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कितना तेल है वेनेजुएला के पास, ट्रंप की क्यों नजर गड़ी हुई है? सत्ता बदली तो क्या तेल का खेल बदलेगा

अमेरिका ने वेनेजुएला पर जमीनी हमले की घोषणा कर दी है. यानी दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू होने वाला है. ऐसे में वेनेजुएला के विशाल तेल भंडार का सवाल अहम हो जाता है. क्योंकि, अगर वेनेजुएला में युद्ध के बाद सत्ता परिवर्तन होता है तो तेल भंडार देश के भविष्य में अहम भूमिका निभाएगा. ऐसे में समझते हैं कि वेनेजुएला के पास आखिर कच्चे तेल का कितना भंडार है और ये कैसे वैश्विक व्यवस्था को प्रभावित कर सकता है.

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वेनेजुएला के तेल भंडार पर अमेरिका नियंत्रण पाना चाहता है (Photo - AP)
वेनेजुएला के तेल भंडार पर अमेरिका नियंत्रण पाना चाहता है (Photo - AP)

अमेरिका और वेनेजुएला के बीच कई महीने से तनातनी चल रही है. एक ओर ट्रंप प्रशासन जहां इसे नार्को टेरेरिज्म के खिलाफ लड़ाई बता रहा है. वहीं दूसरी तरफ वेनेजुएला की मादुरो सरकार, इसे उनके देश के विशाल तेल के भंडार पर नियंत्रण के लिए लड़ाई बता रहा है. ऐसे में समझते हैं क्या है इस कैरेबियाई देश के तेल भंडार का खेल, आखिर क्यों ट्रंप की नजर इस पर गड़ी है और यहां कितना तेल है. 

वेनेजुएला के तेल के भंडार को काले सोने का खजाना भी कहा जाता है. वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलस मादुरो लगातार कहते रहे हैं कि ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई के आड़ में अमेरिका हमारे देश के विशाल तेल भंडार पर नियंत्रण करना चाहता है. कुछ विशेषज्ञों का भी यही कहना है कि वेनेजुएला का हाल इराक जैसा होने वाला है. 

वेनेजुएला का तेल दुनिया के कुल तेल भंडार का पांचवां हिस्सा 
वेनेजुएला एक ऐसा देश है जिसके पास इराक से भी ज्यादा तेल का भंडार है. सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक,  अमेरिकी ऊर्जा सूचना प्रशासन (EIA) के अनुसार , वेनेजुएला के पास 303 अरब बैरल कच्चे तेल का विशाल भंडार है - जो दुनिया के कुल भंडार का लगभग पांचवां हिस्सा है. यह पृथ्वी पर कच्चे तेल का अब तक का सबसे बड़ा ज्ञात भंडार है.वेनेजुएला की क्षमता उसके वास्तविक उत्पादन से कहीं अधिक है.

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वेनेजुएला में क्यों घट रहा कच्चे तेल का उत्पादन
वेनेजुएला प्रतिदिन लगभग 10 लाख बैरल तेल का उत्पादन करता है - जो कि कम नहीं है. फिर भी वैश्विक कच्चे तेल उत्पादन का यह केवल 0.8% है.  2013 में मादुरो के सत्ता संभालने से पहले यहां उत्पादन करीब दोगुना था. वहीं  1999 में समाजवादी शासन के सत्ता में आने से पहले 35 लाख बैरल तेल का उत्पादन होता था. यानी अब वेनेजुएला में आधे से भी कम तेल का उत्पादन हो रहा है.

वेनेजुएला सरकार पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और गंभीर आर्थिक संकट देश के तेल उद्योग के पतन का मुख्य कारण है. वहीं ईआईए (Energy Information Administration) के अनुसार, निवेश और रखरखाव की कमी भी इसका एक कारण थी. वेनेजुएला का ऊर्जा ढांचा जर्जर हो रहा है और वर्षों से इसकी तेल उत्पादन क्षमता में भारी गिरावट आई है.

अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियों के निवेश पर प्रतिबंध
वेनेजुएला में मौजूद तेल का प्रकार – भारी, कच्चा तेल है. इसके उत्पादन के लिए विशेष उपकरणों और उच्च स्तर की तकनीकी दक्षता की आवश्यकता होती है. अंतरराष्ट्रीय तेल कंपनियों के पास इसे निकालने और परिष्कृत करने की क्षमता है, लेकिन उन्हें देश में कारोबार करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

अमेरिकी सरकार ने 2005 से वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगा रखे हैं और ट्रंप प्रशासन ने 2019 में सरकारी तेल कंपनी पेट्रोलेस डी वेनेजुएला से अमेरिका को होने वाले सभी कच्चे तेल के निर्यात पर प्रभावी रूप से रोक लगा दी थी. तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडेन ने 2022 में गैस की कीमतों को कम करने के प्रयास के तहत शेवरॉन कंपनी को वेनेजुएला में ऑपरेशनल परमिट दिया था - जिसे ट्रंप ने मार्च में रद्द कर दिया था, लेकिन बाद में इस शर्त पर पुनः जारी किया कि इससे प्राप्त कोई भी आय मादुरो सरकार को नहीं दी जाएगी.

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अमेरिका वेनेजुएला का तेल क्यों चाहता है?
अमेरिका इतिहास में किसी भी अन्य देश से अधिक तेल का उत्पादन करता है. फिर भी उसे तेल आयात करने की आवश्यकता होती है – विशेषकर वेनेजुएला के कच्चे तेल की उसे जरूरत होती है. इसका पीछे एक प्रमुख वजह है.  

