AIIMS सॉफ्टवेयर हैकिंग घटना के बाद देश में बढ़ते साइबर अपराध का मुकाबला करने के लिए अब हर जिले में साइबर कमांडो की तैनाती होगी. कुछ दिनों पहले हुई डीजीपी-आईजीपी कांफ्रेंस में केन्द्र सरकार की पहल पर सारे राज्यों को इस बारे में सूचना दे दी गई है. यह साइबर कमांडो किसी भी तरीके के साइबर अपराध का मुकाबला करने में सक्षम होंगे.
साइबर क्राइम एक बड़ी चुनौती है. इस मुद्दे पर हाल ही में हुई डीजीपी आईजीपी कांफ्रेंस में प्रमुखता से चर्चा की गई थी. इस कार्यक्रम में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे. इसके बाद केंद्र सरकार की पहल पर यह सहमति बनाई जा रही है कि हर जिले में साइबर अपराध की रोकथाम के लिए साइबर कमांडो तैनात किए जाएंगे.
यह साइबर कमांडो साइबर थाने के कर्मी और साइबर यूनिट से अलग होंगे, जिन्हें खास ट्रेनिंग के बाद तैयार किया जाएगा. राज्य पुलिस हर जिलों में इनकी तैनाती करेगी. इस कदम का सबसे बड़ा मकसद ये है कि जैसे ही साइबर अपराध हो तुरंत मौके पर यह कमांडो पहुंचे और अपनी तफ्तीश शुरू कर उतनी ही तेजी से अपराधी तक पहुंच सकें.
खास बात यह है की मौके पर पहुंचने की वजह खास ट्रेनिंग पा चुके यह जवान किसी एक जगह से भी तुरंत अपनी तफ्तीश शुरु कर सकेंगे. ऐसे कर्मियों को साइबर कमांडो नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि इन्हें खास ट्रेनिंग हासिल होगी. इन्हें साइबर अपराध के खिलाफ कार्रवाई करने में चंद सेकंड का समय लगेगा. इन साइबर कमांडो के सहयोग के लिए जिला पुलिस और प्रशासन हर वक्त मौजूद रहेगा.
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि इन साइबर कमांडो को समय-समय पर आधुनिक ट्रेनिंग दी जाएगी. ताकि अपराधी अगर अपनी भूमिका बदल रहे हों तो कमांडो चुनौती के हिसाब से अपने आप को तैयार कर सकें. नई फोर्स एक तरफ डाटा एनालिसिस करेगी तो वहीं दूसरी तरफ ये रेगुलर पुलिस की मदद भी करेगी. यह साइबर कमांडो फील्ड में ना जाकर ऑफिस में बैठकर एक नए तरीके के रोल में देश की जनता के लिए काम करेंगे. इसमें पुलिस विभाग से चुने गए खास अफसरों को शामिल करने की योजना है.
2021 के मुकाबले भारत में 2022 में 8 गुना ज्यादा साइबर हमले हुए हैं. एक आंकड़े के मुताबिक भारत में सरकारी संस्थानों को साल 2022 में सबसे अधिक 82 साइबर हमलों (Cyber Attack) का सामना करना पड़ा. यह आंकड़ा 2021 की तुलना में आठ गुना अधिक है. हाल के महीनों में साइबर घटनाएं तेज हुईं है. भारतीय रेलवे, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), सिक्योरिटी डिपॉजिटरी और सेंट्रल डिपॉजिटरी सर्विसेज लिमिटेड (सीडीएसएल) जैसे सरकारी संस्थानों को हाल ही में डेटा सेंध, रैंसमवेयर हमलों और सेवाओं में बाधा पहुंचाने जैसी साइबर घटनाओं का सामना करना पड़ा.
केंद्र सरकार यह चाहती है कि देश भर में साइबर कमांडो अगर तैनात रहेंगे तो साइबर क्राइम और साइबर फ्रॉड साथ ही रैनसमवेयर की कोई घटना अगर होती है तो उसको त्वरित प्रभाव से रोका जा सके. साइबर एक्सपर्ट अमित दुबे के मुताबिक जब हम 5 ट्रिलियन इकोनॉमी की ओर बढ़ रहे हैं तो साइबर फ्रॉड और साइबर क्राइम से बचने के लिए साइबर कमांडो तैयार करें करने की जरूरत पड़ेगी और डीजीपी-आईजीपी कॉन्फ्रेंस में इस बात को लेकर के चर्चा हुई है.
उन्होंने कहा कि उनके मुताबिक साइबर स्पेस में जिस तरीके से क्राइम बढ़ें हैं भारत देश को इन चीजों पर भी लगाम लगाने की जरूरत पड़ेगी. यही वजह है कि पुलिस और लॉ एनफोर्समेंट एजेंसीज को सरकार मॉडर्न कर रही है. जिसमें पता यह चल रहा है कि साइबर कमांडोज इसके लिए बेहतर काम करेंगे. गृह मंत्रालय हमेशा से पुलिस मॉर्डनाइजेशन को लेकर के काफी सतर्क रहा है. स्टेट लेवल टास्क फोर्स गठित करने के साथ-साथ टेक्नोलॉजी से पुलिस को बेहतर करना शामिल है. इसमें न सिर्फ साइबर क्राइम बल्कि अलग तरीके के साइबर फ्रॉड को भी कम करने के लिए कदम बढ़ाए जाने चाहिए. इसके जरिए पुलिस को आधुनिक तकनीक और मॉडर्न गैजेट देने की जरूरत है, ताकि वह बेहतर तरीके से काम कर सके पुलिस मॉर्डनाइजेशन को लेकर के काफी काम पिछले वर्षों में होता रहा है.
उन्होंने आगे कहा किगृह मंत्री ने कहा है कि साइबर कमांडो तैयार किए जाने चाहिए. मुझे लगता है कि इसके लिए पुलिस के जो खास सिलेक्टेड ऑफिसर हैं, उनको इसके लिए रखा जाए. नए तरीके का टूल्स और टेक्नोलॉजी इनको मुहैया कराकर डाटा एनालिसिस करके देश की जनता के लिए साइबर फ्रॉड से बचने के लिए इन लोगों को तैनात किया जाए. इसके लिए दूसरे देशों और इंटरनेशनल संपर्क भी बढ़ाने पड़ेंगे जिससे कि क्रिमिनल्स जो कि विदेशों में बैठकर इस तरीके के साइबर फ्रॉड और साइबर क्राइम कर रहे हैं, उनको पकड़ा जा सके मेरे मुताबिक इसके लिए सरकार जिस तरीके का कदम बढ़ा रही है, वह सराहनीय है. इसके लिए कई तरीके के गैजेट्स और टूल्स इसके साथ ही सॉफ्टवेयर से भी पुलिस बल को मजबूत करना पड़ेगा.