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CUET 2022: यूनिवर्सिटी दाखिले के लिए बेमानी हो जाएंगे 12वीं के नंबर? जानें CUCET से जुड़े सभी सवालों के जवाब

CUET 2022: नई व्यवस्था को लेकर स्टूडेंट्स के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं. यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने इन सभी सवालों के जवाब दिए हैं.

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CUET 2022 Notifcation:
CUET 2022 Notifcation:
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अप्रैल के पहले सप्‍ताह से शुरू होंगे आवेदन
  • UGC के चेयरमैन ने दिए सवालों के जवाब

CUET 2022: देश भर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों के अंडरग्रैजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए अकादमिक वर्ष 2022-23 से एक कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (Common University Entrance Test) आयोजित किया जाएगा. इस नई व्यवस्था को लेकर स्टूडेंट्स के मन में बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं. यूजीसी के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने इन सभी सवालों के जवाब दिए हैं. एक न्यूज चैनल से बातचीत में उन्होंने कहा कि देश भर के स्टूडेंट्स की सुविधा का ध्यान रखकर ही कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की शुरुआत की गई है. 

इस साल सिर्फ केंद्रीय यूनिवर्सिटीज में लागू
जगदीश कुमार ने बताया कि यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा आयोजित कराई जाएगी. इसके जरिए सभी विश्वविद्यालयों के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले होंगे. हालांकि, इस साल सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालय इस परीक्षा के दायरे में आएंगे. उन्होंने कहा कि यूजीसी ने सभी तरह की यूनिवर्सिटीज (स्टेट, डीम्ड, प्राइवेट) से कहा है कि वे चाहें तो अपने अंडरग्रेजुएट कोर्सेज में दाखिले के लिए सीयूईटी (CUET) स्कोर्स का इस्तेमाल कर सकते हैं. 

क्या होगी न्यूनतम अर्हता?
जगदीश कुमार ने बताया कि 12वीं पास किया हुआ कोई भी स्टूडेंट सीयूईटी परीक्षा दे सकेगा. हालांकि, विभिन्न विश्वविद्यालय 12वीं के नंबर को भी दाखिले के पैमाने में शामिल कर सकते हैं. मसलन, ये विश्विद्यालय एडमिशन क्राइटेरिया के लिए सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम पर्सेंटेज भी तय कर सकते हैं. यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक, चूंकि यूनिवर्सिटीज स्वायत संस्थाएं हैं, ऐसे में उन पर छोड़ दिया गया है कि 12वीं पास की न्यूनतम पर्सेंटेज क्या हो?

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12वीं के नंबर भी रखेंगे मायने 
क्या इसका मतलब ये है कि यूनिवर्सिटीज में दाखिले के लिए 12वें के नंबर पूरी तरह से अप्रासंगिक नहीं होंगे? इस सवाल के जवाब में यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि कोई भी 12वीं पास छात्र सीयूईटी एग्जाम में शरीक हो सकता है लेकिन किसी खास विश्वविद्यालय के खास अंडरग्रेजुएट कोर्स में दाखिले के लिए फलां यूनिवर्सिटी 12वीं में न्यूनतम पर्सेंटेज का मापदंड लागू कर सकती है. उदाहरण के तौर पर यूनिवर्सिटी A यह कह सकती है कि यूजी प्रोग्राम में दाखिले के लिए सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम 60 फीसदी अंक जरूरी हैं. वहीं, यूनिवर्सिटी B सीयूईटी स्कोर के साथ-साथ 12वीं में न्यूनतम 70 फीसदी का मापदंड अपना सकती है. यानी विश्वविद्यालय अपने विवेक से यह पैमाना तय कर सकेंगे. 

कब होंगी परीक्षाएं?
कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट जुलाई के पहले हफ्ते में होगा. इस वक्त तक सभी बोर्ड्स के 12वीं के नतीजे आम तौर पर आ ही जाते हैं. वहीं, इसके लिए आवेदन अप्रैल के पहले हफ्ते से किया जाएगा. 

