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दिल्ली में इन्वेस्टमेंट फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़, 6.33 करोड़ की ठगी का खुलासा, 3 लोग गिरफ्तार

SEBI का डर दिखाकर भरोसा जीता, मुनाफे का लालच देकर लाखों उड़ाए और फिर पैसों को म्यूल अकाउंट्स के जाल में घुमा दिया. दिल्ली पुलिस ने देशभर में फैले ऐसे ही एक इन्वेस्टमेंट फ्रॉड नेटवर्क का पर्दाफाश कर तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है. पुलिस जांच में 6.33 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन सामने आए हैं.

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देशभर में फैले इस नेटवर्क के लोग SEBI का डर दिखाकर लोगों से पैसे लूट लेते थे. (Photo: Representational)
देशभर में फैले इस नेटवर्क के लोग SEBI का डर दिखाकर लोगों से पैसे लूट लेते थे. (Photo: Representational)

दिल्ली पुलिस ने देश में फैले एक बड़े इन्वेस्टमेंट फ्रॉड नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए तीन लोगों को गिरफ्तार किया है. ये आरोपी खुद को SEBI-रजिस्टर्ड स्टॉकब्रोकर का प्रतिनिधि बताकर लोगों को शेयर बाजार में निवेश के नाम पर ठगते थे. इस नेटवर्क के जरिए करीब 50 लाख रुपए फ्रॉड किया गया. पुलिस जांच में 6.33 करोड़ रुपए के ट्रांजैक्शन के फाइनेंशियल सबूत मिले हैं.

पुलिस डिप्टी कमिश्नर (क्राइम) आदित्य गौतम ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों की पहचान प्रवाश चंद्र पांडा, प्रीतम रोशन पांडा और श्रीतम रोशन पांडा के रूप में हुई है. ये तीनों ओडिशा के रहने वाले हैं और आपस में रिश्तेदार हैं. इनके खिलाफ देशभर में 165 साइबर क्राइम शिकायतें दर्ज होने की पुष्टि हो चुकी है. ये गिरफ्तारियां द्वारका इलाके में दर्ज एक इन्वेस्टमेंट फ्रॉड केस की जांच के दौरान की गईं.

इस मामले में शिकायतकर्ता को फर्जी तरीके से SEBI-रजिस्टर्ड स्टॉकब्रोकर का प्रतिनिधि बनकर आरोपियों ने अपने जाल में फंसाया था. पीड़ित को मैनिपुलेटेड ट्रेडिंग इंटरफेस और जाली SEBI सर्टिफिकेट दिखाकर सेकेंडरी स्टॉक्स, प्री-IPO शेयर्स और ऑफ-मार्केट ट्रेड्स में निवेश का लालच दिया गया. आरोपियों के झांसे में आकर पीड़ित ने अलग-अलग अकाउंट्स में 49.73 लाख रुपए ट्रांसफर कर दिए.

पुलिस के मुताबिक, जांच में सामने आया कि ये सभी अकाउंट ओडिशा के एक कोऑर्डिनेटेड ग्रुप द्वारा संचालित म्यूल अकाउंट्स थे. मेसर्स श्रीजी अपैरल्स नाम का एक अकाउंट इस पूरे फ्रॉड का मुख्य चैनल बन गया था, जिसके जरिए ठगी का पैसा लिया गया और फिर उसे लॉन्ड्रिंग के लिए आगे बढ़ाया गया. फाइनेंशियल जांच में पुलिस को शेल एंटिटीज़ का एक स्ट्रक्चर्ड नेटवर्क मिला है.

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इसमें ATM से तेजी से कैश निकालना और फंड के मूवमेंट को छिपाने के लिए लेयर्ड ट्रांसफर का पैटर्न मिला है. जांच एजेंसी को मेसर्स श्रीजी अपैरल्स के नाम पर किसी भी तरह की वास्तविक कारोबारी गतिविधि के सबूत नहीं मिले हैं. आरोपी म्यूल अकाउंट ऑपरेट करते थे. इनके पास कई पासबुक, ATM और SIM कार्ड होते थे, जिनका इस्तेमाल फंड रूटिंग और कैश विड्रॉल के लिए किया जाता था.

डिजिटल जांच में चैट्स समेत ऐसे कई सबूत मिले हैं, जो सीधे तौर पर पीड़ित के पैसे हड़पने में इनकी भूमिका की पुष्टि करते हैं. आरोपियों के ठिकानों पर छापेमारी के दौरान 17 मोबाइल फोन, 21 SIM कार्ड, 124 डेबिट-क्रेडिट कार्ड, 56 बैंक पासबुक, 25 चेक बुक, फाइनेंशियल एंट्री वाले रजिस्टर, दो पासपोर्ट, QR कोड और एक कैश काउंटिंग मशीन बरामद की गई है. इनने पूरे सिस्टम की परतें खोल दी हैं.

इस साइबर फ्रॉड सिंडिकेट को अलग-अलग टियर में बांटा गया था. फ्रंट-एंड पर इन्वेस्टमेंट कंसल्टेंट बनकर लोग फंसाए जाते थे. डिपॉजिट लेने के लिए बिजनेस अकाउंट्स का इस्तेमाल होता था. उसके बाद लेयरिंग के लिए म्यूल अकाउंट्स और अंत में कैश निकालने के लिए अलग कैश हैंडलर तैनात किए गए थे. लहाल दिल्ली पुलिस इस पूरे नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की तलाश में जुटी है.

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