लाल किला ब्लास्ट केस में दिल्ली की एक अदालत ने सोमवार को बड़ा फैसला सुनाया. तीन डॉक्टरों और एक मौलवी की NIA कस्टडी चार दिन के लिए बढ़ा दी गई है. सभी आरोपी 10 नवंबर को हुए लाल किला धमाके के मामले में गिरफ्तार किए गए थे, जिसमें 15 लोगों की जान चली गई थी. NIA कस्टडी बढ़ने के बाद अब जांच एजेंसी को पूछताछ के लिए और समय मिल गया है.
व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल में शामिल आरोपियों में डॉ. मुजम्मिल गनई, डॉ. अदील राथर और डॉ. शाहीना सईद शामिल हैं, जबकि चौथे आरोपी मौलवी इरफान अहमद वागे हैं. इन चारों को 29 नवंबर को मिली 10 दिन की NIA कस्टडी पूरी होने के बाद प्रिंसिपल और सेशंस जज अंजू बजाज चांदना के सामने पेश किया गया. इस दौरान पटियाला हाउस कोर्ट में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे.
इस मामले में NIA अबतक कुल सात लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है. जांच एजेंसी के मुताबिक, ये गिरफ्तारी जम्मू और कश्मीर पुलिस द्वारा पकड़े गए एक व्हाइट कॉलर टेरर मॉड्यूल से जुड़ी हुई हैं. NIA का दावा है कि यह नेटवर्क काफी पहले से सुसाइड बॉम्बिंग की साजिश में जुटा हुआ था. NIA ने पहले कहा था कि एजेंसी इस सुसाइड बॉम्बिंग के पीछे मौजूद अलग-अलग सुरागों का पीछा कर रही है.
इस हमले में शामिल दूसरे लोगों की पहचान करने और उन्हें ट्रैक करने के लिए संबंधित राज्य पुलिस बलों के साथ मिलकर कई तलाशी अभियान चलाया जा रहा है. जांच में सामने आया है कि डॉ. उमर-उन-नबी विस्फोटकों से लदी i20 कार चला रहा था, जिसमें 10 नवंबर को लाल किले के बाहर जोरदार धमाका हुआ था. इस धमाके में 15 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी. कई लोग गंभीर रूप से हुए थे.
डॉक्टरों के एक ग्रुप द्वारा बनाया गया यह सोफिस्टिकेटेड टेरर मॉड्यूल पिछले साल से एक सुसाइड बॉम्बर की सक्रिय रूप से तलाश कर रहा था. बताया जा रहा है कि इस पूरी साजिश का मुख्य प्लानर उमर नबी ही था, जिसकी भूमिका अब जांच के केंद्र में है. NIA अब बढ़ी हुई कस्टडी के दौरान आरोपियों से गहन पूछताछ कर रही है. लाल किला ब्लास्ट केस एक बड़े आतंकी साजिश के तौर पर सामने आया है.