रसार जारी रखेंगे.