दिल्ली के डाबड़ी इलाके में एक व्यापारी से हुई लूट के एक मामले में पुलिस पर गंभीर आरोप लगा है. पीड़ित व्यापारी के घरवालों का पुलिस पर आरोप है कि उसने मामले में दर्ज प्राथमिकी (एफआईआर) में गोलमोल किया है. पुलिस पर आरोपियों को पकड़ने के बजाए केस को कमजोर करने का भी आरोप लगाया है. बता दें कि 3 जुलाई को राहुल नाम के एक व्यापारी पर अज्ञात बदमाशों ने चाकुओं से हमला कर लूट की वारदात को अंजाम दिया था.
क्या है पूरा मामला
राहुल मेडिसिन ग्लूकोज का बिजनेस करता है. 3 जुलाई को अज्ञात बदमाशों ने डाबड़ी थाना इलाके के पास सीतापुरी में उसके साथ मारपीट और लूटपाट की वारदात को अंजाम दिया. राहुल ने लूटपाट का विरोध किया तो बदमाशों ने उस पर चाकू से हमला कर दिया, जिससे राहुल बुरी तरह से घायल हो गया.
राहुल के घरवालों का आरोप है कि पुलिस घायल राहुल से पूछताछ करने के बाद भी मामले में गोलमाल कर गई.
राहुल के घरवालों का पुलिस पर आरोप
1- दिल्ली पुलिस ने तीन तारीख को हुई वारदात को एफआईआर में चार तारीख की रात में होने का उल्लेख किया है.
2- वारदात की घटना का बयान राहुल से पुलिस ने आकाश हॉस्पिटल आकर लिया, लेकिन पूरी वारदात को स्पष्ट जानने के बाद भी डीडी एंट्री पर एफआईआर करके उसने पल्ला झाड़ लिया.
3- राहुल से लूट की वारदात में 9 से 10 लोग शामिल थे. किसी ने उस पर चाकू मारे तो किसी ने उसके साथ लूटपाट की. पुलिस ने मामले में दर्ज एफआईआर में महज 3 आरोपियों को दिखाया.
4- पीड़ित परिवार ने वारदात में शामिल आरोपियों के नाम तक बताए कि कुछ को राहुल जानता है, वो पहले से उससे रंजिश रखते आए हैं लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी पुलिस ने गोलमाल कर दिया.
5- पीड़ित परिवार ने ही जगह-जगह जाकर वारदात से जुड़ीं सीसीटीवी फुटेज निकलवाईं, जिसमें काली रंग की स्कॉर्पियो साफ दिख रही है लेकिन डाबड़ी थाने के एसएचओ ने पीड़ित परिवार पर कम से कम आरोपियों का नाम लिखवाने का दबाव बनाया. साथ ही फोर व्हीलर की जगह टू व्हीलर का बयान लिखवाने की बात कही.
6- पीड़ित राहुल का पहला बयान लेने के बाद भी एफआईआर में उसका कोई जिक्र तक नहीं हुआ.
मेडिकल रिपोर्ट से लेकर तमाम सबूतों के साथ पीड़ित परिवार पुलिस पर सवाल उठा रही है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी पुलिस कैसे मनमानी करती है.