ऑफलाइन या ऑनलाइन?
आवेदन ऑनलाइन किया जा सकेगा जबकि एंट्रेंस परीक्षा एक कम्प्यूटर बेस्ड एग्जाम होगा. छात्र एग्जाम सेंटर जाकर कम्प्यूटर पर परीक्षा दे सकेंगे. छात्र माउस के जरिए सही विकल्प को चुनकर जवाब देंगे. यूजीसी चेयरमैन के मुताबिक, नए जमाने के स्टूडेंट्स स्मार्टफोन इस्तेमाल करते ही हैं, ऐसे में तकनीक पर आधारित ये परीक्षा प्रक्रिया को और आसान बनाएगी. 

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आसमान छूते कटऑफ से मिलेगी निजात 
कुछ प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटीज में दाखिले का कटऑफ इतना ज्यादा होता है कि बहुत सारे छात्रों को अपने पसंदीदा शिक्षण संस्थान में दाखिले का मौका नहीं मिलता. जगदीश ने कहा कि  कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट की नई व्यवस्था से इस समस्या का हल होगा. उन्होंने कहा कि यह बेहद अजीब है कि कुछ यूनिवर्सिटीज के कोर्सेज में दाखिले का कटऑफ 100 फीसदी तक होता है. उसकी वजह से कई छात्र और पैरेंट्स तनाव में रहते थे. ऐसे में कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट पूरे देश के स्टूडेंट्स को एक लेवल प्लेइंग ग्राउंड उपलब्ध कराएगा.  

CUET का सिलेबस कैसा होगा 

इस परीक्षा के लिए सिलेबस एनसीईआरटी के कक्षा 12 के मॉडल सिलेबस के अनुरूप ही होगा. इसमें सेक्शन 1A, सेक्शन 1B, जनरल टेस्ट और डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स पर आधारित पेपर्स होंगे. सेक्शन 1A पेपर अनिवार्य होगा और इसे देने के लिए 13 भाषाओं का विकल्प होगा. इनमें अंग्रेजी, हिंदी, असमी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, गुजराती, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल, तेलुगू और उर्दू शामिल हैं. 

सेक्शन 1B वैकल्पिक पेपर होगा और इसे वे स्टूडेंट्स देंगे जो सेक्शन 1A में आने वाली भाषाओं से अलग कोई विकल्प चुनते हैं. इसके तहत फ्रेंच, अरबी, जर्मन आदि भाषाओं का विकल्प मिलेगा. जहां तक डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स पर आधारित पेपर का सवाल है, अंडरग्रैजुएट कोर्सेज के लिए आवेदन कर रहे स्टूडेंट्स अधिकतम 6 डोमेन का चुनाव कर सकते हैं. कुछ यूनिवर्सिटीज खास कोर्सेज में एडमिशन की अर्हता के तौर पर जनरल टेस्ट भी ले सकते हैं, इसलिए यह भी CUET का हिस्सा होगा. 

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किस तरह होगी परीक्षा, आरक्षण पर पड़ेगा असर? 
CUET दो शिफ्ट में होंगे. पहली शिफ्ट में अभ्यर्थी एक भाषा, दो डोमेन स्पेसिफिक पेपर्स और एक जनरल टेस्ट देंगे. दूसरी शिफ्ट में बाकी चार डोमेन स्पेसिफिक सब्जेक्ट्स और सेक्शन 1बी की परीक्षा देंगे. यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि सीयूईटी की वजह से रिजर्वेशन पॉलिसी पर कोई असर नहीं पड़ेगा. यूनिवर्सिटीज सीयूईटी स्कोर के आधार पर जनरल और रिजर्व सीट के लिए कैंडिडेट्स को एनरोल कर सकते हैं. उन्होंने यह भी साफ किया कि इस परीक्षा के बाद कोई केंद्रीकृत काउंसिलिंग जैसी व्यवस्था नहीं होगी. 
 

स्टूडेंट्स का क्या फायदा? 
यूजीसी चेयरमैन ने कहा कि इस परीक्षा की वजह से छात्रों को देश भर के विश्वविद्यालयों के अंडरग्रेजुएट कोर्सेज के लिए अलग-अलग तरह के एंट्रेंस टेस्ट नहीं देने होंगे. नई व्यवस्था की वजह से अब स्टूडेंट्स 12वीं में ज्यादा से ज्यादा नंबर बटोरने के बजाए लर्निंग पर ज्यादा फोकस करेंगे. इस परीक्षा व्यवस्था से स्टूडेंट्स और अभिभावकों का वित्तीय बोझ भी कम होगा. 

 

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