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पीरियड्स के टैबू के ख‍िलाफ सड़क पर उतरे दिल्ली के स्कूल-कॉलेजों के स्टूडेंट्स

हमारे देश में अभी भी पीरियड्स एक ऐसा वर्जित विषय बना हुआ है, जिस पर खुलकर बात नहीं होती. ये ऐसा टैबू है जो स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए चुनौती तो है ही, साथ ही सामाजिक मिथक तोड़ना भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है.

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सड़क पर नुक्कड़ नाटक के जरिये दिया संदेश (Photo: special permission)
सड़क पर नुक्कड़ नाटक के जरिये दिया संदेश (Photo: special permission)

मासिक धर्म यानि पीरियड्स, एक ऐसा व‍िषय जिस पर बात करना बहुत जरूरी है. इसी विषय को लेकर जागरूकता फैलाने और उससे जुड़े मिथकों को दूर करने के उद्देश्य से दिल्ली के विभिन्न कॉलेजों और  स्कूल के छात्रों ने पिछले एक माह में दिल्ली के कई हिस्सों में नुक्कड़ नाटक और वाल पेंटिंग जैसी रचनात्मक गतिविधियां आयोजित कीं. 

पीरियड्स पर जारूकता को लेकर चाइल्ड राइट्स एंड यू (क्राई) द्वारा चलाए जा रहे राष्ट्रीय अभियान- #Let’s Talk About It! Period!  के अंतर्गत इन गतिविधियों का आयोजन किया गया. यहां छात्रों ने कहा कि हमारे देश में अभी भी पीरियड्स एक ऐसा वर्जित विषय बना हुआ है, जिस पर खुलकर बात नहीं होती. ये ऐसा टैबू है जो स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए चुनौती तो है ही, साथ ही सामाजिक मिथक तोड़ना भी चुनौतीपूर्ण बना हुआ है. 

Protest against Period Taboo

महाराजा अग्रसेन इंस्टीट्यूट ऑफ मेनेजमेंट स्टडीज के छात्रों ने लगातार एक माह तक कनॉट प्लेस, मेट्रो स्टेशन्स, कॉर्पोरेट कार्यालयों एवं कमला नगर इलाके में नुक्कड़ नाटक की प्रस्तुति दी. वहीं सर्वोदय कन्या विद्यालय, पंडारा रोड के बच्चों ने वाल पेंटिंग कर पीरियड्स को लेकर जागरूकता संदेश दिए. इस अभियान के अंतर्गत दिल्ली के ऑटो संचालकों ने भी जागरूकता संदेश लोगों तक पहुंचाने का काम किया. 

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Protest against Period Taboo

वॉल पेंटिंग का आयोजन दिल्ली स्ट्रीट आर्ट के सहयोग से किया गया. क्राई की क्षेत्रीय निदेशक सोहा मोईत्रा ने बताया वाल पेंटिंग सामाजिक जुड़ाव का जरिया है जोकि  जन जागरूकता फैलाने का एक बेहद प्रभावशाली माध्यम है. अभियान के अंतर्गत की गई इन गतिविधियों का लक्ष्य माहवारी से जुड़ी वर्जनाओं को तोड़ना है और किशोरियों को मासिक धर्म को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना है और इस विषय पर खुली बातचीत को प्रोत्साहित करना है. 

 

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