अमेरिका हल्का, मीठा कच्चा तेल उत्पादित करता है, जो गैसोलीन बनाने के लिए तो अच्छा है, लेकिन अन्य किसी काम का नहीं. वहीं वेनेजुएला भारी और खट्टा कच्चा तेल का उत्पादन करता है. इसके शोधन प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण उत्पाद बनते हैं, इनमें सबसे अहम डीजल, डामर और कारखानों तथा अन्य भारी उपकरणों के लिए ईंधन शामिल हैं.

इस वजह से दुनिया भर में कम हुई है डीजर की आपूर्ति
वेनेजुएला के तेल पर लगे प्रतिबंधों के कारण दुनिया भर में डीजल की आपूर्ति कम हो गई है. ईआईए के अनुसार, सितंबर तक संयुक्त राज्य अमेरिका वेनेजुएला से प्रतिदिन 102,000 बैरल तेल आयात कर रहा था. यह अमेरिका में आयातित तेल के दसवें सबसे बड़े सोर्स के लिए अच्छा है, लेकिन सऊदी अरब से इंपोर्ट किए गए 254,000 बैरल प्रतिदिन और कनाडा से इंपोर्ट किए गए 4.1 मिलियन बैरल की तुलना में यह बहुत कम है.

वेनेजुएला के तेल अमेरिका के लिए सस्ता विकल्प
दशकों तक, अमेरिका वर्तमान की तुलना में वेनेजुएला के तेल पर कहीं अधिक निर्भर था. वेनेजुएला निकट है और उसका तेल अपेक्षाकृत सस्ता है. इसकी वजह इसकी चिपचिपी और गाढ़ी बनावट है. इसके लिए काफी शोधन की आवश्यकता होती है.

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प्राइस फ्यूचर्स ग्रुप के वरिष्ठ बाजार विश्लेषक फिल फ्लिन के अनुसार, अधिकांश अमेरिकी रिफाइनरियां वेनेजुएला के भारी तेल को संसाधित करने के लिए बनाई गई थीं और वेनेजुएला के तेल का उपयोग करने पर वे अमेरिकी तेल की तुलना में कहीं अधिक कुशल हैं.

अगर मादुरो सत्ता से हट जाते हैं तो क्या होगा ?
वेनेजुएला के तेल को दुनिया के लिए खोलना संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को लाभ पहुंचा सकता है - और, संभावित रूप से, वेनेजुएला की अर्थव्यवस्था को भी. वेनेजुएला के एनर्जी इंडस्ट्री पर लगे प्रतिबंधों की वजह से सिमटता उत्पादन संकेत देता है कि वह तेल का एक बहुत बड़ा आपूर्तिकर्ता बन सकता है. इससे पश्चिमी तेल कंपनियों के लिए अवसर पैदा होंगे. 

वेनेजुएला में सत्ता परिवर्तन से तेल की कीमतों पर भी नियंत्रण बना रह सकता है, हालांकि कम कीमतें कुछ अमेरिकी कंपनियों को तेल उत्पादन से हतोत्साहित कर सकती हैं. फ्लिन के मुताबिक, अगर वेनेजुएला में वैध सरकार होती और वह सत्ता संभालती, तो इससे दुनिया भर में तेल की आपूर्ति बढ़ जाती, जिससे कीमतों में अचानक वृद्धि और कमी का खतरा कम हो जाता. 

पूरी दुनिया के लिए वेनेजुएला के तेल तक पहुंच नहीं होगी आसान
अगर कल को वेनेजुएला के हालात में बदलाव के साथ यहां के तेल भंडार तक  अंतरराष्ट्रीय पहुंच पूरी तरह से बहाल भी हो जाए, तो भी वेनेजुएला के तेल उत्पादन को पूरी तरह से वापस पटरी पर लाने में सालों लग सकते हैं. इसके लिए भारी खर्च करना पड़ सकता है. वहां की पाइपलाइनों को 50 सालों से अपडेट नहीं किया गया है और उत्पादन के उच्चतम स्तर पर लौटने के लिए बुनियादी ढांचे को अपडेट करने की लागत 58 अरब डॉलर होगी.

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पश्चिमी देशों को भू-राजनैतिक रूप से ऐसे मिल सकता है फायदा
यदि वेनेजुएला में पश्चिम के प्रति अधिक फ्रेंडली सरकार सत्ता में आती है, तो वेनेजुएला में तेल और रिफाइनरी कंपनियों के मुनाफे के लिए वहां भारी कीमत चुकाना उचित हो सकता है. क्योंकि अभी रूसी तेल वेनेजुएला के तेल के समान है. यही कारण है कि यूक्रेन में युद्ध के लिए धन जुटाने की क्षमता को कमजोर करने के मकसद से लगाए गए अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद भारत और चीन इस पर इतना निर्भर है. इसलिए पश्चिमी देशों को भू-राजनैतिक रूप से भी काफी लाभ मिलेगा

घट गया है वेनेजुएला से भारत का आयात 
वेनेजुएला के उत्पादन में वृद्धि रूसी तेल का एक विकल्प प्रदान कर सकती है, जिससे रूस की अर्थव्यवस्था और यूक्रेन में युद्ध छेड़ने की उसकी क्षमता कमजोर हो जाएगी. जहां तक भारत की बात है तो कभी भारत भी वेनेजुएला से कच्चा तेल आयात करता था. 2015-16 तक भारत के कुल तेल आयात में वेनेजुएला की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा थी. अब अमेरिकी पाबंदियों के बाद यह घटकर 1 प्रतिशत रह गई है.

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